2016-10-02 14:39:00

हर स्तर पर आपसी भाईचारा एवं सहयोग की भावना बढ़े, संत पापा


मत्सखेता, शनिवार, 1 अक्तूबर 2016 (वीआर सेदोक): जोर्जिया में प्रेरितिक यात्रा के अंतिम पड़ाव पर 1 अक्तूबर को, संत पापा फ्राँसिस ने मत्सखेता स्थित ऑर्थोडोक्स महागिरजाघर स्वेएत्यसखोवेली का दौरा किया जहाँ उन्होंने वहाँ के प्रधानमंत्री, विशिष्ट अधिकारियों, राजनयिक अधिकारियों, धर्माध्यक्षों, पुरोहितों एवं जनता को सम्बोधित किया।

उन्होंने कहा, ″जोर्जिया में प्रेरितिक यात्रा के अंत में, मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने इस पवित्र मंदिर में प्रार्थनामय समय व्यतीत करने का अवसर प्रदान किया। मैंने जो स्वीकृति पायी तथा जोर्जिया के लोगों की भलाई हेतु विश्वास का प्रभावपूर्ण साक्ष्य के लिए आप सभी को सहृदय धन्यवाद देता हूँ।″ संत पापा ने कहा कि प्रभु ने हमें एक-दूसरे से मुलाकात करने एवं एक-दूसरे को शांति का चुम्बन देने का आनन्द प्रदान दिया है। वे हमपर सामंजस्य के सुगंधित इत्र उँडेल दें तथा हमारे रास्ते पर अपनी प्रचुर आशीष बरसायें।

संत पापा ने जोर्जिया की भाषा को समृद्ध मानते हुए कहा कि यह अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति के कारण समृद्ध है जो भाईचारा, मित्रता एवं लोगों में एकता की भावना को व्यक्त करता है। इसमें विशिष्ट और सामान्य सभी लोगों के लिए एक ही अभिव्यक्ति का प्रयोग किया जाता है जो एक-दूसरे के साथ आदान प्रदान करने में तत्परता की भावना, एक-दूसरे की सहायता करने तथा पूरे दिल से अपने आपको व्यक्त करने हेतु प्रेरित करता है। ″बोझ ढोने में एक-दूसरे की सहायता करें इस प्रकार मसीह की विधि पूरी करें।″ (गला.6:2) संत पापा ने कामना की कि भाईचारे की यह भावना, एक साथ आगे बढ़ने की हमारी यात्रा को संबल करे।

संत पापा ने जोर्जिया की दूसरी विशेषता, महागिरजाघर के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा, ″यह शोभायमान महागिरजाघर जिसने विश्वास एवं इतिहास के कितने ही खजाने को अपने अंदर समाहित रखा है, निमंत्रण देता है कि हम इतिहास की याद करें। यह अवश्यंभावी है कि जहाँ बीती बातों की यादें समाप्त हो जाती है वहीं लोगों का पतन शुरू होता है। उन्होंने कहा कि जोर्जिया का इतिहास एक प्राचीन किताब के समान है जिसका हर पन्ना, पवित्र साक्ष्य तथा ख्रीस्तीय मूल्यों को प्रकट करता है जिसने देश की आत्मा एवं संस्कृति को दृढ़ किया है। यह सम्मानित पुस्तक महान उदारता, स्वीकृति एवं समन्वय के बारे बतलाता है। इसमें स्थानीय तथा पूरे प्रांत के लिए अत्यन्त मूल्यवान एवं स्थायी मूल्य हैं। ऐसे मूल्य ख्रीस्तीय पहचान को अभिव्यक्त करता है जो तभी कायम रखा जा सकता है जब विश्वास में इसकी नींव मजबूत और खुला एवं तत्पर हो।

यह पवित्र स्थल स्मरण दिलाता है कि ख्रीस्तीय संदेश सदियों से जोर्जिया की पहचान हेतु स्तंभ है। इसने कई उथल-पुथल के बावजूद दृढ़ता प्रदान की है। उस समय भी जब देश को भाग्य के भरोसे छोड़ दिया गया था किन्तु प्रभु ने जोर्जिया की प्रिय भूमि को कभी नहीं छोड़ा क्योंकि ″प्रभु अपनी सब प्रतिज्ञाएँ पूरी करते हैं, वे जो कुछ करते हैं सब प्रेम से करते हैं।″ (स्तोत्र 145:13-14)

संत पापा ने प्रभु की कोमलता एवं दयालु सामीप्य की तुलना येसु के वस्त्र से की जिसमें कोई सीवन नहीं था। उन्होंने कहा, येसु के पवित्र वस्त्र का रहस्य एकता है। कलीसिया के प्रचीन धर्माचार्यों में से एक कारथेज के संत सिप्रियन ने घोषित किया था कि येसु के अविभाजित वस्त्र अविभाजित समझौता का प्रतीक है। वह एकता जो ऊपर से आता है, स्वर्ग से, पिता द्वारा जिसकी कीमत चुकाना निश्चय ही मुश्किल है।

संत पापा ने ख्रीस्तीयों के बीच विभाजन को एकता के रहस्य के विरूद्ध बतलाते हुए कहा, ″पवित्र वस्त्र जो एकता का रहस्य है हमें इतिहास में ख्रीस्तीयों के बीच विभाजन के प्रति गहरा दुःख महसूस करने का निमंत्रण देता है। ये वास्तविक चीर हैं जो प्रभु के शरीर पर घाव उत्पन्न करते हैं। इन सब के बावजूद एकता जो ऊपर से आता है, ख्रीस्त के प्रेम ने हमें एक साथ लाया है जिन्होंने न केवल अपना वस्त्र प्रदान किया किन्तु पूरा शरीर ही अर्पित कर दिया है और हमसे आग्रह कर रहे हैं कि हम भी उस एकता को न त्याग दें किन्तु अपने आप को उसी तरह समर्पित करें जैसा कि उन्होंने किया।

वे हमसे उदार सेवा एवं आपसी समझौता तथा शुद्ध ख्रीस्तीय भाईचारा की भावना से घावों पर मरहम पट्टी करने की मांग कर रहे हैं। निश्चय ही, इसके लिए धीरज की आवश्यकता है जो दूसरों पर विश्वास एवं विनम्रता द्वारा पोषित होता है। भय तथा निरुत्साह से रहित किन्तु उस आनन्द से भर कर जिसको ख्रीस्तीय आशा हमें प्रदान करती है। यह हमें विश्वास करने का प्रोत्साहन देती है जिसके द्वारा मतभेदों को चंगा किया जा सके एवं उसकी रक्षा हो तथा जो पहले से विद्यमान है उसका विकास मिलकर किया जा सके। संत पापा ने इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त आयोग की वार्ता तथा आदान प्रदान हेतु अनुकूल अवसरों की याद की।

संत पापा ने बपतिस्मा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, ″इस प्राधिर्माध्यक्षीय महागिरजाघर में हमारे कई भाइयों एवं बहनों ने बपतिस्मा संस्कार प्राप्त किया है जिसको जोर्जिया की भाषा में ख्रीस्त द्वारा नया जीवन प्राप्त करना कहा जाता है। बपतिस्मा संस्कार में उस प्रकाश का आह्वान किया जाता है जो सब कुछ को अर्थ प्रदान करता और हमें अंधकार से बाहर निकालता है। जोर्जिया में शिक्षा शब्द का मूल भी यही है, इस प्रकार, यह बपतिस्मा के साथ गहराई से जुड़ा है। भाषा की शिष्टता हमें ख्रीस्तीय जीवन की सुन्दरता पर विचार करने में मदद देता है। इसकी प्रतापी शुरूआत को तभी कायम रखा जा सकता है जब यह अच्छाई के प्रकाश में हो और बुराई के अंधकार का बहिष्कार करे।

ख्रीस्तीय जीवन का सौन्दर्य तभी सुरक्षित रखा जा सकता है जब इसके मूल की निष्ठापूर्वक रक्षा की जाए। जीवन को अंधकार कर देने वाले बंद रास्तों को स्थान न दिया जाए बल्कि स्वागत करने हेतु खुला एवं सीखने तथा सभी सुन्दर एवं सच्ची वस्तुओं से प्रेरणा ग्रहण करने के लिए तैयार हों।

संत पापा ने जोर्जिया के लोगों को अच्छाई में बढ़ते रहने का प्रोत्साहन देते हुए कहा, ″हमारी आपसी समृद्धि तथा अच्छाई में बढ़ने हेतु मदद करने के लिए, ईश्वर से प्राप्त वरदानों को हम सदा तत्परता से एक-दूसरे को बांटें।

संत पापा ने अपने संदेश के अंत में सभी को अपनी प्रार्थना का आश्वासन दिया ताकि ख्रीस्त पर विश्वास करने वालों में आपसी प्रेम की भावना बढ़े। सभी उसी लक्ष्य की ओर प्रेरित हों जो हमें एक साथ लाता, हमें मेल-मिलाप कराता तथा एकता में ले चलता है। हर स्तर पर आपसी भाईचारा एवं सहयोग की भावना बढ़े। प्रार्थना एवं प्रेम हमें प्रभु के उत्कट अभिलाषा को स्वीकार करना सिखलाये ताकि जो कोई उन में विश्वास करते हैं वे प्रेरितों की उदघोषणा द्वारा एक हो जाएँ। 








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