2016-12-12 14:43:00

आगमन पर आनंदित होने का संदेश, संत पापा


वाटिकन सिटी, रोमवार, 12 दिसम्बर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने आगमन के तीसरे रविवार को संत पेत्रुस के प्राँगण में जमा सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को ख्रीस्त के आगमन पर आनंदित होने का संदेश दिया। संत पापा ने कहा, प्रिय भाइयो एव बहनो,

सुप्रभात

आज हम आगमन के तीसरे रविवार में प्रवेश करते हैं जहाँ संत पौलुस हमें आनन्द मानने का निमंत्रण देते हुए कहते हैं, “आप लोग प्रभु में रह समय प्रसन्न रहें। मैं फिर कहता हूँ, प्रसन्न रहें।” यह छिछली या एक भावनात्मक खुशी मात्रा नहीं है और न ही दुनियावी खुशी जो हमें भौतिक वस्तुओं के द्वारा प्राप्त होती है वरन यह वह सच्ची खुशी है जो हमारे अतःस्थल को स्पर्श करती है जिसका एहसास हम मुक्तिदाता येसु के आने की प्रतीक्षा में करते हैं। यह सच्ची खुशी है जो हमें येसु में प्राप्त होती है जो कुंवारी मरियम के द्वारा मानव के रुप में जन्म ले कर इस दुनिया में आते हैं। आज के पाठ हमें इसी खुशी की अनुभूति हेतु तैयार करता है जहाँ नबी इसायस मरुस्थल और निर्जन प्रदेश की चर्चा करते हैं। वे थके-माँदे हाथों और निर्बल पैरों के बारे में कहते हैं, वे हमें हताश दिलों, अंधे, लगड़ों, बहरों और गूँगों के बारे में कहते  हैं जो ईश्वर के बिना हमें निष्प्राण-सी स्थिति का बोध करता है।

संत पापा ने कहा कि लेकिन अंत में मुक्ति की घोषणा की जाती है, “साहस रखो, डरो नहीं, प्रभु ईश्वर आ रहा है वह तुम्हें बचाने आ रहा है।” (इसा. 35,4) इस तरह अचानक सारी चीज़ें बदल जाती हैं, मरुभूमि में हरियाली छा जाती है, हृदयों में खुशी का संचार होता है।(5-6) नबी इसायस के द्वारा घोषित इन सभी बातों में हम मुक्ति की झलक पाते जो येसु ख्रीस्त में पूरी होती है। येसु स्वयं योहन बपतिस्ता के सवाल का उत्तर देते हुए कहते हैं, “अंधे देखते हैं, लगड़े चलते हैं, कोढ़ी शुद्ध किये जाते, बहरे सुनते, मुर्दे जिलाये जाते और ग़रीबों को सुसमाचार सुनाया जाता है।” (मत्ती.11.5)

उन्होंने कहा, “ये शब्द मात्र नहीं हैं वरन ये सच्ची बातें हैं जो हमें यह दिखलाती हैं कि येसु कैसे हमारे लिए मुक्ति लेकर आते, वे हममें नवजीवन का संचार करते हैं।”

अतः हमें निमंत्रण दिया जाता है कि हम अपने हृदय में खुशी को सँजोते हुए ईश्वर की ओर अभिमुख हों। संत पापा ने कहा, “वह ख्रीस्तीय जो अपने जीवन में खुशी और आनन्द का अनुभव नहीं करता सच्चा ख्रीस्तीय नहीं है। उसके जीवन में कुछ कमी है।” यह हमारी अंतरिक खुशी है जो हमारे जीवन में साहस का संचार करती और जीवन में आगे बढ़ने हेतु मदद करती है। येसु हमारे हृदयों में आते और हमें अंतरिक और बाह्य कमजोरियों और गुलामी से निजात दिलाते हैं। वे हमें अपने जीवन में निष्ठावान, धैर्य और अपने कार्य के प्रति ईमानदार बने रहने की कृपा देते हैं।

गलियों, चौराहों और हमारे घरों की सजावटें हमें यह संदेश देतीं हैं कि येसु का जन्म दिन निकट आ रहा है। ये वाह्य निशानी हमें मुक्तिदाता येसु को सदैव अपने जीवन में स्वागत हेतु प्रेरित करती जो सदैव हमारे दिल के द्वारों को खटखटाते और हमारे निकट रहने की चाह रखते हैं। यह हमें उन्हें ग़रीबों और जरूरतमंद लोगों में पहचानने और उनसे मिलने हेतु सजग करता है।

माता मरिया, ईश्वर की दीन सेविका हमारी मदद करे जिससे हम ईश्वर की वाणी को अपने जीवन में सुन सकें और उत्सुकता पूर्वक उनकी सेवा अपने भाई-बहनों में करते हुए बालक येसु हेतु अपने हृदय को तैयार कर सकें। इतना कहने के बाद संत पापा ने विश्वासी समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।  

देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा फ्राँसिस ने अपने संबोधन में विभिन्न आतंकवादी हिंसा में मारे गये लोगों की याद की और सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को उनके लिए प्रार्थना का आहृवान करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो,

हम मिस्र के कैरो में संत मरकुस कोपटिक महागिरजाघर के बाहर हुए बम धमाके में मारे गये 25, सोमालिया में एक आत्मघाती हमले के शिकार एक दर्जन लोगों और शनिवार शाम तुर्की के स्ताम्बुल फुटबॉल मैदान में हुए दो धमाकों में मारे गये 38 लोगों को अपनी प्रार्थनाओं में याद करते हैं। 

हम अपनी प्रार्थनाओं में उन लोगों की भी याद करते हैं जो विश्व के विभिन्न देशों में पिछले दिनों कई दर्दनाक आतंकी हमलों में मारे गये हैं। संत पापा ने कहा कि बहुत सारे स्थान हैं जहाँ मुख्य रूप से हिंसा में कई लोगों की जानें गयीं हैं और जान-माल की क्षति हुई है। लेकिन इसका प्रतिउत्तर भी आश्चर्यजनक है क्योंकि ईश्वर में हमारा विश्वास  हमें एक दूसरे और सामाजिक मूल्यों में पिरो कर एकता में संयुक्त करता है।

उन्होंने कहा, “मैं विशेष रूप से कोपटिक कलीसिया के परमाधिकारी अपने प्रिय भाई प्राधिधर्माध्यक्ष तावद्रोस और सारे समुदाय को अपना आध्यात्मिक सामीप्य प्रदान करता और सभी मृत और घायल भाई-बहनों हेतु अपनी प्रार्थनाएं अर्पित करता हूँ।”  








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