2016-10-12 16:14:00

करुणा के कार्यो पर संत पापा की धर्मशिक्षा


वाटिकन सिटी, बुधवार 12 अक्टूबर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को अपनी धर्मशिक्षा माला के दौरान संबोधित करते हुए कहा

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

हमने अपने पिछले धर्मशिक्षा माला के दौरान ईश्वर के करुणामय महान कार्यों पर चिंतन किया है। हमने पुराने व्यवस्थान में ईश्वर के करुणामय कार्यों पर चिंतन किया और फिर नये व्यवस्थान  के सुसमाचार में उनके कार्यो और वचनों पर मनन किया जो करुणा से भरे हैं। येसु ने अपने शिष्यों को करुणावान होने शिक्षा दी, “दयालु बनों जैसा कि तुम्हारा स्वर्गिक पिता दयालु है।” (लुका. 6.36) यह हमारा समर्पण है जो हमारी चेतना और कार्यों को चुनौती प्रदान करता है। ईश्वरीय करुणा की अनुभूति हमारे लिए काफी नहीं है वरन् हमें इसे अपने जीवन में जीने और दूसरों के साथ साझा करने की जरूरत है जिससे अन्य भी ईश्वरीय करुणा का माध्यम बन सकें।

संत पापा ने कहा कि हम करुणा का साक्ष्य कैसे दे सकते हैं? इसके लिए हमें कोई शक्तिशाली व्यक्ति की समान बड़ा और महान कार्य करने की जरूरत नहीं है वरन् येसु हमें अपने जीवन में छोटे कामों को निष्ठा पूर्ण ढ़ग से करने का आहृवान करते हैं जो हमें महान बनाता है क्योंकि उन्हीं के द्वारा हमारा न्याय किया जायेगा। संत मत्ती रचित सुसमाचार का अध्याय 25. 31-46 हमारे लिए करुणा के कार्यों का जिक्र करता है जहाँ येसु हमें कहते हैं जो कुछ तुमने मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों के लिए किया वह तुमने मेरे लिए किया। संत पापा ने करुणा के कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि भूखों को खिलाना और प्यासों को पिलाना, नंगों को पहनना, परदेशी का स्वागत करना, बीमारों और कैदियों से मुलाकात करना इन कार्यों को माता कलीसिया करुणा के शारीरिक कार्यों की संज्ञा देती है।

इसके आलवे अन्य सात करुणा के आध्यात्मिक कार्य जो हमारे लिए वर्तमान समय में उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने की करुणा के शारीरिक कार्य क्योंकि ये हमें आन्तरिक रुप से प्रभावित करते हैं क्योंकि इनके कारण बहुधा हमें अधिक कष्ट झेलना पड़ता है। करुणा के आध्यात्मिक कार्यों में से एक “अपने दुःखों का धैर्य पूर्ण सहन” हमारे दैनिक जीवन की एक भाषा बन गई है जिसे हम रोज दिन के जीवन में जीते हैं। यह देखने में एक छोटी-सी चीज लगती है लेकिन इसमें प्रेम की अनुभूति भरी हुई है और उसी प्रकार अन्य छः कार्यों में भी जो हमारे लिए निम्नलिखित हैं, संदेह में पड़े को परामर्श, अज्ञानियों को शिक्षा, पापियों को फटकार, दुःखियों को दिलासा, पापों की क्षमा तथा जीवितों और मृतककों हेतु ईश्वर से प्रार्थना।       

भले लोगों ने सदियों से करुणा के इन कार्यों के अनुरूप अपना जीवन व्यतीत करते हुए अपने विश्वास का साक्ष्य दिया है। कलीसिया स्वयं ईश्वर के प्रति अपनी निष्ठा में दीन दुःखियों की निरन्तर सेवा करती आ रही है। बहुत बार हमारे निकट रहने वालों को हमारी सेवा की नितांत आवश्यकता होती है जिन्हें हम अपनी छोटी सेवा द्वारा मदद कर सकते हैं। दुनिया जो वर्तमान में उदासीनता की विषाणु से प्रभावित है करुणा के हमारे कार्य उसकी रोकथाम हेतु एक प्रतिरोधक के समान है। येसु दुनिया के छोटे लोगों में उपस्थित हैं उन्हें पहचाना और उनके लिए कार्य करना वर्तमान में हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। इस संदर्भ में हम संत अगुस्तीन के वचनों को याद करें जो हमें कहते हैं “येसु के पार हो जाने का भय”। मैं बहुधा आश्चर्य करता हूँ कि उन्होंने क्यों इन शब्दों का उपयोग किया और इसका जवाब हमारे लिए यही है कि हम अपने जीवन में कई बार उदासीन और खोये हुए रहते हैं जिसके कारण हमें येसु के आने का एहसास नहीं होता और वे हमारे बीच से गुजर जाते हैं।

संत पापा ने कहा कि करुणा के कार्य हमारे विश्वास को मूर्त रूप देता है। मुझे विश्वास है कि हमारे दैनिक जीवन के छोटे कार्य क्रांति की बयार लेकर आयेंगे जैसे की प्रचीन काल में हुआ है। हम कई संतों की याद आज भी उनके छोटे कार्यों के लिए करते हैं जो महान बन गये। हम मदर तेरेसा की याद करें जिन्हें हमने फिलहाल ही संत घोषित किया है उन्होंने झुककर चौराहों में पड़े लोगों को उठाया और उन्हें मानव सम्मान दिया। कितने ही परित्यक्त बच्चों और मरने वालों को उन्होंने अपने हाथों का सहारा दिया। करुणा के ये कार्य हमें ईश्वर के चेहरे को दिखलाते हैं जिसके द्वारा वे अपने लोगों को प्रेम और दया का एहसास दिलाते हैं। पवित्र आत्मा हमें प्रेरित करे जिससे हम अपने प्रतिदिन के जीवन में करुणा के शारीरिक और आध्यात्मिक कार्यों को सम्पादित करने हेतु समर्पित हो सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और आमदर्शन समारोह में उपस्थित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया और उन्हें जंयती वर्ष की शुभकमानाएँ अर्पित करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। 








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