2016-11-15 10:30:00

नोट बन्द करने से निर्धन की स्थिति हुई बदत्तर


नई दिल्ली, मंगलवार, 15 नवम्बर 2016 (एशिया न्यूज़): भारत सरकार द्वारा एक हज़ार और पाँच सौ के नोट बन्द करने की घोषणा के बाद से देश के निर्धनों की स्थिति पहले से कहीं अधिक बदत्तर हो गई है। 

एशिया न्यूज़ से बातचीत में एक सूत्र ने बताया कि देशभर में बैंकों, एटीएम और डाकघरों में लम्बी-लम्बी कतारें लगी हुई हैं तथा निर्धन एवं मध्यमवर्ग के लोगों के पास प्राथमिक आवश्यकता की चीज़े ख़रीदने के लिये पैसे नहीं हैं। केन्द्र सरकार के इस फ़ैसले से आम जनता की परेशानी के चलते विपक्षी राजनैतिक दल तथा कुछेक मानवाधिकार संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं।

इस फ़ैसले के बचाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि कालेधन को बाहर निकालने, नकली नोटों को ख़त्म करने और आतंकवाद के आर्थिक स्रोतों को समाप्त करने लिए उनकी सरकार ने यह फैसला लिया है।  

इसी बीच, विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार के इस फ़ैसले का उद्देश्य कुछ ख़ास व्यापारिक घरानों को फ़ायदा पहुंचाना था। विपक्षी दलों ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार ने इस फ़ैसले की सार्वजनिक घोषणा से पहले ही अपने करीबी लोगों को इसकी जानकारी दे दी थी।

रिपोर्टों के अनुसार पहले-पहल लोगों ने सरकार के इस फ़ैसले को सकारात्मक बताया था किन्तु बाद में यह पता लगा कि पाँच सौ एवं एक हज़ार के नोटों को बदलने के लिये बैंकों में धन शेष नहीं रह गया है जिससे सामान्य जनता को परेशानियाँ उठानी पड़ रही हैं।

काँग्रेस पार्टी सहित आम आदमी पार्टी के नेता एवं दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल तथा पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बेनर्जी ने भी सरकार के इस फ़ैसले का विरोध किया है तथा संसद के अगले सत्र में सम्पूर्ण मामले के खुलासे की मांग की है।








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