रोम, रविवार, 2 अक्तूबर 2016 (वीआर सेदोक): येसु समाजियों की 36वीं आम सभा का उद्घाटन 2 अक्तूबर को रोम के येसु गिरजाघर में 215 प्रतिनिधियों के बीच ख्रीस्तयाग समारोह से हुआ।
ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान फा. ब्रुनो कदोरे ने की। उन्होंने प्रवचन में विश्वास और साहस विषय पर चिंतन किया। येसु के शिष्यों द्वारा कहे गये वाक्य, ″प्रभु हमारे विश्वास को बढ़ाईये″ पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि प्रभु से यह अनुरोध, एक सुन्दर प्रार्थना है जिसमें हम धर्मसमाज की आम सभा में भाग लेने हेतु खोले जाने का अनुभव करते हैं। सुसमाचार दो चीजों की ओर इशारा करता है। पहला, विश्वास जो अति आवश्यक है। चाहे यह राई के दाने के समान ही छोटा क्यों न हो, किन्तु असंभव को भी सम्भव बना सकता है।
उन्होंने कहा कि विश्वास के साथ-साथ साहस की भी आवश्यकता इसलिए है क्योंकि हमें यह समझना है कि यदि हम असम्भव लगने वाली बातों को भी पूरा कर सकते हैं तब भी यह कह सकने का साहस होना है कि ″हम अयोग्य सेवक मात्र हैं। हमने अपना कर्तव्य मात्र पूरा किया है।″ उपदेशक ने कहा कि उनकी यह सभा सुसमाचार प्रचार की इस समृद्ध परम्परा पर आधारित है। जो अपने में कई अनुभवों को धारण किये हुए है। निःसंदेह यह धर्मसमाज को असम्भव के प्रति साहसी बने तथा विनम्रता के साथ कर्तव्य को पूरा करने की तीव्र अभिलाषा हेतु निरंतर बुलाहट दे रहा है। उस सेवा के लिए जिसमें व्यक्ति अपनी सारी शक्ति अर्पित कर दे और यह सबकुछ ईश्वर द्वारा सम्भव है।
उन्होंने कहा कि हमारे पास असम्भव को सम्भव बनाने का साहस है। यह साहस सुसमाचार का साहस है जिसको येसु समाज के संस्थापक संत इग्नासियुस ने प्रकट किया है। यह हमारे समय के संकटपूर्ण परिस्थिति में भी सम्भव है जहाँ हम कई प्रकार की समस्याओं का अनुभव कर रहे हैं। उपदेशक ने कहा कि यह तभी सम्भव हो सकता है जब यह तिमोथी को दिये गये संत पौलुस के उपदेश पर दृढ़ता से स्थापित हो, ″निष्ठा हेतु बल तथा सक्रियता उस स्वास में प्राप्त करना जो हमारा नेतृत्व दूसरों के साथ मुलाकात करने एवं उन्हें सुनने हेतु करता है, मानव हृदय में करुणा का कुँआ खोदता तथा हमें सौंपे गये लोगों के प्रति हमारी निष्ठा को बनाये रखता है।″
फादर कदोरे के अनुसार एक शिष्य को साहसी होने के साथ-साथ, विश्वास द्वारा एक विनम्र सेवक भी होना चाहिए जो सचमुच अपना जीवन दूसरों के लिए अर्पित कर सके।
उन्होंने संत इग्नासियुस की उस प्रार्थना का स्मरण दिलाया जिसमें उन्होंने प्रभु से प्रार्थना की थी, ″ हे प्रभु येसु हमें उदार बना तथा वैसा ही प्रेम करना सिखा जैसा तू चाहता है। उदारतापूर्वक देना, घायलों की सेवा करना, आराम की चिंता किये बिना काम करना, इनाम की खोज किये बगैर समर्पित होना और इस बात का ज्ञान देना कि मैं उनकी इच्छा के लिए सब कुछ कर रहा हूँ। फादर कदोरे ने कहा कि आज हमें भी उन्हीं की तरह अपना सम्पूर्ण समर्पित करना है।
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