2016-11-25 15:51:00

कलीसियाई सामाजिक सिद्धान्त त्योहार हेतु संत पापा का वीडियो संदेश


वाटिकन रेडियो, शुक्रवार 24 नवम्बर 2016  (वी आर) संत पापा फ्रांसिस ने 6वीं कलीसियाई सामाजिक उत्सव मनाने हेतु लोगों को एक दूसरे के साथ संबंध स्थापित करने और अपनी खुशी को एक दूसरे के साथ साक्षा करने का संदेश दिया।

वेरोना में 24 से 27 नवम्बर तक मनाये जाने वाले इस समारोह की विषयवस्तु “इन मेत्सो आला जेन्ते” (लोगों के बीच) है जो लोगों को अपने हुनर की अभिव्यक्ति का अवसर प्रदान करते  हुए अपने तानाशाही विचारों के प्रति सतर्क रहने के अवसर उत्पन्न करेगा जो समाज में गरीबी और असमानता उत्पन्न करती है।

संत पापा ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि यह एक अति बृहद सच्चाई को बयाँ करती है, हम एक दूसरे के साथ मिलकर रहने हेतु बुलाये गये हैं। हमारी मानवता कितनी धनी हो जाती है जब हम अपनी विभिन्न परिस्थिति के बावजूद एक साथ मिलकर रहते हैं। हमारा अलग रहना हमें क्षति पहुँचाती है। यह हमारे बीच भय और अविश्वास उत्पन्न करता और भ्रातृत्व की खुशी मनाते में बाधक सिद्ध होता है। हम एक दूसरे को इस बात से अवगत कराये कि जब हम अपने को खोलने के बदले बंद कर लेते हैं तो हम अपने में अधिक जोखिम उठाते और अपने को चोट पहुँचाते हैं। जब हम दूसरों की सेवा करते हैं तो इसके द्वारा हम अपने जीवन को सहज बनाते हैं।

“लोगों के बीच” रहना अपने को केवल दूसरों के लिए खोलना नहीं है लेकिन दूसरों को अपने करीब में आने देना है। यह हमें दूसरे के द्वारा देखने, स्पर्श करने, सहायता करने और चुनौती देने की माँग करता है। यह संबंध हमें एक दूसरे के साथ अपने जीवन के अनुभवों को साझा करने की माँग करता है। हमारे बीच में सच्चा मानवीय धन है जहाँ हम अपने परिवारों और समुदायों के मध्य एकता, सहायता और सेवा का अनुभव करते हैं। जिस सम्मान के साथ लोग अपनी आर्थिक समस्याओं, कष्टों, जीवन की कठिन परिस्थितियों और अन्य चुनौतियों का सामना करते हैं वह हमें प्रेरित करता है। ऐसे लोगों से मिलकर हम उनकी महानता से प्रेरित होते और अपने भविष्य हेतु आशावान बने रहते हैं जहाँ हमें इस तथ्य पर विश्वास होता है कि बुराई की तुलना में अच्छाई अधिक शक्तिशाली है। लोगों के साथ रहने का अर्थ है उनके जीवन से सीखना है।

संत पापा ने कहा कि मुझे एक 19 वर्षीय लकड़ी की मृत्यु के बारे में बतलाया गया। दफन की धर्मविधि में भाग लेने वालों ने बतलाया कि यह एक अति दुःखदायी क्षण था। लेकिन पूरी धर्मविधि में लोग निराश की स्थिति से ही नहीं अपितु एक शांतिमय वातावरण से प्रभावित हुए। लोगों ने एक दूसरे से इस बात का जिक्र किया कि धर्मविधि में सहभागी होना उनके लिए सुकून अनुभव करने वाला क्षण रहा। मृत लड़की की माता ने कहा, “मुझे सांत्वना की कृपा प्राप्त हुई”। हमारा जीवन ऐसी ही चीजों के ताने-बाने से बना है। हम शब्दों के बिना भी उन चीजों का एहसास अपने जीवन में करते हैं जो हमारे जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण है।

लोगों के बीच रहने का अर्थ इस बात को अनुभव करना है कि हम अन्यों के जीवन के अंग हैं। जीवन हमारे लिए संभव होता है क्योंकि बहुत सारे लोग हमारे जीवन से जुड़े हुए हैं। एक साथ रहना हमें पूरे परिदृश्य को देखने में मदद करता है। जब हम पूरे परिदृश्य को देखते हैं तो हमारी अन्तःदृष्टि धनी होती जहाँ हम इस बात का अनुभव कहते हैं कि सामाजिक आयाम में हम सबों का एक विशेष स्थान है। जब लोग अपने में रहते और जब निर्णय लोगों के सुझाव की अपेक्षा ताकत के अनुरूप लिया जाता, जहाँ शक्तिशाली पद पर होने वाले अपने को महत्वपूर्ण समझते और अपने अनुरूप निर्णय लेते हैं तो समाज की शांति गंभीर खतरे में पड़ जाती है। यह गरीबी को बढ़ाती और शांति का दोहन करती, जहाँ धन का बोलबाला और लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अतः लोगों के बीच रहना न केवल व्यक्ति विशेष अपितु सबों के लिए लाभप्रद होता है।

लोगों के बीच रहना अनेकता में एकता, संस्कृतियों, जातियों और धर्मों के बीच समुदायिकता के भाव को जागृत करती है जहाँ हम एक दूसरे की विभिन्नता से अपने को संपन्न बनाते हैं। जब हम एक साथ रहते हैं तो मानवता का अनुभव करते हैं जो केवल दिमाग की उपस्थित नहीं वरन् हृदय का मिलन बनता है। लोगों से कठिनाइयों को समाप्त करने हेतु हमें जमीनी स्तर से शुरु करने की जरूरत है जहाँ हमें साहस के साथ गरीबों और हाशिये में पड़े लोगों की ओर ध्यान देते हुए अपने हाथों को गंदा करने की आवश्यकता है।

यह हमारे जेहन में एक सवाल ले कर आता है, “यह कैसे संभव है”? इसका उत्तर हम मरिया की ओर अपनी नजरे फेरते हुए पाते हैं। उन्होंने नम्रता में दूसरों की सेवा की, क्योंकि वह करुणा में दूसरों के साथ चलीं। वह कभी केन्द्र पर नहीं  रहीं लेकिन अपनी निरंतर उपस्थित में ठोस रुप से अपने कामों को पूरा किया। यदि हम उनकी ओर चले तो हम लोगों के बीच रहने हेतु सर्वोतम तरीके को खोज पायेंगे। उनकी ओर देखते हुए हम बिना पूर्वग्रह और भय से मानवीय राह पर चल सकते हैं। उनके साथ रहते हुए हम किसी को अपने से अलग नहीं कर सकते हैं। 








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