2016-10-13 16:43:00

ख्रीस्तीय भलाई के रास्ते हमेशा आगे बढ़ता है


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 13 अक्तूबर 2016 (वीआर सेदोक): ख्रीस्तीय हमेशा क्षमा किये जाने की आवश्यकता महसूस करते हैं तथा वे ईश्वर के साथ मुलाकात करने के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। ये बातें संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही। 

उन्होंने कहा, ″ख्रीस्तीय पिता द्वारा अनुगृहित हैं।″

एफेसियों के नाम संत पौलुस के पत्र पर चिंतन करते हुए संत पापा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ख्रीस्तीय एक चुना गया व्यक्ति है।

संत पापा ने कहा कि पिता ने हमें एक-एक कर चुना है तथा प्यार किया है एवं एक नाम प्रदान किया है। उन्होंने हमें भीड़ की तरह नहीं बल्कि चुना बुलाया है। इसे समझाने के लिए संत पापा ने उस दम्पति का चित्र प्रस्तुत किया जो अपने बच्चे के आगमन का इंतजार करता है। जिस तरह पति-पत्नी बड़ी उत्सुकता से बच्चे का इंतजार करते एवं लगातार उसकी कल्पना करते हैं, ठीक उसी तरह ईश्वर हमें बुलाते हैं और जिसका आधार है ईश्वर के साथ मेरा संबंध। 

संत पापा ने ऐसे ख्रीस्तीयों को भी सामने लाया जो पिता द्वारा बुलाये जाने का अनुभव नहीं करते किन्तु समुदाय में होने का एहसास करते हैं। संत पापा ने उन लोगों की तुलना फुटबॉल के फैन लोगों से की जो किसी फुटबॉल टीम का चुनाव करते और अपने को उससे जोड़ लेते हैं।

संत पापा ने सच्चे ख्रीस्तीय के मनोभाव को बतलाते हुए कहा कि वे हमेशा क्षमा किये जाने की आवश्यकता महसूस करते हैं। एक ख्रीस्तीय चूँकि चयनित व्यक्ति है वह ईश्वर की कल्पना का हिस्सा है अतः जब हम ईश्वर की इस कलपना को जीने का प्रयास करते हैं तो हमारे हृदय को बड़ी सांत्वना मिलती है और हम परित्यक्त महसूस नहीं करते है।

संत पापा ने कहा कि जो व्यक्ति क्षमा किये जाने का अनुभव नहीं करता है वह सच्चा ख्रीस्तीय नहीं है। ″हम सभी ख्रीस्त के रक्त की कीमत पर क्षमा कर दिये गये हैं।″ हम क्षमा किये जाने का एहसास करते हैं तब हम आशीष प्राप्त करते हैं और उनके प्रेम का भी एहसास करते हैं।   

संत पापा ने प्रवचन में एक ख्रीस्तीय की तीसरी सच्चाई को प्रकट करते हुए कहा कि वह अनन्त की ओर यात्रा कर रहा है जहाँ उसकी मुलाकात मुक्तिदाता ख्रीस्त से होगी। एक ख्रीस्तीय स्थिर खड़ा नहीं रह सकता उसे लगातार आगे की ओर बढ़ना है। ख्रीस्तीय जो स्थित खड़ा रहता है वह उस व्यक्ति के समान है जिसे क्षमताएँ प्राप्त हैं किन्तु जीवन के भय, खोने के डर, अपने स्वामी के भय तथा असुविधा के भय से जमीन पर दफन कर देता है। जबकि ख्रीस्तीय हमेशा आगे बढ़ता है वह भलाई के कार्य करने से नहीं डरता।

संत पापा ने ख्रीस्तीय पहचान के बारे कहा कि वह अनुगृहित है, चुना गया है एवं क्षमा किया गया है। वह घमंडी भी नहीं है क्योंकि वह क्षमा किये जाने की आवश्यकता महसूस करता है और भलाई के कार्य द्वारा लगातार आगे बढ़ता है। उन्होंने प्रार्थना की कि ईश्वर हमें कृपा दे ताकि हम अपनी ख्रीस्तीय पहचान को बरकारार रख सकें।








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