वाटिकन सिटी, मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016 (सेदोक): वाटिकन स्थित अन्तरधार्मिक परिसम्वाद सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद की ओर से 30 अक्टूबर को मनाये जानेवाले दीपावली महोत्सव के अवसर पर एक विशेष सन्देश जारी किया गया है जिसमें ख्रीस्तीय एवं हिन्दू धर्मानुयायियों का आह्वान किया गया है कि वे परिवारों में आशा को प्रोत्साहित करें।
सन्देश में हार्दिक शुभकामना व्यक्त की गई है दीपावली महोत्सव समस्त विश्व में पारिवारिक बन्धनों को मज़बूत कर घरों एवं समुदायों में आनन्द को संवर्धित करे।
सन्देश में इस बात पर बल दिया गया कि "समाज का स्वास्थ्य पारिवारिक बन्धनों पर निर्भर रहता है किन्तु वर्तमान विश्व में परिवार की मौलिक धारणा ही ख़तरे में पड़ गई है और इसके अतिरिक्त, पारिवारिक जीवन भी प्रायः, विश्व में सर्वत्र व्याप्त संघर्षों, निर्धनता एवं आप्रवास जैसी कटु वास्तविकताओं द्वारा विघटित हो रहा है। हालांकि, व्यक्ति एवं समाज के कल्याण हेतु विवाह एवं पारिवारिक जीवन के चिरस्थायी महत्व को उत्सुकता के साथ बरकरार रखनेवाले लोगों के साक्ष्य के फलस्वरूप नवीकृत आशा के ठोस संकेत भी उपस्थित हैं।"
इस तथ्य का स्मरण दिलाकर कि परिवार "मानवता" की प्रथम पाठशाला है तथा माता-पिता अपने बच्चों के "प्राथमिक एवं प्रमुख" शिक्षक हैं सन्देश में कहा गया कि "परिवार ही वह स्थल है जहाँ अपने माता-पिता एवं बुजुर्गों के उदात्त् उदाहरण से मार्गदर्शन पाकर बच्चे मूल्यों में पोषित होते हैं जो उन्हें भले एवं उत्तरदायी मानव प्राणियों के रूप में विकसित होने में सहायता प्रदान करते हैं। हालांकि, बहुत बार, परिवारों को प्रभावित करनेवाली परिस्थितियों के कारण हमारे युवाजनों का आशावाद एवं आदर्शवाद घट जाता है। अस्तु, यह, विशेष रूप से, महत्वपूर्ण है कि माता-पिता, विस्तृत समुदाय के साथ मिलकर अपने बच्चों में, विपत्ति के समक्ष भी, एक बेहतर भविष्य तथा भलाई की खोज में मार्ग प्रदर्शित करते हुए उनमें आशा के भाव को जागृत करें।"
दीपावली महोत्सह की हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए परिषद के सन्देश ख्रीस्तीयों एवं हिन्दुओं का आह्वान किया गया कि वे विवाह एवं पारिवारिक जीवन को समर्थन देकर परिवारों को आशा की पाठशालाएँ बनने हेतु प्रेरित करें तथा सभी ज़रूरतमन्दों को सान्तवना एवं सम्बल प्रदान करते हुए विश्व के कोने- कोने में आशा के प्रकाश को प्रज्वलित करें।
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