2016-11-01 11:36:00

सुधारवादी काल की पाँचवी शताब्दी हेतु सन्त पापा फ्राँसिस स्वीडन में


लुण्ड, स्वीडन, मंगलवार, 1 नवम्बर 2016 (सेदोक): स्वीडन में अपने आगमन के दिन काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस ने सोमवार को मार्टिन लूथर के सुधारवादी काल के सकारात्मक पक्षों को स्वीकार कर 500 वर्षों पूर्व अलग हुई लूथरन ख्रीस्तीय कलीसिया के समक्ष  पुनर्मिलन और एकता की अभिव्यक्ति की। प्रॉटेस्टेण्ट सुधारवाद की पाँचवी शताब्दी के उपलक्ष्य में सन्त पापा फ्राँसिस इस समय स्वीडन की दो दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पर हैं। मंगलवार सन्ध्या वे पुनः रोम लौट रहे हैं। स्वीडन में यह सन्त पापा फ्राँसिस की पहली तथा इटली से बाहर उनकी 17 वीं प्रेरितिक यात्रा है।

सन्त पापा फ्राँसिस की स्वीडन यात्रा इस देश में लगभग 30 वर्षों बाद काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष की प्रथम यात्रा है। इससे पूर्व सन् 1989 ई. में सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने स्वीडन की यात्रा की थी।

लुण्ड शहर के महागिरजाघर में सोमवार को आयोजित ऐतिहासिक काथलिक-लूथरन एकतावर्द्धक प्रार्थना सभा में सन्त पापा फ्रांसिस ने दोनों कलीसियाओं से आग्रह किया कि वे अतीत की भूलों को स्वीकार करें तथा समस्त विवादों एवं असहमतियों के परे एकता की दिशा में आगे बढ़ने का सुअवसर न खोयें। सन् 1517 ई. के सुधारवाद की पाँचवी शताब्दी को उन्होंने पुनर्मिलन का एक नया अवसर निरूपित किया। एकता के सूत्र में बँधने हेतु काथलिकों एवं लूथरन ख्रीस्तीयों के बीच विगत 50 वर्षों से जारी वार्ताओं के प्रति ध्यान आकर्षित कराकर उन्होंने कहा कि हम प्रेम एवं ईमानदारी की भावना में इतिहास की ग़लतियों को पहचानें और दयालु ईश्वर से क्षमा की याचना करें क्योंकि हमारे बीच विभाजन ईश्वर के विश्वसनीय लोगों द्वारा नहीं अपितु विश्व के शक्तिशालियों द्वारा ऐतिहासिक रूप से क़ायम रखा जा रहा है।








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