2016-12-10 14:51:00

सिनेमाघरों में भारतीय राष्ट्रीय गान गाया जाए


नई दिल्ली, शनिवार, 10 दिसम्बर 2016 (ऊकान) : भारतीय सुप्रीम कोर्ट के आदेसानुसार हर सिनेमाहाल में 52 सेकंड का राष्ट्रीय गान हर फिल्म से पहले राष्ट्रीय ध्वज की एक छवि के साथ गाया जाएगा। वहाँ उपस्थित सभी लोग खड़े होंगे। उस समय लोगों को आने जाने से रोकने को लिए हाल के दरवाजे बंद कर दिये जाएंगे। कोर्ट ने आदेश को लागू करने के लिए राज्यों को 10 दिन की मोहलत दी है। कोर्ट ने कहा कि इससे नागरिकों में देशभक्ति और राष्ट्रवाद की भावना जगेगी।

आलोचकों का कहना है कि भारत की सत्तारूढ़ सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को आसानी से दुरुपयोग किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से अंधराष्ट्रीयता की बू आती है।।

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है। एक वरिष्ठ मंत्री वेंकैया नायडू का कहना है कि इससे नागरिकों में विशेषकर युवा लोगों में देशभक्ति पैदा होगी।

दिल्ली महाधर्मप्रांत के प्रवक्ता फादर सावरी मुत्तु ने कहा, ″ किसी पर देशभक्ति को थोपा नहीं जा सकता है। हर व्यक्ति राष्ट्रीय गान का सम्मान करेगा। स्कूलों में बच्चों को राष्ट्रीय गान और उसका सम्मान करना सिखाया जाता है। यदि आप कुछ मनोरंजन के लिए जा रहे हैं तो वहाँ आपको सच्चे भारतीय के रुप में अपना पहचान साबित करने की जरुरत नहीं है।″

1960 के दशक के दौरान सिनेमाघरों में फिल्म के अंत में राष्ट्रीय गान गाये जाते थे पर लोग इसपर ध्यान दिये बगैर चले जाते थे इसी वजह से इसे छोड़ दिया गया था।

नेशनल ऑनर एक्ट 1971 के अपमान की रोकथाम के अनुसार, किसी को भी, जो जानबूझकर राष्ट्रीय गान के गायन से रोकता है या किसी भी सभा में गाते समय किसी तरह की गड़बड़ी या बाधा पहुँचाता है तो उसे तीन साल तक की जेल की सजा मिल सकती है।

 दिल्ली की एक पत्रकार केय बेनेडिक्ट को आशंका है कि यह कदम अतिसतर्कता का नेतृत्व करेगी। उन्होंने कहा, "आदेश का कार्यान्वयन एक चुनौती होगी और यह सिनेमाघरों में घटनाओं को जन्म दे सकता है। सरकार और सुरक्षा कर्मियों को अतिरिक्त सावधान रहना होगा"








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