2016-11-12 16:48:00

येसु के प्रेम एवं दया से कोई भी बहिष्कृत नहीं


वाटिकन सिटी, शनिवार, 12 नवम्बर 2016 (वीआर सेदोक): ″शनिवार को जयन्ती के इस अंतिम आमदर्शन में, मैं करुणा के एक महत्वपूर्ण पक्ष को प्रस्तुत करना चाहता हूँ जो है समावेश। ईश्वर अपने प्रेम की योजना में किसी का बहिष्कार करना नहीं बल्कि सभी को सम्मिलित करना चाहते हैं।″ उक्त बात संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में शनिवार 12 नवम्बर को करुणा की जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित अंतिम आमदर्शन समारोह के अवसर पर कही।

उपस्थित विश्वासियों को सम्बोधित कर उन्होंने कहा, ″बपतिस्मा संस्कार द्वारा ईश्वर हमें ख्रीस्त में अपने पुत्र-पुत्रियाँ बनाते हैं, अपने शरीर के अंग जो कलीसिया है। इस प्रकार हम ख्रीस्तीय भी उसी पद्धति को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किये जाते हैं। करुणा हमारे काम करने का एक तरीका है जिसके द्वारा हम दूसरों को अपने जीवन में प्रवेश करने देते हैं तथा अपने आप में बंद होने एवं आत्म कवच का निर्माण करने से बचते हैं।

संत पापा ने संत मती रचित सुसमाचार के उस अंश पर गौर किया जिसमें येसु थके माँदे लोगों को अपने पास बुलाते हैं। उन्होंने कहा, ″इस बुलावे में कोई वंचित नहीं है क्योंकि येसु का प्रेरितिक कार्य है पिता के प्रेम को प्रत्येक जन के लिए प्रकट करना। यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपने हृदय को खोलते हैं, येसु पर विश्वास करते हैं तथा उनके प्रेम के संदेश को स्वीकार करते हैं अथवा नहीं जो हमें मुक्ति के रहस्य में अग्रसर करता है।″

इस प्रकार की करुणा समावेशी है जो खुली बाहों से सभी का स्वागत करती, न कि बहिष्कार। यह सामाजिक स्थिति, भाषा, जाति, संस्कृति तथा धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करती है। उसके सामने एक ही व्यक्ति होता है जिसको वह प्यार कर सके जैसा कि ईश्वर प्रेम करते हैं। 

संत पापा ने समाज से उपेक्षित लोगों की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि कितने परेशान और उपेक्षित लोगों को हम सड़कों, सार्वजनिक कार्यालयों तथा अस्पतालों में पाते हैं। येसु उन प्रत्येक के चेहरों को देखते तथा हम प्रत्येक के हृदय पर दृष्टि डालते हैं कि क्या हम में उनके प्रति करुणा की भावना है? क्या हम समावेशी भाव से सोचते और काम करते हैं? सुसमाचार हमें आह्वान देता है कि हम मानवता के इतिहास को पहचानें, समावेश के एक महान कार्य को जो प्रत्येक व्यक्ति और समुदाय की स्वतंत्रता की कद्र करता है तथा न्याय, एकात्मता तथा शांति में हमें ख्रीस्त का शरीर कलीसिया के अंग बनने हेतु प्रेरित करता है। 

येसु के शब्द कितने सच्चे हैं जो उन लोगों को बुलाते हैं जो थके तथा परेशान हैं ताकि वे उनके पास आकर विश्राम पा सकें। उनकी बाहें क्रूस पर खुली हैं जो दिखलाती हैं कि उनके प्रेम एवं दया से कोई भी बहिष्कृत नहीं है।

संत पापा ने क्षमाशीलता की भावना को स्वागत एवं सम्मिलित किये जाने का प्रथम माध्यम कहा। हमें ईश्वर से क्षमा किये जाने की आवश्यकता है। हम प्रत्येक को उन भाई बहनों से मुलाकात करने की जरूरत है जो हमें येसु के पास आने में मदद करते हैं तथा क्रूस से मिलने वाली कृपा से लिए उदार बनने में सहायता दे सकते हैं।

संत पापा ने सभी विश्वासियों को परामर्श देते हुए कहा कि हम एक-दूसरे के लिए बाधा न बनें, किसी का बहिष्कार न करें। विनम्रता एवं सादगी द्वारा हम पिता की करुणा के साधन बनें। माता कलीसिया ख्रीस्त के आलिंगन को इस दुनिया में लाती है और आज यह प्राँगण भी अपनी बाहें फैला कर हमारा प्रेमपूर्ण आलिंगन कर रहा है। हम इस आलिंगन का साक्ष्य करुणा का साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए करें जिसको हमने ईश्वर से प्राप्त किया है।

 

Usha Tirkey








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