वाटिकन सिटी, बुधवार, 30 नवम्बर 2016 (सेदोक): एक सच्ची ख्रीस्तीय विनम्रता "बच्चों का सा" सदगुण है और यह एक नाटकीय विनम्रता कभी नहीं है। उक्त बातें संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार को प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करने के दौरान कही।
संत पापा ने संत लूकस के सुसमाचार पाठ पर चितन करते हुए अपने प्रवचन में कहा, कि ईश्वर अपने आप को बुद्धिमान और विद्वानों की अपेक्षा विनम्र और बच्चों के समान दीन हीनों के सामने प्रकट करते हैं। संत पापा ने कहा कि नबी इसायस का ग्रंथ भी छोटी बातों के संदर्भ से भरा है जैसे छोटी टहनी जो येस्से की ठूंठ से अंकुरित होगी, सेना की अपेक्षा वो मुक्ति लायेगी। क्रिसमस की कहानी भी छोटे और विनम्र संदर्भों से भरी है। छोटा बालक, छोटी गौशाला, एक माता, एक पिता....छोटे बच्चे. बच्चों का सा मनोभाव रखने वाले लोग बड़े दिल वाले होते हैं।
संत पापा ने कहा कि केवल बच्चों के जैसे लोग ही पूरी तरह से विनम्रता की भावना और प्रभु के भय को समझने में सक्षम हैं क्योंकि वे प्रभु के सामने चलते हैं। वे प्रभु की देखरेख में सुरक्षित हैं।
ख्रीस्तीय विनम्रता के अर्थ है प्रभु के भय में जीना। प्रभु का भय एक आतंक नहीं है पर हम प्रभु के भय को इस तरह देख सकते हैः आप ईश्वर हैं और मैं एक मनुष्य हूँ। मैं जीवन की छोटी बातों के साथ आपकी उपस्थिति में यात्रा कर रहा हूँ और उत्तम होने की कोशिश में हूँ।
विनम्रता के बारे किसी ने कहा था, ‘मैं विनम्र हूँ और विनम्र होने का गर्व है। संत पापा कहते हैं, नहीं यह सच्ची विनम्रता नहीं है। बच्चे के समान विनम्र वह है जो प्रभु की उपस्थिति में चलता हैं वह दूसरों के बारे में बुरी बातें नहीं करता, दूसरों की सेवा करता और उसे लगता है कि वह सबसे छोटा है.... और यहीं उसकी ताकत निहित है।
संत पापा ने कहा कि मरियम की विनम्रता को हम देख सकते हैं। जैसे ही उसने अपनी चचेरी बहन के बारे सुनी। अपनी परवाह किये बिना उनकी मदद के लिए चल पड़ी। दीन हीन लोग इसी प्रकार के हैं वे प्रभु की उपस्थिति में आनंदपूर्वक आगे बढ़ते जाते हैं।
अंत में संत पापा ने उपस्थित भक्त समुदाय को प्रभु से विनम्रता का सद्गुण तथा प्रभु से भय और उत्तम बनने की कृपा मांगने की प्रेरणा दी।
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