2016-11-12 16:54:00

स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, शनिवार, 12 नवम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की प्रेरिताई में संलग्न परमधर्मपीठीय समिति के 31वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिभागियों को एक संदेश प्रेषित कर कहा कि वे बीमारों की सेवा में अधिक उदार बनें।

शनिवार को प्रेषित अपने संदेश में उन्होंने कहा कि आप दुनिया के विभिन्न स्थानों से ‘दुर्लभ’ विषय पर विकृतियां और 'उपेक्षित'  रोगों तथा उनके विभिन्न आयामों पर विचार करने एकत्र हैं। सम्मेलन वर्तमान स्थिति का जायजा लेते हुए तथा जीवन, प्रतिष्ठा एवं रोगियों के अधिकारों के सम्मान पूर्ण मूल्यों द्वारा स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में विशेष व्यवहारिक निर्देशन देना चाहती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाल के आँकड़ों से पता चलता है कि विश्व में 400 मिलियन लोग ‘दुर्लभ’ रोगों से ग्रस्त हैं। 'उपेक्षित' रोगों का परिदृश्य इसलिए भी अधिक विचारणीय है, क्योंकि वे एक अरब से अधिक लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। कई भूभागों में यह संक्रामक रोग के रूप में है जो ग़रीबों को सबसे अधिक प्रभावित कर रहा है।

संत पापा ने कहा कि अतः इस महामारी की चुनौती विज्ञान, निदान, चिकित्सा, स्वच्छता एवं आर्थिक दृष्टिकोण से विशाल है क्योंकि इसमें वैश्विक स्तर पर उत्तरदायित्व एवं प्रतिबद्धता है।

उन्होंने कहा कि यह सचमुच एक बड़ी चुनौती है किन्तु असम्भव नहीं है बशर्ते कि मानवीय संबंधों का ख्याल कर विभिन्न संस्थाओं से मिलकर आवश्यकताओं की खोज की जाए। उनमें से काथलिक कलीसिया भी एक है जो हमेशा अपने प्रभु येसु से प्रेरित एवं संचालित होती है। जो क्रूस पर ठोंके गये तथा फिर जी उठे जो रोगियों और चिकित्सकों दोनों का प्रतिनिधित्व करते हैं।  

संत पापा ने स्वास्थ्य सेवा की सार्थकता बतलाते हुए कहा कि चूँकि मानव, व्यक्ति का विशिष्ट मूल्य है अतः वह किसी भी तरह की बीमारी से ग्रसित क्यों न हो उसका बिना हिचकिचाहट के स्वागत किया जाए, चिकित्सा की जाए तथा यदि सम्भव हो तो चंगा किया जाए।

उन्होंने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कलीसिया की प्रतिबद्धता पर ध्यान देते हुए कहा कि कलीसिया की प्राथमिकता अपने आप से बाहर आने की तत्परता रही है जिससे वह दिव्य करुणा का साक्ष्य दे सके विशेषकर, हाशिए पर जीवन यापन करने वाले लोगों के प्रति अपनी सेवा भावना दिखा कर।

संत पापा ने अपने संदेश के तीसरे बिन्दु के रूप पर न्याय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी भावना है जिसके द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को यथोचित सम्मान देना अर्थात् स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक वस्तुओं को सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध करना।

उन्होंने स्वास्थ्य के संबंध में काथलिक कलीसिया की सामाजिक शिक्षा को प्रस्तुत करते हुए तीन प्रमुख सिद्धांतों को प्रकट किया, सामाजिकता, जिसके तहत व्यक्ति की अच्छाई के लिए पूरे समाज द्वारा सम्मान दिया जाना। अतः स्वास्थ्य की देखभाल करना मात्र एक कर्तव्य नहीं हैं किन्तु एक सामाजिक हित का कार्य है ताकि अधिक से अधिक लोग स्वस्थ रहें और एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो। दूसरा सिद्धांत है अनुपूरक, जो एक ओर समाज का समर्थन प्राप्त करता, प्रोत्साहित होता तथा विकासित करता है, वहीं प्रत्येक व्यक्ति जब कोई अपनी बीमारी के कारण असमर्थ है तो उसकी बाधाओं से बाहर आने में उसकी मदद करता है। तीसरा सिद्धांत है स्वास्थ्य सेवा रणनीति का चिह्नित किया जाना जिसके तहत व्यक्ति को मूल्यवान समझना तथा एकात्मता द्वारा सार्वजनिक हित में भाग लेना।

संत पापा ने कहा कि इन तीनों सिद्धांतों का पालन सभी लोगों को करना चाहिए। उन्होंने प्रोत्साहन देते हुए कहा कि व्यक्ति के प्रेम, खासकर पीड़ित व्यक्ति के नाम पर, मैं आप सभी को शुभकामनाएँ देता हूँ कि नवीकृत शक्ति तथा बीमार लोगों के प्रति उदार समर्पण द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में सार्वजनिक हित के अथक प्रयास प्रेरित होते रहें। 

 

Usha Tirkey








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