कोलोम्बो, शुक्रवार, 2 दिसम्बर 2016 (मैटर्स इंडिया): तेजे प्रार्थना जो अंतरधार्मिक प्रार्थना के रूप में स्थापित है, ‘फेडेरेशन ऑफ एशियन विशप्स’ (एफएबीसी) के सम्मेलन का 16 वर्षों से एक अभिन्न अंग बना हुआ है।
इसकी शुरूआत महाधर्माध्यक्ष थॉमस मेनामपरमबिल ने उस समय की थी जब वे एफएबीसी के अध्यक्ष थे तथा जब उन्होंने फाँस के तेजे समुदाय का दौरा किया था।
उन्होंने अपना अनुभव कलकत्ता के पूर्व महाधर्माध्यक्ष हेनरी डीसूजा से साझा किया था जो उस समय एफएबीसी के महासचिव थे तथा आग्रह किया था कि तेजे के ब्रादरों को एफएबीसी सम्मेलन का हिस्सा बनने के लिए बुलाया जाए।
महाधर्माध्यक्ष मेनामपरमबिल ने इस बात पर जोर दिया था कि ″तेजे समुदाय द्वारा प्रोत्साहित एक साथ प्रार्थना, एशिया के धर्माध्यक्षों को अपने क्षेत्रों में विभिन्न मामलों का सामना करने में आध्यात्मिक सहायता देगा।″
तेजे समुदाय के ब्रा. अलोइस ने कहा कि 11वें एफएबीसी में भाग लेते हुए उन्हें खुशी का अनुभव हो रहा है जो श्रीलंका के कोलोम्बो में चल रहा है तथा जहाँ करीब 40 देशों के प्रतिभागी हिस्सा दे रहे हैं।
28 नवम्बर से 4 दिसम्बर तक आयोजित इस सम्मेलन की विषयवस्तु है, ″एशियाई काथलिक परिवार: करुणा की प्रेरिताई हेतु गरीबों की घरेलू कलीसिया।″
ब्रा. अलोइस ने कहा, ″दिनभर के विचार-मंथन के पश्चात् शाम को हमारा मुख्य कार्य है तेजे प्रार्थना जारी रखना। इसके द्वारा धर्माध्यक्ष अपने सारे विचारों एवं मुद्दों को ईश्वर के करीब लेकर आते हैं।″ उन्होंने यह भी कहा कि प्रार्थना धर्माध्यक्षों को मदद देता है कि वे लोगों की सेवा एवं देखभाल हेतु तीव्र चाह प्रकट कर सकें। यह एकता का एक सुन्दर नमूना है।
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