2016-11-09 11:47:00

ईश्वर की सेवा सत्ता और धन से नहीं की जा सकती, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 9 नवम्बर 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि यदि हम सत्ता और धन के पीछे भागेंगे तो हम ईश्वर की सेवा नहीं कर पायेंगे।

वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए उन्होंने कहा कि यदि हम उत्तम एवं विश्वसनीय प्रभु सेवक होना चाहते हैं तो हमें बेईमानी एवं सत्ता के लोभ के प्रति सचेत रहना चाहिये। 

बाईबिल धर्मग्रन्थ से सन्त लूकस रचित सुसमाचार के 17 वें अध्याय में निहित पाठ पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "प्रभु येसु ने कहा है कि हम एक साथ ईश्वर एवं धन की सेवा नहीं कर सकते" किन्तु इसके बावजूद कितनी बार हम अपने घरों में यह सुनते हैं कि मैं यहाँ का मालिक हूँ, मैं ही कर्ता-धर्ता हूँ। येसु ने हमें सिखाया है कि मालिक और नेता वह है जो अन्यों की सेवा करता है तथा यदि हम सबसे बड़े होना चाहते हैं तो हमें सबसे छोटा बनना चाहिये।"  

सन्त पापा ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि धन और सत्ता का लालच एवं उसकी होड़ प्रभु के सेवक बनने में बहुत बड़ी बाधा है। इसी प्रकार, उन्होंने कहा, "बेईमानी भी बहुत बड़ी बाधा है जिसे हम कलीसियाई अंचलों में भी पा सकते हैं। बेईमानी करने का अर्थ केवल पापी होना नहीं है क्योंकि पापी तो हम सब हैं और पाप के लिये पश्चाताप किया जा सकता है। बेईमानी धोखेबाज़ी है, यह ईश्वर के साथ छल-कपट एवं धोखेबाज़ी है।"

उन्होंने कहा, "बेईमानी एवं सत्ता का लोभ हमारे मन की शांति को छीन लेता है, हमें विचलित और अशांत कर देता है। इस प्रकार हम अनवरत तनावों में जीवन यापन करते हैं, हम केवल सांसारिक बातों पर ध्यान देते, अपने बाहरी दिखावे, ख्याति एवं धन और सत्ता के पीछे ही दौड़ा करते हैं।" सन्त पापा ने कहा कि इस प्रकार हम ईश्वर के सेवक कदापि नहीं कहला सकते।

सन्त पापा ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि हम सब ईश्वर की सन्तान हैं और जब हम उनके नियमों के अनुकूल जीवन यापन करते हैं तब ईश्वर को अपने करीब़ पाने का सुखद अनुभव प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा कि उदार मन से हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिये ताकि हम लोभ और लालच से दूर रह सकें तथा स्वतंत्र हृदय से ईश्वर की सेवा कर सकें।








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