2016-10-19 11:31:00

भारत-पाक तनावों के बीच भारतीय काथलिकों ने की शांति हेतु प्रार्थना


नई दिल्ली, बुधवार, 19 अक्तूबर 2016 (ऊका समाचार): भारत एवं पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को लेकर जारी तनावों की पृष्ठभूमि में 16 अक्टूबर को भारत के 168 काथलिक धर्मप्रान्तों में शांति हेतु प्रार्थना दिवस मनाया गया।

नई दिल्ली में भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल बासेलियुस क्लेमिस ने प्रार्थना का नेतृत्व किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, "हमारा प्रिय राष्ट्र अतिरिक्त चुनौतियों के दौर से गुज़र रहा है, विशेष रूप से अपनी सीमाओं पर।"

18 सितम्बर को भारत के कश्मीर क्षेत्र में आक्रमण के बाद से भारत एवं पाकिस्तान के सम्बन्धों में खटास बढ़ गई है जिसमें 19 भारतीय सैनिकों के प्राण चले गये थे। भारत ने यह आरोप भी लगाया था कि पाकिस्तान ने उन आतंकियों को समर्थन दिया है जिन्होंने भारतीय क्षेत्र पर हमला किया। पाकिस्तान ने इस आरोप को ग़लत ठहराया है किन्तु 29 सितम्बर को भारत ने पाकिस्तान के कश्मीर क्षेत्र स्थित आतंकवादी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की थी।

इन तनावों के मद्देनज़र ही भारत की काथलिक कलीसिया ने समस्त विश्वासियों का आह्वान किया है कि वे दोनों राष्ट्रों के बीच शांति कायम करने हेतु प्रार्थना करें।

16 अक्टूबर को नई दिल्ली में आयोजित एक प्रार्थना सभा में कार्डिनल क्लेमिस के अतिरिक्त,  गुड़गाँव के धर्माध्यक्ष जैकब बारनाबस तथा भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासिचव धर्माध्यक्ष थेओदोर मैस्केरेनस भी उपस्थित थे। उन्होंने प्रार्थना की कि दोनों राष्टों के नेता विवेक एवं अपने लोगों के कल्याण से प्रेरित होकर शांति के पथ पर अग्रसर होंगे।

प्रार्थना समारोह में धर्माध्यक्ष बरनाबस ने कहा, "भारत विविधता में एकता का आदर्श है तथा विविध भाषाएँ, जीवन शैली एवं खान-पान के बावजूद भारत की जनता एकसूत्र में बँधी है तथा इसमें गर्व महसूस करती है।"

धर्माध्यक्ष मैस्केरेनस ने भारत के काथलिकों से आग्रह किया कि वे अपने प्रिय राष्ट्र में शांति के लिये प्रतिदिन प्रार्थना करें तथा विश्व में शांति एवं भाईचारे के आदर्श बनें। उन्होंने कहा, "प्रार्थना हम सबको, राष्ट्र के समक्ष प्रस्तुत समस्याओं एवं चुनौतियों के बीच, एकता के लिये आमंत्रित करती है।" सभी लोगों का उन्होंने आह्वान किया कि वे शांति सम्मेलनों का आयोजन करें तथा प्रतिशोध एवं युद्ध के बजाय शांति की आवश्यकता पर बल दें।"








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