2016-11-01 14:22:00

ख्रीस्तीय एकतावर्धक कार्यक्रम में संत पापा का वक्तव्य


मालमो, मंगलवार, 1 नवम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने स्वीडन की प्रेरितिक यात्रा पर 31 अक्तूबर को, मालमो स्थित अरेना के ख्रीस्तीय एकतावर्धक कार्यक्रम में भाग लिया तथा अपने वक्तव्य में कहा कि ख्रीस्तीय एकता हेतु जो यात्रा शुरू की गयी है वह ईश्वर का महान वरदान है।

उन्होंने लुथेरन सुधार की 500वीं जयन्ती तथा ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता की 50वीं वर्षगाँठ की  संयुक्त स्मरणोत्सव पर, एकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ″हम इसे नवीकृत भावना एवं ख्रीस्तीय एकता को प्राथमिकता देते हुए स्मरण कर रहे हैं क्योंकि हमें मालूम हैं कि विभाजित करने की अपेक्षा एकता में लाने वाली शक्ति अधिक मजबूत है। हमने एकता को प्राप्त करने हेतु जो यात्रा शुरू की है वह ईश्वर का महान वरदान है। उनकी सहायता द्वारा आज हम लुथेरन और काथलिक भाईचारे की भावना से हमारी दृष्टि को एकमात्र प्रभु ख्रीस्त की ओर उठाने हेतु यहाँ एक साथ जमा हुए हैं।″

संवाद का महत्व बतलाते हुए संत पापा ने कहा, ″हमारे संवाद ने हमें आपसी समझदारी में बढ़ने हेतु मदद की है, पारस्परिक विश्वास को बढ़ावा दिया है एवं पूर्ण एकता की ओर बढ़ने की हमारी चाह को पक्का किया है। संवाद के विभिन्न परिणामों में से एक है लुथेरन वर्ल्ड फेडेरेशन एवं काथलिक कलीसिया की विभिन्न संस्थाओं के बीच सहयोग।″ संत पापा ने लुथेरन वर्ल्ड फेडेरेशन एवं अंतरराष्ट्रीय कारितास के बीच मानव प्रतिष्ठा एवं सामाजिक न्याय को प्रोत्साहन देने हेतु संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये जाने की सराहना की। उन्होंने कहा कि युद्ध एवं संघर्ष द्वारा तोड़े गये विश्व में, समर्पण एवं पड़ोसियों की मदद हेतु यह एक आदर्श उदाहरण हैं तथा प्रोत्साहन दिया कि वे सहयोग के इस रास्ते पर आगे बढ़ते रहें।

संत पापा ने साक्ष्य प्रस्तुत करने वालों की बातों की सार्थकता पर गौर किया जिसमें प्रनीता ने चुनौतियों के बीच भी अपने जीवन को सृष्टि के प्रति समर्पित कर, ईश्वर की योजना के लिए कार्य करने की बात कही। संत पापा ने कहा, ″सृष्टि अपने आप में हमारे लिए ईश्वर के असीम प्रेम का चिन्ह है। प्रकृति द्वारा भी हम ईश्वर पर चिंतन कर सकते हैं।″ प्रनीता के साथ सहमति दिखाते हुए संत पापा ने कहा कि प्रकृति का दोहन हो रहा है जिसके कारण इसका संतुलन बिगड़ गया है और जिसका दुष्प्रभाव कमजोर एवं जरूरतमंद लोगों पर अधिक पड़ रहा है। प्राकृतिक आपदा से बचने हेतु उन्हें विस्थापन का शिकार होना पड़ रहा हैं। उन्होंने कहा कि हम प्रत्येक, खासकर, ख्रीस्तीय धर्मानुयायी सृष्टि की रक्षा के लिए उत्तरदायी हैं जिसके लिए हमारी जीवन शैली तथा हमारे कार्यों को सदा विश्वास से प्रेरित होना चाहिए। हमें आपस में तथा अन्यों के साथ सौहार्द की भावना बनाये रखना है, साथ ही साथ, ईश्वर एवं उनके कार्यों के साथ भी।

दूसरे साक्षी मोन्सिन्योर हेकटर फाबियो ने कोलोम्बिया में काथलिकों एवं लुथेरन कलीसिया के बीच एकता के प्रयास का साक्ष्य प्रस्तुत किया जिसपर संत पापा ने कहा, ″यह जानना आवश्यक है कि एकता एवं साझा हित की सामाजिक प्रक्रियाओं के लिए ख्रीस्तीय एक साथ कार्य कर रहे हैं।″ उन्होंने देश में शांति हेतु प्रार्थना करने का प्रोत्साहन दिया।  

अगले साक्षी मार्ग्रेट ने क्रूरता के शिकार बच्चों की मदद करने एवं शांति के लिए कार्य करने पर जागरूकता लाने का प्रयास किया। संत पापा ने कहा कि उनकी प्रेरिताई द्वारा हज़ारों बच्चों को शिक्षा, विकास एवं स्वास्थ्य सेवा का अवसर प्राप्त हो रहा है, यह ईश्वर एवं पड़ोसियों के प्रति प्रेम का प्रतिफल है। संत पापा ने उनके कार्यों को बढ़ावा देते हुए कहा कि जिस आशा को उन्होंने आरम्भ में महसूस किया था वह उनके तथा युवाओं के हृदयों में बना रहे।

खिलाड़ी रोस ने शांति निर्माण हेतु ईश्वरीय बुलाहट पर अपना साक्ष्य प्रस्तुत किया जिनके बारे संत पापा ने कहा कि अपनी योग्यताओं की प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने फलप्रद जीवन में अपनी तृप्ति प्राप्त की। अतः ईश्वर के पुत्र-पुत्रियाँ होने एवं उनके द्वारा प्रेम किये जाने का अनुभव करना कितना सुखद है।

संत पापा ने विभिन्न लोगों के साक्ष्यों से प्रेरित होकर उन सभी सरकारों के प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित की जो शरणार्थियों, विस्थापितों तथा आश्रय की खोज में भटकने वालों की मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत में पड़े व्यक्तियों की मदद करना एकात्मता एवं उनकी प्रतिष्ठा की पहचान का महान चिन्ह है। उन्होंने ख्रीस्तीयों को सम्बोधित कर कहा कि दुनिया के बहिष्कृत एवं हाशिये पर जीवन यापन करने वाले लोगों से मुलाकात करने बाहर निकलना तथा करुणावान ईश्वर जो किसी का बहिष्कार नहीं करते बल्कि सभी को स्वीकार करते हैं उनके स्नेह का एहसास देना हमारी प्राथमिकता है।

अलेप्पो में युद्ध के कारण घुटनों के बल चलने हेतु मजबूर धर्माध्यक्ष के साक्ष्य पर उनके तथा उन सभी पुरोहितों एवं धर्मबहनों के साहस की संत पापा ने सराहना की जिन्होंने घोर तबाही के बावजूद लोगों की आध्यात्मिक एवं भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उस स्थान क नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा, ″यह निश्चय ही वीरतापूर्ण कार्य है कि उन्होंने लोगों की आध्यात्मिक एवं भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उनका साथ दिया है। सीरिया की संकटमय स्थित के बीच अपना कार्य जारी रखना निश्चय ही विस्मयकारी है। संत पापा ने युद्ध क्षेत्रों में समर्पित सभी लोगों के लिए प्रार्थना की तथा उन लोगों के मन-परिवर्तन के लिए भी प्रार्थना की जो उस क्षेत्र के दुर्भाग्य से लिए उत्तरदायी हैं।

संत पापा ने कहा कि वे इस मुसीबत के सामने निराश न हों तथा विश्वासियों का अह्वान किया कि साक्ष्य को सुनने के द्वारा वे एकजुट होकर कार्य करने की भावना में बढ़ें। प्रत्येक दिन शांति एवं मेल-मिलाप के चिन्ह प्रकट करने के द्वारा हम ख्रीस्तीय आशा के बहादुर और निष्ठावान साक्षी बनें।

 








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