2016-10-04 15:32:00

इंडोनेशियाई युवा दिवस : काथलिक युवती को मुस्लिम परिवार के साथ रहने में कोई समस्या नहीं


मानादो, मंगलवार, 4 अक्टूबर, 2016 (सेदोक) : इंडोनेशिया के मानादो धर्मप्रांत में 1 से 6 अक्टूबर तक चलने वाली राष्ट्रीय स्तर पर दूसरी इंडोनेशियाई युवा दिवस का आयोजन किया गया है। इसमें 36 धर्मप्रांत से 2600 युवा भाग ले रहे हैं। इस युवा दिवस की विषय वस्तु "इंडोनेशिया के बहुलवादी समाज में सुसमाचार की खुशी" इस बात पर जोर देती और यह दिखाना चाहती है कि अल्पसंख्यक काथलिक समुदाय अन्य धर्मों के लोगों के साथ विशेष रुप से मुसलमानों के साथ सद्भाव और भाईचारे के साथ रह सकते हैं। इंडोनेशिया की कुल 250 करोड़ आबादी का लगभग 90 प्रतिशत लोग मुसलमान हैं।

युवा दिवस के कार्यक्रम अनुसार प्रथम तीन दिन सभी युवाओं को मानादो धर्मप्रांत के 37 पल्लियों के परिवारों में रखा गया था। उन्हें ज्यादातर काथलिक परिवारों में रखा गया। कुछ युवाओं को प्रोटेस्टेंट परिवारों में और कुछ को मुस्लिम परिवारों में भी रखा गया।

विभिन्न परिवारों में रहने वाले युवाओं से मुलाकात करने के लिए वाटिकन रेडियो के संवाददाता रोबिन गोमेस अन्य पत्रकारों के साथ रविवार,2 अक्टूबर को येसु के पवित्र हृदय पल्ली पहुँचे। पल्लीपुरोहित फादर दीनो कालालो ने पत्रकारों को बताया कि उसकी पल्ली में 74 युवाओं को परिवारों में रखा गया है। उनमें से दो युवाओं को मुस्लिम परिवार में रखा गया है।  फादर ने बताया कि वे मुस्लिम परिवार जिन्हें दो काथलिक युवाओं की मेजबानी करने के लिए चुना गया उन्होंने अपने को खुशनसीब माना।  फादर दीनो का कहना था कि उनकी पल्ली में काथलिक, प्रोटेस्टेंट और मुसलमान रहते हैं पर सभी मेल प्रेम से रहते हैं।

पत्रकार पवित्र हृदय पल्ली के कुमू गाँव के युवाओं से मिलने गये। गाँव के मुखिया ने उनका स्वागत मीठे नारियल पानी से किया। वहाँ उन्होंने बानडुँग की रहनेवाली 21 वर्षीय वेरोनिका दीना मरियानी से मुलाकात की जिसे मुस्लिम परिवार के साथ रहने का सौभाग्य मिला था।

बेरोनिका ने पत्रकारों को बताया कि उसके लिए मुस्लिम परिवार में रहना आसान लगा क्योंकि वह ऐसे माहौल में बड़ी हुई है जहाँ उसके पिता और तीन चाचा काथलिक हैं जबकि अन्य तीन चाचा मुस्लिम हैं। वागडुँग में 22 काथलिक परिवार तथा उसके पड़ोस में दो मुस्लिम परिवार है। उनके बीच सहिष्णुता और आपसी भाईचारा है। सभी एक दूसरे के धर्मों का आदर करते हैं और मिलकर त्योहार मनाने के लिए एक दूसरे के घर जाते हैं । इंडोनेशियाई परंपरा का पालन करते हुए सब मिलकर पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए कब्रिस्थान जाते हैं।

बेरोनिका ने कहा कि तीन दिन के लिए मुस्लिम परिवार में रहना उसे बहुत अच्छा लगा। उस परिवार की माता सारा सुमाह पहले ख्रीस्तीय थी पर विवाह के बाद उसने मुस्लिम धर्म को अपनाया। सारा ने भी पत्रकारों को बताया कि वे भी बेरोनिका को पाकर बहुत खुश थी। उन्होंने एक साथ मिलकर जावा का पारंपरिक भोजन तैयार किया था।  








All the contents on this site are copyrighted ©.