2016-09-27 11:41:00

कार्डिनल बान्यास्को ने यूरोप के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों को किया रेखांकित


रोम, मंगलवार, 27 सितम्बर 2016 (सेदोक): रोम में सोमवार को इताली धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की स्थायी समिति की पूर्णकालिक सभा का उदघाटन करते हुए सम्मेलन के अध्यक्ष तथा जेनोवा के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल आन्जेलो बान्यास्को ने यूरोप के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित कराया।  

विगत कुछ समय से यूपोरीय देशों के दरवाज़ों पर दस्तक देनेवाले आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के सन्दर्भ में कार्डिनल बान्यास्को ने कहा, "आज पहले से कहीं अधिक यूरोप को अपनी पहचान दर्शाने  तथा उस विचारधारा को अलग करने की आवश्यकता है जो विभिन्न तरीकों से यूरोप के सार्वजनिक जीवन से ख्रीस्तीय उपस्थिति को हटाने का प्रयास कर रही है।"

कार्डिनल महोदय ने यूरोप के राष्ट्रों का आह्वान किया कि वे उन यूरोपीय मूल्यों की याद करें जिनकी नींव पर यूरोपीय महाद्वीप खड़ा है।

इटली में व्याप्त सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर भी उन्होंने चिन्ता व्यक्त की जहाँ धनियों एवं निर्धनों के बीच व्याप्त खाई गहराती जा रही है। विशेष रूप से, अगस्त माह के भूकम्प से प्रभावित लोगों का उन्होंने स्मरण किया जिसमें 298 व्यक्ति मारे गये तथा सैकड़ों बेघर हो गये हैं।

कार्डिनल महोदय ने कहा कि इटली में हाल के भूकम्प ने एक आपातकालीन स्थिति उत्पन्न कर दी है जिससे निपटने के लिये इटली की काथलिक कलीसिया ने तत्काल दस लाख यूरो की मदद तथा राष्ट्रीय स्तर पर गिरजाघरों में अनुदान एकत्र कर सहायता का प्रयास किया है। भूकम्प पीड़ितों को राहत पहुँचाने में स्वयं सेवकों की गतिविधियों की कार्डिनल महोदय ने सराहना की और कहा, "स्वयंसेवकों ने एकात्मता के कार्यों द्वारा इटली के इतिहास का अनुपम साक्ष्य प्रदान किया है तथा पीड़ितों की अवहेलना करनेवाली संस्कृति का बहिष्कार किया है।" 

यूरोप की स्थिति पर ध्यान आकर्षित कराते हुए कार्डिनल बान्यास्को ने कहा कि आज यूरोप को अपनी जड़ों तक पहुँचने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा, "वैश्वीकृत विश्व में जहाँ सम्पूर्ण भूमण्डल के लोगों के बीच निकटता आई है अन्यों से अलग होना असम्भव है।"  

यूरोपीय देशों के दरवाज़ों पर दस्तक देनेवाले हज़ारों आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के स्वागत एवं समाज में उनके एकीकरण का आह्वान करते हुए कार्डिनल बान्यास्कों ने कहा, "राष्ट्रवाद हिंसा की एक सूक्ष्म अभिव्यक्ति है जिसे उदारता तथा राजनैतिक एवं सामाजिक विवेक से पराजित किया जा सकता है।" उन्होंने कहा, "इतने अधिक हताश और निर्धन लोगों के विषय में सोचने के बदले यूरोप को उस परिवर्तन पर चिन्ता करनी चाहिये जो उसपर बाहर से थोपा जा रहा है तथा उसे "अपनी सोच" को बदलने पर बाध्य कर रहा है।"  

आतंकवाद की हालिया घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कार्डिनल बान्यास्को ने परामर्श दिया कि उन लोगों के जाल में न फँसा जाये जो धर्म को अस्त्र बनाकर आतंकवाद फैलाते हैं। इसके बजाय, उन्होंने कहा, "इस तथ्य पर ध्यान देने का आवश्यकता है कि आतंकवाद सामाजिक समस्याओं तथा पश्चिमी देशों में व्याप्त सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक शून्य का लाभ उठा रहा है।"








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