2016-11-29 11:51:00

इस्तानबुल समझौते की पुष्टि न करने का धर्माध्यक्षों ने किया आह्वान


ब्राटिस्लावा, मंगलवार, 29 नवम्बर 2016 (सेदोक): स्लोवाक गणतंत्र के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष स्टानिसलाव ज़्वोलेन्सकी ने सरकार से अपील की है कि वे अन्तरराष्ट्रीय दबाव में न आकर मई 2011 के इस्तानबुल समझौते की पुष्टि न करे।

धर्माध्यक्ष ज़्वोलेन्सकी ने कहा कि इस्तानबुल समझौते का पाठ वैचारिक रूप से अनुचित लिंग परिभाषाओं से परिपूर्ण है जो मानवीय अनुभव एवं सामान्य ज्ञान से खाली है। 

25 नवम्बर को स्लोवाक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन द्वारा जारी एक वकतव्य में कहा गया कि महिलाओं के विरुद्ध किसी भी प्रकार की हिंसा निन्दनीय और अस्वीकार्य है तथा किसी भी स्थिति में इसे सहा नहीं जा सकता है। 

धर्माध्यक्षों के वकतव्य में कहा गया, "यूरोपीय समिति द्वारा 11 मई 2011 को प्रस्तावित इस्तानबुल समझौते में लिंग को जैविक यौन से अलग किया गया है जिससे भ्राँति उत्पन्न हो सकती है तथा जिसका दुरुपयोग किया जा सकता है। समझौते से यह धारणा बनती है कि हर न मानव व्यक्ति का जन्म "तटस्थ" रूप में होता है तथा पुरुषत्व एवं नारीत्व या अन्य लिंग शिक्षा और सामाजिक परिस्थितियों या व्यक्तिगत रुचि का परिणाम होती है।" धर्माध्यक्षों ने कहा कि यह अवधारणा मानवीय अनुभव एवं सामान्य ज्ञान के विपरीत है।        

धर्माध्यक्षों ने कहा कि इस्तानबुल समझौते का वर्तमान पाठ बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के माता-पिता के अधिकार का उल्लंघन करता है और साथ ही यह धार्मिक स्वतंत्रता का भी हनन करता है। उन्होंने कहा कि हालांकि समझौता "लिंग सम्बन्धी रूढिबद्धधारणा" के विरुद्ध है तथापि, इसमें प्रयुक्त साधनों का दुरुपयोग हो सकता है जो लिंग विचारधारा से असहमत ग़ैरसरकारी एवं कलीसियाई संगठनों को दबा सकते हैं।








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