2016-12-07 14:44:00

ईश्वर की कोमलता हमारी मुक्ति, संत पापा


वाटिकन सिटी, बुधवार, 7 दिसम्बर 2016 (वीआर सेदोक): जो ईश्वर की कोमलता से परिचित नहीं है वह ख्रीस्तीय सिद्धांत को नहीं जानता है। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 6 दिसम्बर को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

प्रवचन में संत पापा ने संत मती रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु खोयी हुई भेड़ का दृष्टांत सुनाते हैं।

संत पापा ने कहा कि प्रभु हमारी देखभाल करना कभी नहीं छोड़ते। उन्होंने ईश्वर को एक दयालु न्यायकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया जो स्नेह और कोमलता के पूर्ण हैं तथा हमारी मुक्ति के लिए कुछ भी करने हेतु तैयार रहते हैं। ″वे हमें दण्ड देने नहीं बल्कि बचाने आते हैं। हम प्रत्येक से प्रेम करते हैं और हमें नाम से जानते हैं। हम जो हैं उसी रूप में वे हमसे प्रेम करते हैं।″

खोयी हुई भेड़ के खोने के कारण पर गौर करते हुए उन्होंने कहा कि वह इसलिए नहीं खो गयी कि वहाँ परिसर का अभाव था किन्तु इसलिए क्योंकि उसका हृदय बीमार था। वह प्रभु से अलग होने के लिए दूर चली गयी थी तथा आंतरिक अंधकार से घिरी हुई थी।

इस बात को इंगित करते हुए कि प्रभु इन सारी बातों को जानते हैं तथा खोयी हुए भेड़ को खोजने जाने से कभी इन्कार नहीं करते, संत पापा ने कहा कि यूदस के प्रति येसु का मनोभाव प्रतीकात्मक था।

उन्होंने कहा, ″सुसमाचार में यूदस खोयी हई भेड़ का एक उत्तम उदाहरण है, वह कड़वाहट से भरे हृदय का व्यक्ति था, एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास दूसरों की शिकायत हेतु अनेक कारण था और वह हमेशा अलग रहता था। वह दूसरों के साथ मिलकर रहने के मिठास को नहीं जानता था। इस प्रकार वह एक असंतुष्ट व्यक्ति था। संत पापा ने कहा कि अपने हृदय में अंधकार के कारण यूदस दल से भटक गया था।

अंधकार एक व्यक्ति को दोहरी जिंदगी की ओर ले जाता है, दोहरी जिंदगी जो कई ख्रीस्तीयों, पुरोहितों एवं धर्माध्यक्षों को कड़वाहट से भर देता है।

संत पापा ने कहा कि हम में से प्रत्येक भी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खोयी हुई भेड़ की तरह हैं। यह भले ही बड़ी गलती न हो किन्तु हृदय की एक बीमारी है जो भटकने के लिए मजबूर करती है जो कि शैतान का काम है।

यूदस का हृदय विभाजित था, जो अंधकार के कारण किया गया था। जब उसे अपने अंदर की बुराई का पता चला, तब उससे अपने को बचाने हेतु एक कृत्रिम प्रकाश में अपने लिए रास्ता ढ़ँढ़ा जो प्रभु का प्रकाश नहीं था।

संत पापा ने कहा कि बाईबिल हमें बतलाता है कि ″प्रभु भले हैं वे खोयी हुई भेड़ की खोज करना कभी नहीं छोड़ते। जब वे भटकी हुई भेड़ को पा लेते हैं वे उसका अपमान नहीं करते चाहे वह कितना भी हानि क्यों न किया हो। येसु यूदस को गेतसेमनी बारी में भी ‘मित्र’ ही पुकारते हैं जो ईश्वर के स्नेह को दर्शाता है।

″जो ईश्वर के स्नेह को नहीं जानते हैं वे ख्रीस्तीय सिद्धांत को भी नहीं जानते और जो अपने आप को प्रभु द्वारा दुलार किये जाने नहीं देते हैं वे खोये हुए हैं।

संत पापा ने ईश्वर की कोमलता जो हमें मुक्ति प्रदान करती एवं कलीसिया में वापस लाती है उसे खोजने की सलाह दी तथा प्रार्थना की कि जब हम ख्रीस्त जयन्ती का इंतजार कर रहे हैं, हम ईमानदारी पूर्वक अपने पापों को देख पाने के लिए ईश्वर से कृपा मांगे ताकि ईश्वर की कोमलता हमें सांत्वना प्रदान करे।








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