नई दिल्ली, सोमवार, 24 अक्तूबर 2016 (ऊकान): भारत की हिंदू राष्ट्रवादी
सरकार ने कलकत्ता की संत तेरेसा को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा प्रण की कि वह धर्म के
नाम पर होने वाली हिंसा से ख्रीस्तीयों की रक्षा करेंगी।
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने संत तेरेसा की संत घोषणा के उपलक्ष्य में
19 अक्तूबर को नई दिल्ली में श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया था जिसमें भारत के गृहमंत्री
राजनाथ सिंह भी उपस्थित थे। उन्होंने मदर तेरेसा के बारे कहा, ″वे सभी भारतीयों की माता थीं।″
गृहमंत्री ने कहा, ″भारत में मकेदुनिया के दो व्यक्ति प्रसिद्ध हैं अलेक्जंडर
महान जो भारत पर विजय हासिल करने आये थे जबकि मदर तेरेसा ने आकर भारत का हृदय जीत लिया। भारत धार्मिक भेदभाव का स्थान नहीं है।″
केन्द्रीय कैबिनेट के वरिष्ठतम पदाधिकारी ने चार कार्डिनलों, वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष सलवातोरे पेन्नाक्यो, 60 धर्माध्यक्षों, आमंत्रित अतिथियों समेत 1000 दर्शकों के सम्मुख मदर तेरेसा को
श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, ″पूरे देश की ओर से मैं मदर तेरेसा को सम्मान प्रदान करता हूँ।″
राजनाथ सिंह के ये शब्द महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के कुछ सदस्यों
ने मदर तेरेसा के समाज सेवा के कार्य को हिन्दूओं को ईसाई धर्म में लाने का एक जरिया
करार दिया था।
कलीसिया के अधिकारियों ने शिकायत की थी कि ख्रीस्तीयों के विरूद्ध धर्म के नाम पर
हिंसा बढ़ गयी हैं विशेषकर, उत्तरी भारत में जब से भारतीय जनता पार्टी दो साल पहले सत्ता
पर आयी है जबकि वहाँ ख्रीस्तीयों की संख्या एक प्रतिशत से भी कम है।
सिंह ने दिल्ली में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा को स्थानीय राजनीतिक से जोड़ा तथा याद
किया कि वहाँ चुनाव के ठीक पहले कई ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा हुए हैं। उन्होंने कहा कि
यह उन लोगों का काम था जो उनकी पार्टी को नीचा दिखाना चाहते थे।
उन्होंने कहा, ″चुनाव के बाद कोई हिंसक घटना नहीं घटी। अब हम यह सुनिश्चित
करेंगे कि वहाँ आप लोगों पर किसी प्रकार की हिंसक घटना न हो, न चुनाव के पहले, न चुनाव
के दौरान और न ही चुनाव के बाद में।″
गृहमंत्री ने स्मरण दिलाया कि भारत सहिष्णुता का विश्वविद्यालय है। बिना सहिष्णुता
के सहअस्तित्व असम्भव है। सहिष्णुता के अभाव में शांति स्थापित नहीं हो सकती।
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल बेसलिओस क्लेमेस ने उपस्थित
अतिथियों से कहा कि राजधानी में यह सम्मेलन महत्वपूर्ण है जबकि सीबीसीआई के महासचिव ने
इस बात को सामने लाया कि ख्रीस्तीयों में अब भी हिन्दू चरमपंथी तत्वों से भय है।
भारत की धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की एवंजेलिकल सभा के अनुसार 2016 के पहले दशकों
में ख्रीस्तीयों पर करीब 134 हिंसक घटनाएँ हो चुकी हैं जबकि 2014 में कुल 147 एवं 2015
में 177 हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया था।
भारत में 1.2 बिलियन आबादी के बीच ख्रीस्तीय 2.3 प्रतिशत की संख्या के साथ एक बहुत
छोटा समुदाय है जहाँ हिन्दूओं की संख्या 80 प्रतिशत एवं मुसलमानों की संख्या 14 फीसदी
है।
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