2016-11-30 16:09:00

एचआईवी से पीड़ित लोगों को मदद की जरुरत


नई दिल्ली, बुधवार 30 नवम्बर 2016 (ऊका समाचार) :  22 नवम्बर 2016 को एक राष्ट्र संघ द्वारा जारी एड्स की रिपोर्ट के अनुसार सन् 2010 से भारत और एशिया प्रशांत के देशों में इलाज कराने वाले लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है। रेकार्ड के अनुसार 21 लाख लोग जीवनरक्षक दवाओं का सेवन कर कहे हैं। भारत के कार्यकर्ता इसे अपनी उपलब्धि मानते है पर उनका कहना है कि इस क्षेत्र में और कार्य करने की आवश्यकता है।

कार्यकर्ता जेम्स वेलियथ के अनुसार राष्ट्र संघ द्वारा जारी एड्स की रिपोर्ट, इस रोग से ग्रस्त लोगों के लिए काम कर रहे हरेक कार्यकर्ता के लिए एक सकारात्मक संकेत है। "लेकिन मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में उन क्षेत्रों को चिन्हित करने की जरूरत है जहां लोगों को एचआईवी इलाज के लिए दवाईयाँ उपलब्ध नहीं है।

दुनिया में एचआईवी के साथ जी रहे लोगों की कुल संख्या में भारत तीसरे स्थान पर है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के 2015 के रिपोर्ट के अनुसार भारत में 21 लाख लोग वायरस के साथ जी रहे है।  86,000 नए मामले सामने आए हैं और एड्स से 67,000 लोगों की मृत्यु हुई है।

भारतीय धर्माध्यक्षीय स्वास्थ्य सेवा कार्यालय के सचीव फादर मैथ्यू पेरुम्पिल ने ऊका समाचार को बताया कि काफी संख्या में लोग इलाज कराने आते हैं और यही बीमारी को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है।

लेकिन इतने से ही हमें संतुष्ट नहीं होना चाहिए। हमें सावधानी पूर्वक उन पीड़ित लोगों की खोज करनी चाहिए जो इलाज से वंचित हैं।

भारत के काथलिक स्वास्थ्य संघ (चाय) के निदेशक फादर मैथ्यू अब्राहाम ने ऊका समाचार से कहा कि एचआइवी/ एड्स अब एक घातक बीमारी नहीं है। आजकल लम्बे समय तक जीवित रहने की दवाईयाँ उपलब्ध हैं। चाय एचआईवी के साथ जी रहे लोगों की व्यापक देखभाल और एक सम्मानजनक जीवन व्यतीत कराने की कोशिश कर रही है।  








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