2016-10-08 16:00:00

कलीसिया द्वारा हिंसा प्रभावित कश्मीर में नेत्र बैंक की स्थापना का प्रयास


श्रीनगर, शनिवार, 8 अक्तूबर 2016 (ऊकान): जम्मू और काश्मीर के काथलिकों ने सरकार से नेत्र बैंक खोलने की अनुमति की मांग की है ताकि सीमा पर हुए हिंसात्मक तनाव के कारण हताहत हुए लोगों की मदद की जा सके।

जम्मू काश्मीर धर्मप्रांत जो पूरे राज्य में फैला है, राज्य के स्वास्थ्य सेवा विभाग के सामने एक प्रस्ताव रखा है।

धर्मप्रांत के समाज सेवा के निदेशक फा. शैजू चाको ने कहा, ″हम आशा कर रहे हैं कि इसे शुरू करने हेतु आवश्यक अनुमति हमें जल्द मिलेगी।″ उन्होंने कहा कि यह कलीसिया की प्राथमिकता है क्योंकि सैंकड़ों लोग पीड़ित हैं। यद्यपि राज्य में काथलिकों की संख्या कम है किन्तु कलीसिया जाति, आस्था और धर्म का फर्क किये बिना अपनी सेवा देना चाहती है।

8 जुलाई को बुरहान बानी की हत्या के बाद हिंसा भड़क उठी जिसमें कुल 80 लोगों की मौत हो गयी तथा करीब 11 हजार लोग घायल हो गये थे। सरकारी अधिकारियों द्वारा क्षेत्र में तनाव को रोकने हेतु बुलेट गन के अत्यधिक प्रयोग से, करीब 800 लोगों की आँखों को बुरी तरह प्रभावित किया है। 

स्थानीय समाचार पत्रों के अनुसार 250 लोगों ने दृष्टि खो दी है। फादर ने कहा कि नेत्रदान लोगों को पुनः दृष्टि प्राप्त करने के लिए मदद कर सकता है अतः चिकित्सकों एवं नागरिकों ने कश्मीर में नेत्र बैंक स्थापित करने की मांग की है।

नागरिक अधिकारों के वकील शाज़िया नाबी ने कहा कि अब तक सरकार ने नेत्र बैंक स्थापित करने की अनुमति नहीं दी है। लोगों के बीच एक ग़लतफ़हमी है कि अंग दान इस्लामी शिक्षा के विरूद्ध है और मुस्लिम बहुत राज्य होने के कारण लोग अंग दान के विचार से अनिच्छुक हैं।

इस्लामी विद्वान मुफ्ती नाजिर अहमद ने जानकारी दी कि इस्लाम में एक समय में जीवित अथवा मृत व्यक्ति द्वारा किया गया अंग दान को अनैतिक कार्य के रूप में देखा जाता था किन्तु यह अब जायज़ और सराहनीय है, बशर्ते कि दान करने वाले की पूर्ण सहमति हो अथवा देने वाले का जीवन जोखिम में न हो और न ही इसका उद्देश्य बिक्री करना हो।

असीफ अहमद जिसने छर्रों के कारण अपनी दृष्टि खो दी है, कहा कि यदि कोई मृत्यु के बाद अपना नेत्र दान कर देगा तो वह स्वर्ग दूत ही होगा। असीफ कॉलेज का विद्यार्थी है जिसने बतलाया कि उसकी आँखों के सामने अचानक अँधेरा छा गया तथा डॉक्टरों ने ऑपरेशन के बाद उन्हें अंधा घोषित कर दिया। असीफ ने ऊका समाचार से कहा, ″मैं उस दिन का इंतजार कर रहा हूँ जब मैं पुनः देख पाऊँगा। दृष्टि के बिना जीवन कुछ भी नहीं है।″

फादर चाको का कहना है कि कलीसिया असीफ जैसे लोगों की मदद करना चाहती है। नेत्र बैंक को अनुमति मिल जाना स्वप्न साकार हो जाने के समान है। उन्हें सरकार से पूरी उम्मीद है कि वह मौजूदा परिस्थिति को समझते हुए उन्हें जल्द अनुमति दे देगी।








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