2016-10-22 16:02:00

उत्तर पूर्वी भारत की कलीसिया का द्रुतगति से विकास


जोवाई, शनिवार, 22 अक्तूबर 2016 (वीआर सेदोक): ″यह अधिक से अधिक स्पष्ट होता जा रहा है कि उत्तर पूर्वी भारत की कलीसिया देश में ख्रीस्तीय विश्वासियों के बीच एक महाशक्ति के रूप में उभर रही है।″ यह बात गुवाहाटी के ससम्मान सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष थॉमस मेनामपराम्बिल ने कही।

एशियान्यूज़ से बातें करते हुए उन्होंने 120 साल पुरानी कलीसिया का चित्र प्रस्तुत किया जहाँ आदिवासियों एवं सैनिकों के बीच संघर्ष होता रहा है। उन्होंने कहा, ″कलीसिया की बागडोर विदेशियों के हाथों से भारतीय के हाथों पड़ा तथा अब आदिवासियों के हाथों में है।″

उन्होंने कहा कि पूरे भारत में कुल 27.8 मिलियन ख्रीस्तीयों (2.3 प्रतिशत) में से, इस युवा काथलिक कलीसिया की संख्या 2011 के आँकड़े अनुसार करीब 20 लाख हो चुकी है।  

महाधर्माध्यक्ष मेनाम्परम्बिल प्रांत में युद्धरत गुटों के बीच वार्ता के समर्थक हैं तथा उन्होंने शांति स्थापित करने हेतु कार्य किया है।

उन्होंने एशियान्यूज़ से कहा, ″यह अधिक से अधिक स्पष्ट होता जा रहा है कि उत्तर पूर्वी भारत की कलीसिया देश में ख्रीस्तीय विश्वासियों की तुलना में महाशक्ति से रूप में उभर कर सामने आ रही है। युवा कलीसिया जो मात्र 120 साल पुरानी है अब विश्वासियों की संख्या 20 लाख के करीब है।″ उन्होंने इटली, स्पेन, फ्राँस, जर्मनी, आयरलैंड तथा अन्य देशों के मिशनरियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जिन्होंने इस धार्मिक भावना को हमारे लिए प्रदान किया है।

उन्होंने कहा कि कलीसिया का नेतृत्व विदेशियों के हाथों से भारतीयों के हाथों पड़ा तथा भारतीयों के हाथों से अब आदिवासियों के हाथों में है। जोवाई के धर्माध्यक्ष विक्टोर लिंगडोह का नये धर्माध्यक्ष के रूप में नियुक्ति इस बात को रेखांकित करता है। उन्होंने पहले ही नोंगस्टोइन में बहुत अधिक काम किया है अब नये स्थान में कई अवसर उनका इंतजार कर रहे हैं।

विभिन्न जातियों के अल्पसंख्यक जिन्हें भारत में आदिवासी समुदाय कहा जाता है, भारत की उत्तर पूर्वी काथलिक कलीसिया ने अपनी आध्यात्मिक प्रतिभा को देश के अन्य प्राचीन कलीसियाओं में लाया है। प्रोत्साहनात्मक सच्चाई यह है कि पुरोहिताई एवं समर्पित जीवन के लिए बुलाहट में भी काफी वृद्धि हुई है। इस युवा कलीसिया के पास ईशशास्त्र के अध्ययन हेतु दो सेमिनरी हैं, साथ ही साथ, दर्शनशास्त्र की पढ़ाई के लिए कई गुरूकुल एवं धर्मसमाजी प्रशिक्षण के कई केंद्र खोले गये हैं। सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात ये है कि लोगों को अपने विश्वास के प्रति गर्व है।








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