2016-11-21 15:47:00

टीवी 2000 के साथ साक्षात्कार में संत पापा ने किया ‘करुणा शुक्रवारों’ का स्मरण


वाटिकन सिटी, सोमवार, 21 नवम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने ‘टीवी 2000’ एवं ‘रेडियो इनब्लू’ को दिये एक साक्षात्कार में करूणा के असाधारण जयन्ती से संबंधित कई सवालों का उत्तर दिया जिसकी समाप्ति रविवार को पवित्र द्वार को बंद करते हुए किया गया।

लम्बी बातचीत में उन्होंने गर्भपात पर कलीसिया की शिक्षा पर प्रकाश डाला तथा उसे भयावाह अपराध एवं महापाप कहा। मृत्यु दण्ड का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि ″कोई दण्ड वास्तविक नहीं हो सकता जो आशा विहीन हो। यदि किसी दण्ड में कोई आशा न हो तो यह ख्रीस्तीय दण्ड नहीं है और न ही मानवीय।″ उन्होंने आजीवन कारावास के प्रति भी असहमति जतायी क्योंकि यह कैदियों के, समाज में पुनः मुक्त रूप से शामिल हो पाने की आशा को समाप्त कर देता है।   

गर्भपात पर टिप्पणी करते समय उन्होंने अस्पताल का दौरा करते हुए नवजात वार्ड की याद की तथा एक अन्य केंद्र में मानव तस्करी के शिकार लोगों से मुलाकात की घटना का जिक्र किया, दोनों ही घटनाएँ करुणा के जयन्ती वर्ष में शुक्रवार को किये गये करुणा के ठोस कार्यों के हिस्से हैं जिसको उन्होंने हर माह पूरा किया है।

संत पापा ने ‘गरीब कलीसिया’ के नवीनीकरण का भी आह्वान किया जिसे ग़रीबों के लिए होना चाहिए जबकि उन्होंने धन के प्रलोभन से बचने हेतु सचेत किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर का सबसे बड़ा शत्रु है धन क्योंकि बुराई हमेशा पॉकेट द्वारा प्रवेश करता है।

संत पापा ने प्रशंसा के प्रति अपनी असहजता को प्रकट किया तथा कहा कि ‘खुशामदी’ से उन्हें एलर्जी है। उन्होंने कहा कि जो लोग झूठी प्रशंसा करते हैं वे लोगों को अजमाते हैं। लोगों को खुशामद करने का अर्थ उन्हें अपने मतलब के लिए प्रयोग करना है, चाहे यह प्रत्यक्ष हो अथवा अप्रत्यक्ष किन्तु वे अपने लिए कुछ हासिल करना चाहते हैं। 








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