2016-10-19 11:47:00

भला मेषपाल सत्ता और धन के लालच में नहीं पड़ता, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 19 अक्टूबर 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि भला मेषपाल वह है जो सत्ता और धन के बदले येसु का अनुसरण करता तथा अन्यों द्वारा परित्यक्त होने को बावजूद कटुता महसूस नहीं करता है।

वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में, मंगलवार को, ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने तिमोथी को प्रेषित दूसरे पत्र पर चिन्तन करते हुए यह बात कही। सन्त पौल द्वारा उनके जीवन के अन्तिम चरण में सही गई कठिनाइयों पर सन्त पापा ने ध्यान आकर्षित कराया और कहा कि जीविका के साधन खो देने और अन्यों द्वारा परित्यक्त होने के बावजूद पौल अपने विश्वास पर अटल रहे तथा अपने शिष्यों में साहस और आशा का संचार करते रहे।

उन्होंने कहा कि प्रभु की वाणी सुन लेने के बाद पौल को कई व्यथाओं का सामना करना पड़ा, कई बार भूखे रहना पड़ा, सुसमाचार के प्रचार के लिये यातनाएं सहनी पड़ी किन्तु वे अपने सुसमाचारी मिशन पर दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ते रहे। उन्होंने कहा, "अकेले, अन्यों द्वारा परित्यक्त एवं मनुष्यों के कोप को सहते हुए एक जगह से दूसरी जगह बढ़ते रहनेवाले थे, महान पौल।" 

इसी प्रकार, सन्त पापा ने कहा, "पेत्रुस एवं योहन बपतिस्ता ने भी अपने जीवन के अन्तिम चरण में यातनाओं को सहा। योहन बपतिस्ता का तो सिर एक नृतकी के नखरों तथा एक व्याभिचारी महिला के प्रतिशोध की वजह से काट डाला गया। इसी प्रकार हमारे अपने युग में विश्व्यापी प्रेरितिक अभियान संचालित करनेवाले मैक्सिमिलियान कोल्बे को भी अनेकानेक व्यथाओं और यातनाओं से होकर गुज़रना पड़ा तथा अन्त में नज़रबन्दी शिविर में अपने प्राणों का बलिदान देना पड़ा।"

सन्त पापा ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि जब कोई व्यक्ति येसु का अनुसरण करना चाहता है तो यह जान लेना चाहिये उसका अन्त भी प्रभु येसु की तरह ही हो सकता है  अथवा उसे भी घोर कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। तथापि, उन्होंने कहा, प्रभु कभी भी अपने शिष्यों का परित्याग नहीं करते वे सदैव उनके साथ रहते तथा उन्हें सम्बल प्रदान करते हैं। सन्त पापा ने कहा, "यही है सुसमाचार की विधि, यही है उसका कानूनः जब तक गेंहूँ का दाना मिट्टी में गिरकर मर नहीं जाता तब तक वह नये बीज को जन्म नहीं दे सकता।" उन्होंने स्मरण दिलाया कि प्राचीन काल के एक धर्मतत्व वैज्ञानिक ने लिखा हैः "शहीदों का रक्त ही ख्रीस्तीयों का बीज है।"








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