2016-10-28 16:01:00

हैती के लोगों को न छोड़ा जाये, कारितास


वाटिकन रेडियो, शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2016 (सेदोक) अन्तराष्ट्रीय करितास ने पिछले महीने हैती में आये तूफान मैथ्यु से प्रभावित लोगों की सेवा का आहृवान किया है।

अन्तराष्ट्रीय करितास, काथलिक कलीसिया द्वारा संचालित मानव सेवा संस्था के सचिव मिचेल रॉय ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और वाटिकन रेडियो के मैरी दुहामेल को अपनी आँखों देखा हाल साझा करते हुए कहा कि इस प्रलयकारी तूफान में पेड़ पौधे, खेती-बारी और सभी जीव-जन्तु मारे गये हैं। प्रकृति में एक भी चिड़िया देखने को नहीं मिलती है जो बहुत ही विचित्र बात है। केवल एक तरह का सन्नाटा चारों ओर छाया हुआ है। जो पेड़ पौधे खड़े हैं उनकी सारी पत्तियाँ खत्म हो गई हैं जिसके कारण वर्षा का पानी सीधे धरती पर गिरता जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। सूर्य की किरणें सीधे धरती और मिट्टी पर पड़ती हैं इसका असर भविष्य में बुरा होगा।

उन्होंने कहा कि जान-माल की क्षति संचार और सरकारी रिपोर्ट में बतलाये गये आकड़ों  से कई गुणा अधिक है। हैती के लोग इस परिस्थिति में भी अपने जीवन से संतुष्ट लगते हैं क्योंकि वे कठिनाइयों और मुसीबतों का मुकाबला करने को आदी हो चुके हैं। जीवित बचे लोगों में आत्मा सम्मान की भावना पूर्णरूपेण देखी जा सकती है।

उन्होंने बतलाया कि उन्हें भोजन की आवश्यकता है इसके साथ ही वे तिरपाल और नालीदार लोहे की मांग कर रहें हैं जिससे वे अपने घर का पुनःनिर्माण कर सकें। उन्होंने कहा कि उनकी जमीन की साफ-सफाई की जरूरत है नहीं तो हैजा के प्रकोप की शंका है जो कि कई जगहों में पहले ही फैल चुका है। “कारितास उनके लिए खाने की चीजें, बरतनों के आलवे दवाइयों और स्वच्छता की चीजें उपलब्ध करा रही है लेकिन यह उनके लिए न्यूनतम सेवा है।” उन्होंने बतलाया कि लोग बीजों की माँग कर रहें हैं जिससे जमीन के साफ होने पर वे अपनी खेती-बारी के कार्य शुरू कर सकें जो उनके भविष्य के जीवन की सकारात्मक भाव को दिखलाता है। अन्तराष्ट्रीय कारितास के सचिव ने कहा कि लोगों की सहायता हेतु अन्तराष्ट्रीय समुदायों से मदद की जरूरत है “हम राष्ट्र संघ के समक्ष इस मुद्दे को रखने वाले हैं क्योंकि यह लोगों की मूलभूत आवश्यकता है।”  

ज्ञात हो कि हैती में सन् 2010 में भी प्रलयकारी जलजला हुआ था जिसमें करीबन 10,000 से अधिक लोग मारे गये थे। पिछले महीने में आये प्रलयकारी मैथ्यु में करीबन 2.1 मिलयन लोग प्रभावित हुए हैं।








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