2016-12-26 16:36:00

चरनी का बालक हमें चुनौती दे, संत पापा


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 25 दिसम्बर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्रांसिस ने 24 दिसम्बर को संत प्रेत्रुस के महागिरजाघर में ख्रीस्त जयंती महोत्सव का जागरण मिस्सा अर्पित करते हुए अपने प्रवचन में कहा कि ईश्वर की कृपा हमारे लिए प्रकट हुई है यह कृपा हमें मुफ्त में मिली है, ईश्वर के प्रेम को हम बालक येसु के रुप में देखते हैं।

उन्होंने कहा कि यह रात महिमा की रात है। इस महिमा को स्वर्गदूतों ने बेतलेहेम में गाया और इसे हम भी सारी दुनिया में गाते हैं। यह खुशी की रात है क्योंकि सर्वशक्तिमान ईश्वर हमारे साथ निवास करते हैं। हमें अपने ईश्वर को स्वर्ग में खोजने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब वे हमारे निकट हमारे साथ निवास करते हैं। उन्होंने मानव का रुप धारण करते हुए अपने को मानवजाति का अंग बना लिया जिससे वह सदैव हमारे साथ रह सकें। अनंत और अविनाशी ईश्वर हमारे साथ हैं। यह ज्योति की रात है, ज्योति जिसकी भविष्यवाणी करते हुए नबी इसायस करते हैं अंधकार में भटकने वालों लोगों ने एक महत्ती ज्योति देखी है, (इसा.9.1) इस ज्योति ने बेतलेहेम के चरवाहों के जीवन को प्रकाशित किया है। (लूका.2.9)

चरवाहे इस बात का पता लगाते हैं कि उनके लिए एक पुत्र का जन्म हुआ है। (इसा.9.5) वे इस बात को अपने में समझ पाते हैं कि ईश्वरीय महिमा, उनकी सारी खुशी स्वर्गदूत के इस संदेश पर केन्द्रित है जो उन्हें सुनाया गया है कि “वे एक बालक को कपड़ों में लपेटा चरनी में लेटा हुआ पायेंगे।” (लूका.2.12)। यह उनके लिए ईश्वर को पाने का एक संदेश है और न केवल उनके लिए उस समय वरन हमारे लिए आज के परिवेश में भी। संत पापा ने कहा कि यदि आप ख्रीस्त जयंती का त्योहार सच्चे अर्थ में मनाना चाहते हैं तो हमें इन निशानी पर चिंतन करने की जरूरत है, नवजात की सरलता, नम्रता में उनका चरनी पर रहना, कपड़ों में लिपटा प्रेम की अनुभूति। इन सारी चीजों में हम ईश्वर की उपस्थिति को पाते हैं।

इन निशानियों के विरोधाभास में सुसमाचार हमें सम्राट, राज्यपाल, अपने समय के शक्तिशाली शासक के बारे में कहता है लेकिन ईश्वर उनके मध्य अपने को प्रकट नहीं करते हैं। वे शानदार महलों में जन्म नहीं लेते बल्कि गरीबों की गोशाले में जन्म लेते हैं। वे शानशौक़त में नहीं आते लेकिन साधारण रुप में आते हैं। वे अपनी शक्ति में नहीं वरन अपनी शक्तिहीनता में आते जो हमें आश्चर्यचकित करता है। उनसे मिलने हेतु हमें उनके पास जाने की आवश्यकता है जहाँ वे हैं। इसके लिए हमें अपने आप को नम्र और छोटा बनाने की जरूरत है। बालक जिसका जन्म हुआ है वे हमें चुनौती देते हैं। वे हमें अपने जीवन में क्षणभंगुर चीजों का परित्याग करते हुए सारगर्भित चीजों को अपनाने हेतु करते हैं। वे हमें जीवन की असंख्य असंतुष्टि प्रदान करने वाली चीजों को छोड़ने का आहृवान करते हैं। हमें ईश्वर के पुत्र के साधारण जीवन में सहभागी होते हुए शांति खुशी और जीवन के अर्थ को पाने हेतु जीवन की व्यर्थ बातों का परित्याग करना है। 

चरनी में पड़े बालक येसु हमें चुनौती प्रदान करें। दुनिया के बच्चों की वर्तमान स्थिति हमें चुनौती प्रदान करें जो अपने माता-पिता के प्रेम से वंचित मानव सम्मान हेतु जूझ रहें हैं। वे जो बमबारी के कारण तहखानों में छिपे हैं, वे जो शहरों की गलियों में पड़े हैं, वे जो नावों में भरे शरणार्थी के रुप एक जगह से दूसरी जगह पलायन कर रहें हैं। हम उन बच्चों से चुनौती लें जिन्हें जनमने नहीं दिया जाता है, वे जो अपनी पेट की भूख मिटाने हेतु रोते हैं, वे जिनके हाथों में खिलौने के बदले हथियार हैं।

ख्रीस्त जयंती का रहस्य जो हमारे लिए ज्योति और प्रेम है हमें यह प्रश्न करते हुए विचलित करता है क्योंकि यह आशा और दुःख का रहस्य है। यह अपने में दुःख के स्वाद को धारण करता है क्योंकि इसमें प्रेम का अभाव हैं जो जीवन को प्रोत्साहित नहीं करता है। जोसेफ और मरियम को इसका अनुभव हुए क्योंकि उनके लिए सभी दरवाजे बंद हो गये, उन्हें सराय में जगह नहीं मिलती जिसके कारण उन्हें अपने बेटे को चरनी में रखना पड़ा। येसु को लोगों की उदासीनता और परित्यक्त की स्थिति में जन्म लेना पड़ता है। आज भी  हमारे जीवन में उदासीनता की यह स्थिति दिखाई देती है क्योंकि हम क्रिसमस में येसु को महत्व देने के बदले अपने को अधिक महत्व देते हैं। हम अपने धन के वैभव में येसु की ज्योति को अंधकार में फेंक देते हैं। हम अपने जीवन में उपहारों को अधिक महत्व देते और ग़रीबों की अवहेलना करते हैं।

संत पापा ने कहा कि खीस्त जयंती का महोत्सव हमारे लिए आशा का दीप लेकर आती है जो हमारे जीवन के अधंकारमय क्षणों को दूर करती है। उनकी हल्की ज्योति हमें भयभीत नहीं करती है क्योंकि ईश्वर जो हमें प्रेम करते हैं अपनी कोमलता, गरीबी और संवेदनशीलता में हमारी तरह मानव बन हमें अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वे बेतलेहेम में जन्म लेते हैं जिसका अर्थ “रोटी का घर” हैं । इसके द्वार वे हम से यह करते हैं कि वे हमारे लिए रोटी के रुप में जन्म लेते हैं। वे हमें जीवन देने आते हैं। वे दुनिया में अपने प्रेम को हमें देने आते हैं। वे हमारा विनाश करने हेतु नहीं वरन हमें मजबूती और हमारी सेवा हेतु आते हैं। इस तरह हम देखते हैं कि चरनी और क्रूस में एक सीधी संबंध है जहाँ वे वह रोटी बनते जिन्हें तोड़ा जाता है। यह प्रेम से हमारे सीधे संबंध को दिखलाता है जो हमें बचाता है, जो  हमारे जीवन में ज्योति ले कर आता और हमें हृदयों को शांति प्रदान करता है।

चरवाहों ने इस रात को समझा। वे उस समय के सबसे गरीब लोग थे। वास्तव में ईश्वर की नज़रों में कोई गरीब नहीं है। वे, जिन्होंने अपने को समृद्ध समझा वे अपने घरों में अपनी सुख सुविधा में पड़े रहे, जबकि चरवाहे शीघ्रता से चल पड़े। संत पापा ने कहा कि इस रात हम अपने में चुनौती ले और येसु के पास आयें। हम विश्वास के साथ उनके पास आये और विशेषकर अपने जीवन के उन क्षणों और कमजोरियों को लायें जहां हम गरीबी का अनुभव करते हैं। हम उस कोमलता का स्पर्श करें जो हमें बचाता है। हम ईश्वर के निकट आये जो हमारे निकट आते हैं। हम एक क्षण रुक कर चरनी को देखें और येसु के जन्म, ज्योति, शांति, अत्यन्त गरीबी और उनका लोगों के द्वारा ठुकराये जाना पर चिंतन करें। आइए हम चरवाहों के साथ येसु के जन्म में सहभागी हो और अपने जीवन की सारी चीजों को उन्हें बतालाये, हमारा टूटापन, हमारे घाव इत्यादि। इस तरह हम येसु के जन्म की खुशी उनके प्रेम को अपने जीवन में अनुभव कर पायेंगे। हम मरियम और जोसेफ के साथ चरनी के बालक येसु के पास रूकें जो जीवन की रोटी के रुप में जनम लिये हैं। हम उनकी नम्रता और असीमित प्रेम पर चिंतन करें और अपने आप से कहें, धन्यवाद, कोटिशः धन्यवाद क्योंकि इस सारी चीजों को आपने मेरे लिए किया है।

 








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