2016-09-22 16:15:00

मिथ्या अभिमान व्यर्थ है


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 22 सितम्बर 16 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में बृहस्पतिवार 22 सितम्बर को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा ने मिथ्या अभिमान की निंदा की तथा कहा कि जिन लोगों ने बहुत अधिक हानि की है, जिनका अंतःकरण दूषित है और जो दूसरों की हानि करते हैं वे शांति से नहीं रह सकते क्योंकि वे लगातार बेचैनी में जीते हैं।

प्रवचन में संत पापा ने कहा कि उन लोगों ने बुरा किया है और हर बुराई की जड़ है लालच, अभिमान तथा घमंड। ये तीनों ही हमें शांति से रहने नहीं देते हैं। वे पवित्र आत्मा की नहीं सुनते किन्तु आसान जीवन की ओर प्रेरित करते हैं।

प्रवचन में संत पापा ने उपदेशक ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जिसमें उपदेशक बतलाता है कि सब कुछ व्यर्थ है यदि उसमें ईश्वर के सत्य का अभाव हो। उन्होंने कहा, ″महत्वाकांक्षा का जीवन लम्बा नहीं है क्योंकि यह साबुन के झाग की तरह है, यह हमें सच्चा लाभ कभी नहीं दे सकता। उस व्यक्ति को अर्जित लाभ का क्या फायदा जिसे बेचैनी ही बेचैनी है। आभास दिलाने, बहाना करने एवं दिखाई देने के लिए बेचैन। उन्होंने कहा कि यह व्यर्थ है। यह जीवन के मेक-अप के समान है। यह बीमार आत्मा है क्योंकि यदि हम अभिमान के कारण अपने जीवन को प्रस्तुत करने के लिए मेकअप का प्रयोग करने लगें तो सब कुछ को बनावटी रूप में प्रस्तुत करना होगा किन्तु अंत में क्या मिलेगा? संत पापा ने अभिमान की तुलना ऑस्टियोपोरोसिस से की जिसमें हड्डियाँ बाहर से तो स्वस्थ दिखाई पड़तीं किन्तु अंदर सड़ी होती हैं। अभिमान हमें दिखावे के रास्ते पर ले चलता है।

संत पापा ने उन लोगों को भी सामने लाया जो बाहर से अच्छे दिख पड़ते हैं किन्तु अन्दर से अच्छे नहीं होते। उन्होंने कहा ″वे हर रविवार गिरजा जाते हैं कलीसिया के लिए बहुत अधिक दान देते हैं किन्तु अंदर बुराई है।

कुछ लोग चेहरे से पवित्र दिखाई देते किन्तु उनकी सच्चाई कुछ और होती है। संत पापा ने प्रश्न किया कि हमारा बल, हमारी सुरक्षा और हमारा शरण किस बात में है? हम स्तोत्र ग्रंथ में पढ़ते हैं कि प्रभु पीढ़ी दर पीढ़ी तू ही मेरा शरण बना रहा। सुसमाचार हमें येसु के शब्दों का स्मरण दिलाता है ″मैं ही मार्ग, सत्य और जीवन हूँ।″

संत पापा ने कहा कि यही सच्चाई है जिसमें कोई मेकअप नहीं है। ईश्वर हमें बुराई के तीनों जड़ लालच, अभिमान और घमंड से मुक्त करे और इन सबसे बढ़कर अभिमान से जो बहुत अधिक विनाश लाता है।  








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