2016-10-21 16:36:00

जहाँ घमंड है वहाँ सदैव लड़ाई


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन संत मार्था के अपने निवास में शुक्रवार प्रातःकालीन मिस्सा के दौरान कलीसिया में एकता हेतु ईर्ष्या, डाह और आपसी लड़ाई  को परित्याग करते हुए नम्रता, कोमलता और धैर्य जैसे गुणों को धारण करने पर जोर दिया।
संत पापा ने कहा कि शांति अभिवादन के साथ हम एक दूसरे के साथ एक संबंध स्थापित करते हैं। एक दूसरे के साथ हमारा शांति अभिवादन हमें पवित्र आत्मा के साथ संयुक्त करता है। यदि हमारे हृदयों में शांति नहीं है तो हम क्रियाशील नहीं हो सकते हैं। बुराई का आत्मा हममें लड़ाई झगड़ा उत्पन्न करता है। संसार में बहुत सारी चीजों हैं जो हमारी शांति को भंग कर देती और हमारी एकता को समाप्त करती है। संत पौलुस आपस में एकता बनाये रखने हेतु हमें नम्रता, कोमलता और धैर्यपूर्ण व्यवहार करने की सलाह देते हैं। नम्रता के बिना हम किसी को शांति प्रदान नहीं कर सकते हैं। जहाँ घमंड है वहाँ सदैव लड़ाई होती है। हम एक दूसरे पर विजय पाने की चाह रखते हैं। इस तरह नम्रता के बिना शांति नहीं और शांति के बिना एकता की स्थापना नहीं की जा सकती है।
संत पापा ने कहा हमें अपने जीवन में मीठास की खोज करने की जरूरत है जिसके द्वारा हम एक दूसरे की सहायता करते हैं। संत पौलुस कहते हैं कि मीठास हमारे जीवन में एक दूसरों को सहन करने की शक्ति है और इसके लिए हमें धैर्यवान होने की आवश्यकता है। जब हम धैर्य को धारण करते तो हम एक दूसरों की गलतियों को सहन करते हैं।
संत पापा ने शांति के प्रवर्तक होने हेतु सबों का आहृवान करते हुए कहा कि हमें संत पौलुस के द्वारा कुरिन्थियों को लिखे गये 13वें अध्याय पर चिंतन करे जो हमें पवित्र आत्मा का निवास स्थल बनने का आहृवान करता है। एक कलीसिया के रुप में हम येसु ख्रीस्त के रहस्यात्मक शरीर के अंग हैं जो येसु ख्रीस्त में शांति की स्थापना हेतु बुलाये गये हैं।

 








All the contents on this site are copyrighted ©.