2016-10-29 16:36:00

स्वीडेन की प्रेरितिक यात्रा के पूर्व संत पापा का साक्षात्कार


वाटिकन सिटी, शनिवार, 29 अक्तूबर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने कहा है कि धर्म के नाम पर युद्ध को अंजान देना ″शैतानी″ एवं ″ईश निंदक″ है।

उनके ये शब्द स्वीडेन में प्रेरितिक यात्रा के पूर्व काथलिक पत्रिका ‘ला चिविल्ता कत्तोलिका’ में एक साक्षात्कार में प्रकट हुए। संत पापा का साक्षात्कार स्वीडेन की सांस्कृतिक पत्रिका सिगनुम के निदेशक जेस्विट फादर यूएलएफ जोनशन से हुआ था।

संत पापा ने साक्षात्कार के दौरान आसीसी में हाल में हुए शांति के लिए अंतरधार्मिक सम्मेलन का जिक्र करते हुए उसे ″अत्यन्त महत्वपूर्ण″ कहा।

उन्होंने कहा, ″हम सब ने शांति पर चर्चा की और शांति की अपील की, "हमने एक साथ शांति के लिए जोरदार शब्दों में कहा कि सभी धर्म वास्तव में क्या चाहते हैं।"

मध्यपूर्व में ख्रीस्तीयों द्वारा झेली जा रही पीड़ा के सवाल पर संत पापा ने उस क्षेत्र को ″शहीदों की भूमि″ की संज्ञा दी। उन्होंने कहा, ″मैं विश्वास करता हूँ कि प्रभु ऐसे लोगों को अपने आप पर नहीं छोड़ देते हैं। वे उन्हें नहीं छोड़ेंगे। जब हम इस्राएलियों की कठिन परिस्थिति के बारे बाईबिल में पढ़ते हैं या शहीदों की परीक्षाओं का स्मरण करते हैं हम देखते हैं कि प्रभु किस तरह हमेशा अपने लोगों की मदद के लिए आते हैं।″  

स्वीडेन में संत पापा की प्रेरितिक यात्रा का उद्देश्य प्रोटेस्टंट सुधार की 500वीं वर्षगाँठ में सहभागी होना है अतः साक्षात्कार में मुख्य रूप से ख्रीस्तीय एकता मामलों पर चर्चा हुई।   

ख्रीस्तीय समुदायों के बीच आपसी संवर्धन पर बात करते संत पापा को सवाल पूछे गये कि काथलिक समुदाय, लूथेरन की कलीसिया से क्या सीख सकता है पर संत पापा ने कहा, ″मेरे दिमाग में दो शब्द है ‘सुधार और धर्मग्रंथ’ मैं समझाने की कोशिश करता हूँ। पहला शब्द है सुधार। शुरू में लूथर कलीसिया की संकट की घड़ी में एक सुधार का चिन्ह था। लूथर जटिल परिस्थिति को ठीक करना चाहता था। बाद में यह चिन्ह राजनीतिक परिस्थिति के कारण अलग होने की स्थिति पर आ गया, तब यह कलीसिया का सुधार नहीं रह गया जो कि मूल उद्देश्य था क्योंकि कलीसिया हमेशा सुधारी जाती है।

दूसरा शब्द है बाईबिल या ईश वचन। उन्होंने कहा, ″लूथर ने लोगों के हाथ में बाईबिल को रखने के लिए एक बड़ा प्रयास किया है।″ संत पापा ने कहा कि सुधार एवं बाईबिल ये दो चीजें हैं जिनपर लूथेरन परम्परा आधारित है।

ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता किस तरह आगे बढ़ सकता है पूछे जाने पर संत पापा ने कहा, ″ईशशास्त्रीय वार्ता को जारी होना है″ तथा एक प्रमुख बिन्दु न्यायोचित, पर संयुक्त घोषणापत्र की ओर इंगित करते हुए उन्होंने कहा, ″कुछ ईशशास्त्रीय सवालों को समझने के कठिन तरीकों के कारण इसे आगे बढ़ना आसान नहीं हो सकता।″    

उन्होंने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से विश्वास करता हूँ कि उत्साह को आम प्रार्थना एवं करुणा के कार्यों की ओर बढ़ना चाहिए, बीमारों, ग़रीबों तथा कैदियों की मदद में एक साथ किये गये कार्यों के द्वारा। एक साथ काम करना उच्च एवं प्रभावशाली वार्ता है। एक साथ काम करना महत्वपूर्ण है न कि सांप्रदायिक तरीके से। एक नीति है कि हमें हर मामले में यह स्पष्ट होना चाहिए कि कलीसिया के क्षेत्र में धर्मांतरण एक पाप है।  








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