2016-12-13 14:49:00

हम कभी भी अकेले या अनाथ नहीं हैं, संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, मंगलवार,13 दिसम्बर 2016(सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 12 दिसम्बर का शाम को संत पेत्रुस महागिरजाघर में अमेरिका वासियों की संरक्षिका ग्वारदालूपे की माँ मरियम के पर्व दिवस पर समारोही ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान किया।

संत पापा ने अपने प्रवचन में कहा कि ग्वारदालूपे की माँ मरियम का त्योहार हमें यह याद दिलाता है कि हम अनाथ नहीं हैं। माँ मरियम की आँखों में हमारे लिए प्यार भरा हुआ है और वे हमें उन्हीं की आँखों से हमारे भाई-बहनें को देखने हेतु प्रेरित करती हैं।

संत पापा ने कहा, ″माता मरिया ने अपने जीवन में ईश्वर के वचनों पर विश्वास करते हुए उन्हें स्वीकार किया और जीवन भर सेवा में लगी रहीं। वे खुद नमक और प्रकाश बनकर हमारे जीवन और हमारे समुदायों में उपस्थित हैं और हमें विश्वास की राह पर आगे ले जाती हैं।″

संत पापा ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि आज मानव समाज विभाजन की दिशा की ओर आगे बढ़ रही है इसे ‘अविश्वास का समाज’ कहा जा सकता है। " वह समाज जो अपनी वैज्ञानिक और तकनीकी विकास का दावा करना पसंद करती है पर आँखों से अंधी और असंवेदनशील हो गई है। इसने हजारों लोगों को रास्ते में खो दिया।

 संत पापा ने कहा, ″हमारे प्यारे अमेरिका महादेश वासियों को अब  हजारों बच्चों, युवाओं और बूढ़ों को शहरों की गलियों में भीख माँगते हुए, रेलवे स्टेशनों में या रास्तों में रात बिताते हुए देखने की आदी सी हो गई है और उन गरीब बच्चों को लगता है कि 'जीवन की ट्रेन'  में उनके लिए कोई जगह नहीं है।"

उन्होंने कहा, ″ऐसी परिस्थिति में हमें एलिजबेद के समान कहना चाहिएः ‘आप धन्य हैं क्योंकि आपने विश्वास किया’। हमें हमारी माता की ग्रहणशीलता और दीन सेविका के गुणों को अपनाना चाहिए।

संत पापा ने कहा, ″ग्वारदालूपे की माँ मरिया का त्योहार हमें याद दिलाता है कि हमारे पास हमारी माता है। हम कभी भी अकेले या अनाथ नहीं हैं और जहाँ माँ है वहाँ भाइयों के बीच झगड़ा हो सकता है लेकिन एकता की भावना हमेशा प्रबल होगी।" हम भी जोन दियेगो के समान जान पायेंगे कि हम सब उनकी छत्र छाया में सुरक्षित हैं। वे ही हमारी खुशी का स्रोत हैं और हम उनकी बाहों में हैं।″

मरिया के विश्वास ने उसे प्रेम और सेवा करने के लिए प्रेरित किया। संत पापा ने उपस्थित विश्वासियों को मरिया की तरह दूसरों की सेवा में सदा तैयार रहने और माता मरिया का मनोभाव को ग्रहण करने की प्रेरणा दी।








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