2017-01-09 15:50:00

गौशाले में येसु का पहला उपदेश रोना रहा होगा, संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, सोमवार,9 जनवरी 2017 (सेदोक) : संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 8 जनवरी को सिस्टीन चैपल पवित्र यूखारिस्त समारोह के दौरान 13 बच्चियों और 15 बच्चों को बप्तिस्मा संस्कार दिया।

संत पापा ने अपने प्रवचन में इन बच्चों के रोने की आवाज को संगीत कार्यक्रम की संज्ञा देते हुए कहा, ″मैं यह सोचता हूँ कि गौशाले में येसु का पहला उपदेश रोना रहा होगा। ″   

संत पापा फ्राँसिस ने वहाँ उपस्थित बच्चों को रोते देखकर कहा कि बच्चों को इस नये स्थान में आने के लिए अपने निर्धारित समय से पहले उठना पड़ा होगा। एक बच्चा संगीत शुरु करता है तो दूसरे बच्चे भी उसकी नकल करते हैं। कुछ इसी लिए रोते हैं क्योंकि दूसरे रो रहे हैं। येसु ने भी ऐसा ही किया होगा।

 संत पापा ने बच्चों के माता पिता और धर्म माता पिताओं को संबोधित करते हुए कहा, आपने अपने बच्चों के लिए विश्वास माँगा है। बपतिस्मा में विश्वास देने का अर्थ है जीवन का विश्वास। इस विश्वास को दैनिक जीवन में जीना है और इस विश्वास की गवाही देनी है। विश्वास केवल रविवारीय ख्रीस्तयाग समारोह में अपने विश्वास को प्रकट करना या बोलना मात्र नहीं है पर जो सच्चाई है उसपर विश्वास करना है। पिता ईश्वर ने अपने पुत्र और पवित्र आत्मा को इस धरा पर भेजा जिससे कि हमें जीवन मिले। ईश्वर पर विश्वास करने का अर्थ है उनपर भरोसा रखना। इसे आप अपने बच्चों को अपने उदाहरण व अपने जीवन द्वारा सिखा सकते हैं।

संत पापा ने कहा, ″विश्वास ज्योति है :कलीसिया के शरुआती दिनों के समान आज भी आपलोगों को बपतिस्मा समारोह में जलती मोमबत्ती दी जाएगी। उन दिनों बपतिस्मा को  'आत्मज्ञान' कहा जाता था क्योंकि विश्वास रुपी प्रकाश द्वारा चीजों की सही जानकारी होती थी।″

माता पिता का कर्तव्य है कि बच्चों के विश्वास की सुरक्षा करते हुए इसे बढ़ाना और दूसरों को इसकी गवाही देना। संत पापा ने यह कहते हुए माता पिता को याद दिलाया, आपने अपने बच्चों के लिए विश्वास माँगा है इसलिए आपका कर्तव्य है कि इस विश्वास की रखवाली करते हुए इसे पोषित करें। 








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