2016-11-10 15:28:00

संत पापा ने धार्मिक प्रदर्शन के प्रलोभन से बचने की चेतावनी दी


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 10 नवम्बर 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा ने प्रवचन में कहा कि हम धार्मिक प्रदर्शन के प्रलोभन से बचें, जो आतिशबाजी  के समान नये-नये खोजों को प्रकट करता है।

बृहस्पतिवार को अर्पित ख्रीस्तयाग में उन्होंने संत लूकस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु फरीसियों की उत्सुकता पूर्ण उस सवाल का जवाब देते है जिसमें वे येसु से पूछते हैं कि ईश्वर का राज्य कब आयेगा।

संत पापा ने कहा, ″ईश्वर का राज्य बढ़ता है यदि हम प्रत्येक दिन के जीवन में आशा को सुरक्षित रखते हैं।″

येसु ने फरीसियों को जवाब देते हुए कहा था कि ईश्वर का राज्य आ चुका है यह हमारे बीच है। यह राई के दाने के समान है तथा समय के साथ विकसित होता है। ईश्वर इसे किसी का ध्यान आकर्षित किये बिना बढ़ाते हैं।  

संत पापा ने कहा, ″ईश्वर का राज्य धार्मिक दिखावे के लिए नहीं है जिसमें कि हम नई चीजों, प्रकाशनाओं एवं संदेशों की खोज करने का प्रयास करें। ईश्वर ने येसु द्वारा बोला है और वही ईश्वर का अंतिम शब्द है।″ संत पापा ने धर्म के नाम पर दिखावे के प्रयास की तुलना आतिशबाजी से करते हुए कहा कि इसका प्रकाश क्षणिक होता है इसमें न कोई विकास होता, न प्रकाश और न ही कोई स्थायित्व ही किन्तु आश्चर्य की बात ये है कि हम बहुधा धार्मिक दिखाओं से अधिक प्रभावित होते हैं तथा अंजान चीजों की ओर अनायास ही आकर्षित हो जाते हैं। संत पापा ने कहा कि यह आशा नहीं है यह अपने हाथों में कुछ प्राप्त करने की चाह है। हमारी मुक्ति आशा में दी गयी है, उस व्यक्ति की आशा जिसने बीज बोयी है अथवा उस महिला की आशा जिसने रोटी तैयार करने के लिए आटा में खमीर का मिश्रण किया है अर्थात् बढ़ने की आशा में। कृत्रिम प्रकाश कुछ देरी के बाद आतिशबाजी के समान चला जाता और यह घर को प्रकाश नहीं देता है, निश्चय ही, यह एक दिखावा है।

संत पापा ने विश्वासियों से प्रश्न किया कि जब हम स्वर्ग राज्य के पूर्ण आगमन का इंतजार कर रहे हैं तो हमें क्या करना चाहिए? उन्होंने कहा कि हमें धैर्य पूर्वक चौकसी करनी चाहिए, हमारे काम और हमारी पीड़ाओं में धीरज रखते हुए।  

संत पापा ने परामर्श दिया कि आशा को जीवित रखें क्योंकि आशा में ही हमारी मुक्ति है। आशा मुक्ति इतिहास में एक धागा के समान है, प्रभु से पूर्ण साक्षात्कार करने की आशा। संत पापा ने चिंतन करने की सलाह देते हुए कहा कि क्या हम आशा करते हैं। क्या हम अच्छाई और बुराई की परख करते हैं। ईश्वर का राज्य हमारे बीच है किन्तु हमें अपने आराम, कार्य और आत्मजाँच द्वारा आशा को बनाये रखना है उस समय तक जब प्रभु आयेंगे और सब कुछ बदल देंगे। 








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