2016-12-14 15:26:00

लोगों को कलीसिया से दूर करता है याजकवाद


वाटिकन सिटी, बुधवार, 14 दिसम्बर 2016 (सेदोक) :  याजकवाद की भावना, एक बुराई है जो आज कलीसिया में मौजूद है इस भावना के शिकार लोग उपेक्षित और तिरस्कृत महसूस करते हैं। उक्त बातें संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 13 दिसम्बर को अपने प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के दौरान प्रवचन में कही।

संत पापा ने अपने प्रवचन में पुरेहितों को ईश्वर की प्रकाशना की नैतिकता से दूर धर्म के बुद्धिजीवी बनने के खतरे से बचने की चेतावनी दी। ईश्वर में विश्वास करने वाले गरीब और विनम्र लोग "धर्म के बुद्धिजीवियों" की प्रताड़ना के शिकार बनते हैं और जो याजकवाद के बहकावे में आ गये हैं पछतावा करके स्वर्ग राज्य में पहले प्रवेश करेंगे।

सुसमाचार के पाठ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने पुरोहितों और महायाजकों के कार्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि उनके पास न्यायिक, नैतिक, धार्मिक अधिकार था। वे सबकुछ का फैसला ले सकते थे। संत पापा ने अन्नास और कैफस महापुरोहितों का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने येसु के लिए फैसला लिया। उन्होंने लाजरुस को मार डालने का निर्णय लिया था। यूदस भी उनके पास येसु का सौदा करने गया और उसने येसु को बेच दिया। वे कानून को शस्त्र बनाते हुए अहंकारी बन गये और लोगों पर अत्यचार करते गये।

वे अपनी सहुलियत के लिए नियमों को भी बदलते गये और नये नये नियम बनाते गये। यहाँ तक कि उनकी संख्या 500 तक पहुँच गई। वे बुद्धिमान थे और उन्होंने वैज्ञानिक तौर से तर्कसंगत नियम बनाई थी पर वे ईश्वर द्वारा अब्राहाम को दिये पहले नियम "मेरी उपस्थिति में चलो और निर्दोष रहो," को भूल गयेः वे ईश्वर की उपस्थिति में नहीं चले और न ही वे निर्दोष थे।

संत पापा ने कहा कि वे ईश्वर के दिये 10 नियमों को भूल गये और उनके स्थान पर उन्होंने बड़ी होशियारी के साथ भ्राँतिपूर्ण, और जटिल नियम बनाये। उनमें स्मृति का अभाव था जो प्रकाशना को वर्तमान समय से जोड़ता है. अतीत में उनकी प्रताड़ना के शिकार येसु बने। उसी प्रकार उनकी प्रताड़ना का शिकार आज गरीब और विनम्र लोग बनते हैं जो प्रभु में विश्वास करते हैं।

संत पापा ने कहा कि यूदस गद्दार था। उसने बहुत गंभीर और बड़ा पाप किया था, परंतु सुसमाचार में हम पाते हैं कि यूदस ने पश्चाताप किया। वह रुपये लौटाने महापुरोहितों के पास गया था, पर उन्होने उसकी एक न सुनी। उन्होंने कहा यह तुम्हारी समस्या है और उसे अपने गलत कामों का भागी बनाकर अकेला छोड़ दिया। यूदस ने पछतावा किया पर पुरोहितों ने उसे स्वीकार नहीं किया। क्योंकि वे भूल गये कि एक पुरोहित होना क्या मायने रखता है।

संत पापा ने कहा कि आज भी कलीसिया में याजकवाद की भावना देखने को मिलती है पुरोहित सोचते हैं कि वे अन्य लोगों से बेहतर हैं वे लोगों से दूर ही रहना पसंद करते हैं. गरीब, पीड़ित, कैदियों, बीमार लोगों के पास जाने और उनकी बातें सुनने के लिए उनके पास कोई समय नहीं है। आज भी येसु हम सबसे यही कहेंगे, स्वर्ग राज्य में तुम से पहले पापी और वेश्याएँ प्रवेश करेंगे।








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