2016-10-24 14:55:00

धर्माध्यक्षों ने झारखंड के मुख्यमंत्री से ईसाई टिप्पणी वापस लेने की मांग की


नई दिल्ली, सोमवार, 24 अक्टूबर 2016 (ऊकान): भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास की कथित तौर पर ईसाई विरोधी टिप्पणी पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे इस पर ध्यान दें।

 सीबीसीआई के महासचिव धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेनहास द्वारा प्रधानमंत्री को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया कि, ″मुख्य मंत्री ने धर्म के आधार पर आदिवासी ख्रीस्तीयों को अलग करने का प्रयास किया है जो भय दिलाने वाला है तथा उसे तत्काल वापस लिये जाने की आवश्यकता है।″  

उन्होंने कहा, ″हम प्रधानमंत्री जिन्होंने नारा दिया है ″सबका साथ सबका विकास″ से अपील करते हैं, कि वे अपने दल के मुख्य मंत्री को चेतावनी दें।″

गौरतलब है कि विगत कुछ सप्ताहों से रघुवर दास अपनी आवाज तेज किये हुए हैं तथा आदिवासियों के धर्मांतरण का मुद्दा उठा रहे हैं। जहाँ 27 प्रतिशत आदिवासियों में से लगभग 4.5 प्रतिशत ही ख्रीस्तीय धर्म मानते हैं।

धर्माध्यक्षों ने कहा कि काथलिक कलीसिया सरना समेत सभी विभागों के आदिवासी नेताओं के साथ आदिवासियों के वैध अधिकारों की रक्षा करना जारी रखेंगी।

ज्ञात हो कि आदिवासियों को छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटीएक्ट) तथा संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम  में संशोधन की धमकी दी जा रही है।

ज्ञापन में मांग की गयी है कि आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा हो तथा ख्रीस्तीयों के विरूद्ध दास जी की टिप्पणी की कड़ी निंदा और आलोचना की गयी है। कहा गया है कि जो वक्तव्य उन्होंने दिया वह राज्य के लिए जनता द्वारा चुने गये मुख्यमंत्री के पद के लायक नहीं है।

पत्र में इस बात को भी रेखांकित किया गया है कि सरकारी आँकड़े अनुसार झारखंड में 69 लाख परिवारों में से 35 लाख परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं तथा देश में झारखंड की औसत विकास दर सबसे कम है। 

प्रधानमंत्री को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि ″मुख्य मंत्री को विभाजनकारी रणनीति के प्रयोग एवं संविधान प्रदत्त वैध अधिकारों को छेड़छाड़ करने से बचना चाहिए बल्कि कुपोषण, अशिक्षा एवं बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्याओं के लिए अपने को समर्पित करना चाहिए।

राष्ट्रीय ईसाई महासंघ (आरआईएम) जो ख्रीस्तीय समुदाय पर आधारित सामाजिक-धार्मिक ईकाई है एवं कई राज्यों में फैला है, रविवार को रघुवर दास को ख्रीस्तीय मिशनरियों एवं राज्य में उनके दशकों से की जा रही समाज सेवा के कार्य को नीचा दिखाये जाने का दोषी करार दिया।

आर आई एम के वरिष्ठ अधिकारी दीपक तिर्की ने कहा, ″क्या वे चाहते हैं कि हम समाज सेवा करना छोड़ दें? उनके द्वारा किये जा रहे समाज सेवा के कार्यों को धर्मांतरण से जोड़ना और साथ ही ख्रीस्तीय एवं सरना के नाम पर आदिवासियों के बीच फूट डालना बेहद शर्मनाक है।″     

आर आई एम ने रविवार को आदिवासी ख्रीस्तीय समुदाय को एकजुट बने रहने की सलाह दी तथा आपस में सौहार्द की भावना बनाये रखने का परामर्श दिया तथा कहा, ″हम विभाजन लाने वाली हर ताकत के विरूद्ध एक हैं। हमें आशा है कि हमें सभी का समर्थन प्राप्त होगा।″








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