2016-11-26 16:11:00

सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन संबंधी विधेयक पारित किये जाने पर कलीसिया का विरोध


भोपाल, शनिवार, 26 नवम्बर 2016 (ऊकान): झारखंड में आदिवासियों की भूमि अधिग्रहण में संशोधन विधेयक पारित कर, उसे उद्योगों और खनन के लिए उपलब्ध कराने पर भारत की कलीसिया ने खेद प्रकट करते हुए कहा है कि इस मामले के विरोध में आदिवासियों के विशाल प्रदर्शन की अनदेखी की गयी। 

झारखंड राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने 23 नवम्बर को सीएनटी एक्ट में संशोधन संबंधी विधेयक पारित किया। इस संशोधन के द्वारा आदिवासियों की जमीन के हस्तांतरण में जो रोक थी उसे पूरी तरह हटा दिया गया है। 

आदिवासियों की जमीन के हस्तांतरण पर रोक का उद्देश्य था कि अशिक्षित एवं गरीब आदिवासियों से उनकी जमीन न छीन जाए क्योंकि वही उनकी जीविका का एकमात्र साधन है जबकि संशोधन विधेयक पारित हो जाने पर, अब उद्योग एवं खनन के लिए कोई भी आदिवासियों की जमीन को खरीद सकता है। 

विधेयक 82 सीटों वाली राज्य विधानसभा में विपक्ष के जोरदार विरोध के बीच पारित कर दी गयी जिसमें बीजेपी की 43 सीटें हैं। झारखंड राज्य की स्थापना 2000 ई. में आदिवासियों के कल्याण के मद्देनजर की हुई है जहाँ लोगों की कुल आबादी 33 मिलियन है तथा 26 प्रतिशत लोग आदिवासी समुदाय से आते हैं।

झारखंड की राजधानी राँची के सहायक धर्माध्यक्ष तेलेस्फोर बिलुँग ने कहा, ″संशोधन से राज्य के गरीब आदिवासी लोगों को आघात पहुँचेगा तथा उनका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जायेगा।″ 

संशोधन का विरोध करने वालों का कहना है कि इसके द्वारा अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय को आदिवासियों की जमीन के बड़े हिस्से पर कब्जा करने में सहायता मिलेगी, फलस्वरूप, बड़े पैमाने पर आदिवासियों का विस्थापन होगा जो उनके अस्तित्व एवं सामुदायिक जीवन पर गंभीर असर डालेगा।  

धर्माध्यक्ष बिलुँग जो खुद एक आदिवासी परिवार से आते हैं उन्होंने कहा कि अधिकतर आदिवासी गाँवों में रहते हैं तथा जीविका के लिए कृषि एवं जंगल से प्राप्त संसाधनों पर निर्भर करते हैं। इस संशोधन ने उनके जीवन को अत्यन्त गंभीर जोखिम में डाल दिया है। 

उन्होंने ऊका समाचार से कहा कि कलीसिया इसका विरोध करती है क्योंकि इसने आदिवासियों की जमीन को बेचने एवं खरीदने हेतु सभी के लिए पूरी तरह खोल दी है।

25 नवम्बर को राज्य भर में सैंकड़ों लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया।

राज्य भर में कुल 1.5 मिलीयन लोग ख्रीस्तीय है तथा कम से कम आधे लोग काथलिक, जिनमें से अधिकतर आदिवासी समुदाय से आते हैं।

झारखंड के मुख्य मंत्री रघुवरदास ने राज्य सभा में कहा था कि संशोधन राज्य एवं लोगों के हित में हैं तथा इसका लाभ आदिवासियों एवं ग़रीबों को मिलेगा।

संशोधन विधेयक पारित होने से रोकने के लिए पहले ही, कलीसिया एवं आदिवासी समुदाय के लिए कार्य करने वाले विभिन्न सामाजिक मंचों ने कई प्रदर्शन किये थे जिसके लिए मुख्य मंत्री ने उनपर ख्रीस्तीय समुदाय पर विरोध को बढ़ावा देने एवं ग़रीबों का धर्मांतरण करने का आरोप लगाया था।








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