2016-10-02 15:05:00

संत पापा फ्राँसिस ने जोर्जिया के पुरोहितों, धर्मसंघियों और गुरुकुल छात्रों से मुलाकात की


त्बिलीसी, रविवार 2 अक्टूबर 2016 ( सेदोक) :  सन्त पापा फ्राँसिस ने जोर्जिया एवं अज़रबैजान की प्रेरितिक यात्रा के दैरान शनिवार 1 अक्टूबर को त्बिलीसी के स्वर्गोद्ग्रहण गिरजाघर में करीब 250 पुरोहितों, धर्मसंघियों और गुरुकुल छात्रों से मुलाकात की। प्रेरितिक प्रशासक धर्माध्यक्ष जोसेफ पस्सोतो ने संत पापा का स्वागत किया। तत्पश्चात एक युवक, एक महिला,एक पुरोहित और एक गुरुकुल के छात्र ने ख्रीस्तीय जीवन की गवाही देते हुए दैनिक जीवन की समस्याओं जैसे परिवार में विश्वास को कायम रखने की समस्या, तलाक, अंतरधार्मिक समस्या, बुलाहट में स्थिर बने रहने की समस्याओं को प्रस्तुत किया।

संत पापा ने कहा, विश्वास पर दृढ़ बने रहने का एक उदाहरण मैं बताना चाहता हूँ विश्व युवा दिवस के दौरान पोलैंड के ग्युमूरी में एक 80 साल की महिला से मिला। उस महिला ने कहा, ″मैं आर्मीनिया की हूँ पर जोर्जिया में रहती हूँ। मैं जोर्जिया से आयी हूँ। 6-8 घंटे की यात्रा कर वह पापा से मिलने आयी थी। दूसरे दिन मेरी मुलाकात फिर से उस महिला से हुई जो दो घंटे की यात्रा करके मुझसे मिलने आयी थी। मैंने उससे पूछा, ″आप यहाँ भी मुझसे मिलने आयी।″  उस महिला ने कहा, ″जी हाँ, मेरा विश्वास यहाँ ले आया।″ उस महिला का विश्वास था कि वह येसु के उतराधिकारी पेत्रुस को देख पाये।  विश्वास में दृढ़ बने रहने का मतलब, दूसरों से विश्वास को प्राप्त करना, उसे संभाल कर रखना और दूसरो को बाँटना है।

संत पापा ने कहा  कि विश्वास को हम परिवार में माता-पिता, दादा-दादी से पाते हैं। उस विश्वास को हमें आत्मसात करना है उसे संजोए रखना है और जब हमारा विश्वास कमजोर होने लगता है  तो हमें पीछे लौटकर बचपन में पाये विश्वास को याद करते हुए साहस के साथ आगे बढ़ना है। अतः विश्वास में दृढ़ बने रहने के लिए यह जरुरी है कि हम अतीत का स्मरण करें , वर्तमान को साहस के साथ जीयें और भविष्य में आशावान बने रहें।  

संत पापा ने पारिवारिक समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस परिवार में लोग एक दूसरे की कद्र करते, एक दूसरे को धन्यवाद देते और एक दूसरे से माफी माँगते हैं उस परिवार में खुशहाली होगी। हर परिवार में पति-पत्नी के बीच झगड़े होते हैं पर रात होने से पहले सुलह हो जानी चाहिए। दूसरे दिन यह झगड़ा शीत युद्ध में बदल जायेगा और यह बहुत खतरनाक होगा।

संत पापा ने कहा कि ईश्वर ने अपने सदृश स्त्री और पुरुष को बनाया और विवाह संस्कार द्वारा वे एक शरीर बन जाते हैं। तलाक हो जाने पर, इसकी कीमत पूरे परिवार को चुकानी पड़ती है। बच्चों को बहुत दुःख झेलना पड़ता है। ईश्वर को भी कीमत चुकानी पड़ती है क्योंकि तलाक से ईश्वर की छवि मलिन हो जाती है।

विवाह को बनाये रखने का सतत् प्रयास करना चाहिए। वैवाहिक जीवन में समस्याएँ आने पर जल्दी ही उसका निदान ढूँढ़ने का प्रयास करना चाहिए। आज विवाह का एक बड़ा दुश्मन है लिंग का सिद्धांत। आज पूरे विश्व को शस्त्रों से नहीं पर सिद्धातों से बर्बाद किया जा रहा है। हमें इस प्रकार के सिद्धांतों से परिवार को बचाए रखना चाहिए।

संत पापा ने कहा कि येसु ने हमें दो माताओं को हमारे लिए दिया। एक अपनी माँ मरियम को, दूसरी अपनी दुलहन कलीसिया को जो हमारी माताएँ है। इन दोनों की छत्रछाया में हम निश्चिंत रुप से अपने विश्वास में दृढ़ रहते हुए आगे बढ़ सकते हैं।

संत पापा ने अंतरधार्मिक समस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें कभी भी किसी को धर्म परिवर्तन के लिए दबाव नहीं डालनी चाहिए। ओर्थोडोक्स कलीसिया के भाई-बहनों के साथ खुले हृदय से सौहार्दपूर्ण व्यवहार करनी चाहिए। हम सब येसु ख्रीस्त में एक हैं। हमें एक साथ मिलकर प्रार्थना करनी चाहिए और जहाँ तक बन पड़े मिलकर दया के कामों को करनी चाहिए।

संत पापा ने धर्मसंघियों को सांसारिकता से बचे रहने का आह्वान किया। येसु ने भी अंतिम व्यारी से पहले पिता ईश्वर से अपने चेलों को सांसारिकता से बचाये रखने के लिए प्रार्थना की थी।

अंत में संत पापा ने माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा विश्वास में दृढ़ बने रहने और सांसारिकता से बचे रहने की कृपा माँगते हुए एक साथ प्रणाम मरिया का पाठ किया और उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। 

 








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