2016-09-17 16:24:00

अपनी प्रेरिताई में करूणा को स्थान दें, नवनियुक्त धर्माध्यक्षों से संत पापा


वाटिकन सिटी, शनिवार, 17 सितम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने नवनियुक्त धर्माध्यक्षों को वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में सम्बोधित करते हुए ईश्वर द्वारा प्रेम किये जाने के पूर्वाभास का स्मरण दिलाया तथा आग्रह किया कि वे अपनी प्रेरिताई में करुणा को स्थान दें।

संत पापा के साथ नवनियुक्त धर्माध्यक्षों की मुलाकात धर्माध्यक्षों के परमधर्मपीठीय धर्मसंघ एवं ओरिएंटल कलीसियाओं के धर्मसंघ द्वारा आयोजित कोर्स के अंत में हुई।

संत पापा ने कहा, ″अपनी प्रेरिताई में करुणा को स्थान दें क्योंकि उन्होंने ईश्वर द्वारा प्रेम किये जाने के आनन्द का अनुभव कर लिया है। यही धर्माध्यक्षों का कर्तव्य है, विशेषकर, जो कलीसिया के नवनियुक्त धर्माध्यक्ष हैं।″ संत पापा ने धर्माध्यक्षों को मूसा के समान बनने को कहा जिन्होंने ईश्वर से प्रेम किये जाने का अनुभव किया था तथा खुद से पहले ईश्वर द्वारा पहचाने जाने का एहसास किया था। संत पापा ने इसे सराहनीय नम्रता कहा तथा कहा कि यह कितना सुन्दर है कि हम अपने आप को ईश्वर के प्रेमी जानकारी में रख देते हैं। यह हमें सांत्वना देता है कि हम सचमुच उनकी निगरानी में है तथा अपनी न्यूनता के बावजूद अपने छोटेपन से नहीं घबराते हैं।

संत पापा ने पवित्र द्वारा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि करुणा की जयन्ती के पवित्र द्वार स्वयं ख्रीस्त हैं जिससे पार होने के द्वारा हमने कृतज्ञता, मेल-मिलाप, पूर्ण निष्ठा, सम्पूर्ण समर्पण तथा एक असीम चरवाहे के प्रेरित होने का एहसास किया है।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों को सलाह दी कि वे अपने झुण्ड के प्रति अपने कर्तव्य में करुणा के कार्य को विशेष महत्व दें। दया के द्वारा ही कलीसिया की संरचना को निर्मित एवं अनुप्राणित होना चाहिए।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों को तीन उपाय बतलाये जिसके द्वारा उनकी प्रेरिताई में करुणा को स्थान दिया जा सकता है वे उपाय हैं, सुलभ, ठोस, और मुलाकात में सक्षम।

उन्होंने कहा कि धर्माध्यक्षों को चाहिए कि वे अपने धर्मप्रांत के विश्वासियों को अच्छाई, भलाई, सच्चाई तथा प्रेम द्वारा प्रेरित करें क्योंकि दुनिया शौक़ीन मिज़ाज के पुरोहितों एवं धर्माध्यक्षों से थक चुकी है।

संत पापा ने सेमिनरी में बुलाहट में कमी होने के कारण संख्या पर अधिक ध्यान देने के प्रलोभन से बचकर गुणवत्ता पर खास ध्यान देने की सलाह दी।

उन्होंने अपने वक्तव्य के अंत में कहा कि वे अपने झुण्ड का साथ दें जिस तरह भला समारितानी ने रास्ते पर घायल पड़े व्यक्ति की मदद की। सबसे बढ़कर सच्चे प्रेम एवं ईश्वर की कृपा के आनन्द को अपने सामने रखें जिसके द्वारा वे ईश्वर के प्रेम में सहभागी होने के स्तर तक ऊपर उठाये गये हैं। 








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