2016-09-30 16:22:00

संत पापा के जार्जिया की प्रेरितिक यात्रा से आशाएँ,


वाटिकन रेडियो शुक्रवार 30 सितम्बर 2016 (वी आर) “संत पापा जहाँ कही भी जाते लोगों को अपनी खुशी से भर देते हैं हमें आशा है कि वे जार्जियावासियों के लिए भी ऐसा ही करेंगे।” उक्त बातें वाटिकन हेतु जार्जिया के राजदूत डा. तामारा गडेजेलीडेजे ने संत पापा की 16वें प्रेरितिक यात्रा के पूर्व वाटिकन रेडियो को दिये गये अपने साक्षात्कार के दौरान कही।

फीलिपा हीचेन के अपनी वार्ता के दौरान जार्जिया की राजदूत ने जार्जिया में ख्रीस्तीयों और आर्थोडाक्स समुदाय के बीच ऐतिहासिक जटिलताओं का जिक्र करते हुए कहा कि संत पापा अपने “ज्ञान और अध्यात्मिक खुशी जिसके वह अपने साथ ले जाते हैं” अपने संबोधनों के ज़रिये वे जार्जियावासियों के हृदयों का स्पर्श करेंगे और इसे उन्हें को समझने में मदद करेंगे।

4थीं शताब्दी में स्थापित विश्व के प्राचीनतम ख्रीस्तीय देशों में से एक जार्जिया की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा  कि चौथी शताब्दी में नीनो नामक एक महिला के द्वारा कलीसिया की शुरूआत हुई थी। “जार्जिया में ख्रीस्तीय जीवन एक अद्भुत शुरूआत थी।” उन्होंने नीनो के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि नीनो कप्पादोकिया की एक युवा नारी थी जिन्होंने ने राजा और रानी को ख्रीस्तीय धर्म स्वीकार करने हेतु प्रेरित किया तब से यह देश का अधिकारिक धर्म बन गया।

 काथलीक और आरॉथोडक्स कलीसियाओं की जटिलताओँ के बारे में उन्होंने कहा कि यह सोवियत संस्कृति का प्रभाव है उस समय आरॉथोडक्स कलीसिया अचानक स्वतंत्र हुई और तब से यह अपने को राष्ट्रीय निशानी के रुप में पेश करती है जिसके कारण कथलीक कलीसिया को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद उन्होंने कहा कि दोनों कलीसियाओं के बीच आपसी तलमेल, सहयोग और सामंजस्य की स्थिति बनी हुई है।

इस यात्रा का अन्तरधार्मिक वार्ता में होने वाले प्रभाव के बारे उन्होंने कहा कि संत पापा फ्राँसिस अपनी ओर से ख्रीस्तीयों और विश्व के मध्य वार्ता के मध्यम नवीकरण लाने का प्रयत्न करते हैं जो कि पर्यावरण की सुरक्षा पर आधारित होता है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर उन्होंने विगत वर्षों में आर्थोडाक्स नेताओं से मुलाकात की कई पहल की है जिसमें क्युबा के कीरिल की भेंट, लेसबोस में प्रधिधर्माध्यक्ष बारथोलोमीयो और एथेंस के प्रधिधर्माध्यक्ष से मुलाकात शामिल हैं। “वे अपनी ओर से आर्थोडोक्स नेताओं से व्यक्तिगत रुप से अच्छे संबंध बनाये रखने का अथक प्रयास कर रहें हैं, लेकिन कुछ हैं जो धार्मिक एकजुटता की वार्ता को समस्यात्मक पाते हैं।”

उन्होंने कहा कि जार्जिया के प्रधिधर्माध्यक्ष ईला द्वितीय का लोगों पर अच्छा प्रभाव है जो एक विश्वसनीय नेता हैं जिन्होंने ने सन् 1977 से कलीसिया का नेतृत्व किया है। उन्होंने कलीसिया के जीवन को शब्दिक रुप में नवीकृत करते हुए, मठवासी जीवन और धार्मिक प्रकाशन में बढ़ोतरी लाई है। यह उनकी नेतृत्व कुशलता का मापक है।

कलीसिया और राज्य के संबंध के बारे में उन्होंने कहा कि संवैधानिक रुप से कलीसिया देश से पृथक है यद्यपि संविधान देश के इतिहास में आर्थोडोक्स कलीसिया की महत्वपूर्ण भूमिका को एक पहचान प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि देश साम्यवादी युग में कलीसिया के प्रभावित लोगों को हर्जाना प्रदान करती है। 








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