2016-09-06 14:22:00

संत तेरेसा के अवशेष के दर्शन हेतु सैकड़ों श्रद्धालु पंक्तिबद्ध


लाहौर, मंगलवार, 6 सितम्बर 2016 (एशिया समाचार) : वाटिकन में रविवार 4 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस द्वारा मिशनरीज ऑफ चारिटी की संस्थापिका मदर तेरेसा को संत घोषित करने की खुशी में लाहौर के सेक्रेड हार्ट महागिरजाघर में संत तेरेसा के अवशेष के दर्शन हेतु सैकड़ों काथलिकों की लम्बी कतार लग गई थी।

लाहौर के महाधर्माध्यक्ष सेबास्टियन शाह ने मदर के सम्मान में ख्रीस्तयाग का अनुष्ठान किया। ख्रीस्तीयों के साथ साथ 50 विकलांग लड़कियों और महिलाओं ने भाग लिया जो मिशनरीज ऑफ चारिटी धर्मबहनों द्वारा संचालित 'प्रेम का घर'  में रहती हैं और वहीं धर्मबहनें उनका इलाज भी करती हैं।

वहाँ उपस्थित लोगों के लिए वाटिकन में हो रहे मदर तेरेसा की संत घोषणा समारोह के सीधे प्रसारण को बड़े परदे पर देखने की भी व्यवस्था की गई थी। महाधर्माध्यक्ष सेबास्टियन ने विश्वासियों से कहा, " आज बेहद खुशी और गर्व का दिन है। एक संत को अपने साथ शामिल कर ईश्वर ने आशीर्वाद का दरवाजा खोल दिया है। आप किसी विशेष प्रयोजन के लिए प्रार्थना करें और उसके बाद अवशेष का चुंबन करें। "

 महाधर्माध्यक्ष ने कहा, " मदर तेरेसा ने गरीबी का जीवन बिताया। उन्होंने यह दिखाया कि ईश्वर गरीबों के साथ रहते हैं। वे ईश्वर के प्रेम और दया का आदर्श बन गईं। आज हमारे समाज में ऐसे लोगों की जरूरत है। हर काथलिक एक संत बनने के लिए बुलाया गया है: संत बनने से डरना नहीं है।"

समारोह के अंत में धर्मबहनें संत तेरेसा के तीन अवशेषों को लोगों के दर्शन हेतु महागिरजाघर में लाईं जो 2003 में मदर तेरेसा के धन्य धोषणा के बाद से अपने प्रार्थनालय में रखा गया था।

 एक काथलिक व्यापारी जावेद ने कहा, ″संत के अवशेष को छूने से मैं धन्य हो गया। बचपन से मैंने उनके कामों के बारे में सुना था लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने जीवन में मदर की संत घोषणा समारोह में भाग ले सकता हूँ।"

कारितास लाहौर के पूर्व कार्यकारी सचिव फादर जोसेफ लुईस के अनुसार धर्मसमाज के व्यावहारिक काम शब्दों से भी अधिक जोर से बोलते हैं। उन्होंने कहा कि पैरों में साधारण सेंडल तथा नीले पाड़ की सफेद साड़ी पहने संस्थापिका संत तेरेसा द्वारा शुरु किये गये कठिन कामों को उनकी धर्मबहनों ने जारी रखा है।

फादर ने कहा कि युवक के रूप में उसने हवाई अड्डे पर मदर तेरेसा से मुलाकात की थी। वहाँ वे उस टीम में थे जिनहें मदर की रक्षा करने का उत्तरदायित्व मिला था। "मदर तेरेसा कद में छोटी थी।" और सुरक्षादल को डर था कि कहीं भीड़ में वे दब न जाये। उनकी विनम्र आवाज को सुनने के बाद, कोई विश्वास नहीं कर सकता कि ये वही व्यक्ति हैं जिन्होंने वीआईपी संस्कृति को अस्वीकार किया जो आज के नेताओं पर हावी हो गया है।








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