2016-09-12 15:11:00

देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा का ईश्वर की क्षमाशीलता पर संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 11 सितम्बर  2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवारीय देवदूत प्रार्थना हेतु जमा सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को ईश्वर पिता की क्षमाशीलता पर अपना संदेश देते हुए कहा,

प्रिय भाइयो और बहनो, सुप्रभात

आज का धर्म विधि पाठ संत लुकस रचित सुसमाचार के अध्याय 15 से लिया गया है जो करुणा का अध्याय कहलाता है जहाँ येसु फरीसियों और शास्त्रियों की कुनमुनाहट को सुनते हैं। वे येसु के व्यवहार की टीका टिप्पणी करते हुए कहते हैं,“यह मनुष्य पापियों का स्वागत करता और उनके साथ खाता पीता है।” उनकी भुनभुनाहट सुनकर येसु तीन दृष्टांतों के द्वारा पिता के प्रेम का जिक्र करते और हमारे प्रति उनके व्यवहार को समझते हैं। पहला दृष्टांत ईश्वर को एक गरेड़िये के रुप में प्रस्तुत करता है जो निन्यानवे भेड़ों को छोड़ कर एक भटकी हुए भेड़ की खोज हेतु जाते हैं। वे अपनी खोयी हुए भेड़ की जिक्र करते हैं। दूसरे दृष्टांत में नारी अपने खोये हुए सिक्के को तब तक खोजती है जब तक कि वह उसे नहीं पा लेती और पाने पर आनंद और खुशी मनाती है। और तीसरे दृष्टान्त में ईश्वर की तुलना उस पिता से की गई है जो अपने घर से दूर चले गये पुत्र का स्वागत करता है जो ईश्वर के करुणामय हृदय को प्रदर्शित करता जो हमारे लिए येसु ख्रीस्त में प्रकट होता है।

संत पापा ने कहा इन तीनों दृष्टांतों की विषयवस्तु एक ही है जो हमें दुःखी होने के बजाय आनंद और खुशी मनाने की बात कहती है। ये तीनों दृष्टांत हमारे जीवन में खुशी और महोत्सव की बात बयाँ करते हैं। चरवाहा अपने मित्रों और पड़ोसियों को बुलाता और कहता है, “मेरे साथ आनंद मनाओं क्योंकि मैंने अपनी खोई हुई भेड़ को पा लिया है। उसी तरह स्त्री अपने मित्रों और पड़ोसियों को अपनी खुशी में शामिल होने हेतु निमंत्रण देती है। पिता अपने जेठे बेटे से कहते हैं, “आनंद मनाना उचित ही था क्योंकि तुम्हारा यह भाई जो खो गया था मिल गया है जो मर गया था जिन्दा मिल गया है।” प्रथम दोनों दृष्टांतों में आनंद और खुशी की प्राथमिकता है जिसे आपस में साझा करने हेतु मित्रों और पड़ोसियों को निमंत्रित किया जाता है। तीसरे दृष्टांत में भी खुशी पिता के करुणामय हृदय से निकलती और उनके पूरे परिवार में प्रसारित होती है। ईश्वर में आनंद की यह खुशी उनके लिए और अधिक हो जाती जो जयंती के वर्ष में पश्चाताप करते हुए ईश्वर की ओर अभिमुख होते हैं।

संत पापा ने कहा कि इन तीन दृष्टांतों के द्वारा येसु हमें पिता के असली चेहरे को दिखलाते हैं, पिता अपनी करुणा और दया अपनी बाहों को खोलकर पापियों का स्वागत करते हैं। संत पापा ने कहा कि तीसरा दृष्टांत हृदयस्पर्शी हैं क्योंकि यह ईश्वर के अनंत प्रेम को हमारे समक्ष पेश करता है। यह पिता हैं जो अपने घर वापस आये बेटे को अपनी बाँहों में भर लेते हैं। उड़ाव पुत्र के इस दृष्टांत में सबसे अधिक प्रभावित करने वाली बात उसकी दयनीय स्थिति नहीं वरन् उसका निर्णय हैं जहाँ वह अपने में कहता है, “मैं उठ कर अपने पिता के पास जाऊँगा।” उसकी यह घर वापसी नई आशा और नई जिन्दगी की शुरूआत है। ईश्वर अधीरतापूर्वक हम सबों की प्रतीक्षा करते हैं वे प्रेम में हमारी राह देखते हैं और हमारी वापसी पर दौड़कर हमारी ओर आते, हमें गले लगाते, हमारा चुम्बन करते और हमें क्षमा करते हैं। संत पापा ने कहा कि ईश्वर ऐसे हैं। वे हमारी पुरानी सभी बातों को भूल जाते और हमें क्षमा करते हैं। वे हमारी गलतियों का हिसाब नहीं रखते हैं। जब हम पश्चाताप करते और अपनी पापों और गलतियों के लिए उनसे क्षमा की याचना करते हैं तो वे हमें सज़ा नहीं देते लेकिन हमारा स्वागत करते और हमारा आलिंगन करते हुए हमारे लिए आनंद और खुशी मनाते हैं। येसु स्वयं इस दृष्टांत में हमें कहते हैं,“स्वर्ग में निन्यानवे धर्मियों की अपेक्षा एक पापी हेतु अधिक आनंद मनाया जायेगा।” संत पापा ने कहा, “मैं आप लोगों से एक प्रश्न करना चाहता हूँ, “क्या आपने कभी यह सोचा है कि हर बार जब हम अपने पापों हेतु पापस्वीकार करने जाते तो स्वर्ग में आनंद मनाया जाता है? क्या आप ने इसके बारे में कभी सोचा है ? यह कितना आनंददायक है।
आज का सुसमाचार हमें एक बृहद आशा प्रदान करती है क्योंकि दुनिया में पाप है और हम पापों में गिरे हुए हैं हम स्वयं अपने पापों से बाहर नहीं निकल सकते लेकिन ईश्वरीय कृपा हमारे लिए उपलब्ध है, ऐसा कोई भी नहीं जिसे मुक्ति नहीं मिला सकती। ईश्वर की कृपा से हम सभी मुक्ति के योग्य हैं क्योंकि हम कितना भी पाप क्यों न करें ईश्वर हमारे लिए भलाई करना कभी नहीं छोड़ते हैं। माता मरियम जो पापियों का आश्रय है हम सबों के हृदयों में भी विश्वास का दीप प्रज्वलित करें जिसे उन्होंने उड़ाव पुत्र के हृदय में किया था, “मैं उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और कहूँगा, पिताजी मैंने पाप किया है”, क्योंकि यह रास्ता ईश्वर को आनंद प्रदान करती है और हमारे लिए खुशी लाती है। इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी सभी विश्वासी भक्तों और तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों का अभिवादन करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
 








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