2016-12-10 15:16:00

कठोरता और दुनियादारी पुरोहित की मुसीबतें, पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, शनिवार, 10 दिसम्बर 2016 (सेदोक) : ″मध्यस्थ व्यक्ति दलों को एकजुट करने के लिए अपना पूरा जीवन दे देता है। दिन रात परिश्रम करता और बहुत सारी चीजों का त्याग करता है परंतु पुरोहित एक मधयस्थ के रुप में अपने लोगों को येसु के पास लाने और एकजुट बनाये रखने के लिए येसु की शिक्षा को अपनाना है अर्थात अपने आप को समर्पित कर दास का रुप धारण करता है।″ उक्त बातें संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 9 दिसम्बर को अपने प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में यूखरीस्तीय समारोह के दौरान प्रवचन में कही।

संत पापा ने कहा कि संत पौलुस के नाम फिलीप्पियों के पत्र में हम मध्यस्थ के समर्पण के बारे पाते हैं। ″उन्होंने दास का रुप धारण कर तथा मनुष्यों के समान बनकर अपने को और दीन-हीन बना लिया और मनुष्य का रुप धारण करने के बाद मरण तक, हाँ क्रूस पर मरण तक, आज्ञाकारी बन कर उन्होंने अपने के और भी दीन बना लिया।″ (फिली. 2:7 -8)

यदि पुरोहित अपने आप को दीन-हीन बनाये बिना सिर्फ मध्यस्त बनना चाहे तो वह जीवन में खुश रहने के बजाय हताश हो जाएगा। वह अपनी डींग मारने और दूसरों पर अधिकार जताने में खुशी ढूँढ़ेगा।

संत पापा ने कहा, जो पुरोहित अपना मान सम्मान चाहते हैं वे कठोरता का मार्ग अपनाते हैं। बहुधा वे लोगों से कटे रहते हैं। वे नहीं जानते कि मानवीय पीड़ा क्या है। घर में माँ-बाप, दादा-दादी, भाई-बहनों के साथ रहते समय जो सीखे थे वे सबकुछ भूल जाते हैं। ऐसे कठोर मध्यस्थ खुद तो कुछ करते नहीं पर दूसरों को आदेश देते हैं। बहुधा लोग जो थोड़ी सांत्वना, थोड़ी सी स्वीकृति के लिए आते हैं उनकी कठोरता के कारण दूर चले जाते हैं। एक कठोर और सांसारिकता में लिप्त पुरोहित जब अधिकारी बन जाता है तो खुद अपने आप को उपहास के योग्य बना देता है।

संत पापा ने कहा कि एक अच्छे पुरोहित की पहचान है कि वह बच्चों के साथ खेलना जानता है। उन्हें प्यार करना जानता है। उनके साथ हँस सकता है। वह अपने आप के बच्चों के स्तर तक ला सकता है और उन्हें समझ सकता है।

संत पापा ने मध्यस्त पुरोहितों के रुप में संत पोलीकार्प, संत फ्राँसिस जेवियर और संत पौलुस का उदाहरण देते हुए कहा कि महान संत पोलीकार्प ने आग के भट्ठे में जलना स्वीकार किया पर अपनी बुलाहट से कोई समझौता नहीं किया। जब आग को तेज कर दिया गया तो वहाँ उपस्थित विश्वासियों को रोटी पकने की खुशबू मिली।  उन्होंने कहा, मध्यस्त को अपने जीवन में विश्वासियों के लिए रोटी बनना है

संत फ्राँसिस जेवियर की मृत्यु कम उम्र में चीन को देखते हुए शाँगचुआन के समुद्र तट पर हुई। वे चीन जाना चाहते थे परंतु प्रभु ने उसे अपने पास बुला लिया। संत पापा ने तीसरा उदाहरण संत पौलुस का देते हुए कहा कि सैनिक बड़े सबेरे पौलुस को मार डालने ले गये। संत पौलुस जानते थे कि यह ख्रीस्तीय समुदाय के कुछ सदस्यों के विश्वासघात की वजह से हुआ। उन्हें जीवन में बहुत यंत्रणाएँ सहनी पड़ी। अंत में उन्होंने प्रभु के लिए अपने आप को बलिदान चढा दिया।

प्रवचन के अंत में संत पापा ने उपस्थित विश्वासियों को इन तीन पुरोहितों के समान अच्छे मध्यस्त बनने की प्रेरणा दी।








All the contents on this site are copyrighted ©.