2016-09-04 15:47:00

मदर तेरेसा के लिए करुणा “नमक” के समान


वाटिकन सिटी, रविवार, 04 सितम्बर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्रांसिस ने रविवार 04 सितम्बर को संत प्रेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में समारोही ख्रस्तीयाग के दौरान धन्य मदर तेरेसा को संतों की श्रेणी में पदस्थापित करते हुए अपने मिस्सा प्रवचन में कहा, ईश्वर के मन की थाह कौन ले सकता है? (प्रज्ञा 9.13) यह सवाल हमें हमारे जीवन को एक रहस्य के रूप में प्रस्तुत करता है जिसे हम बहुत बार समझने में असमक्ष पाते हैं। इतिहास में हमेशा दो नायक हैं ईश्वर और मनुष्य। हमारे जीवन का कर्तव्य ईश्वर के बुलावे को समझना और उनकी योजना को पूरा करना है। लेकिन उनकी योजना को पूरा करने हेतु हमें अपने आप से यह पूछने की आवश्यकता है कि ईश्वर हमारे जीवन से क्या चाहते हैं? 

प्रजा ग्रंथ इसका उत्तर देते हुए कहता है, “जो बात तुझे प्रिय है उसकी शिक्षा लोगों को मिल गयी।”  (प्रज्ञा 9.18) ईश्वर के बुलावे को सुनिश्चित रुप से जानने हेतु हमें अपने आप से यह पूछने और समझने की जरूरत है कि ईश्वर हमारे जीवन में किन चीजों से प्रसन्न होते हैं। नबी होशया इसका जिक्र करते हुए कहते हैं, “ईश्वर बलिदान नहीं अपितु दया की चाह रखते हैं।” (होशआ.6.6 मत्ती. 9.13) ईश्वर हर करुणा के कार्य से प्रसन्न होते हैं क्योंकि अपने भाई या बहन में जिनकी हम सेवा करते हैं ईश्वर के प्रतिरूप को पाते जिसे दूसरे नहीं देखते हैं। जब-जब नम्रता में हम जरूरतमंद लोगों की सेवा करते तो हम येसु को कुछ खाने-पीने, उन्हें पहने हेतु देते और उनकी सेवा करते हुए ईश्वर के पुत्र येसु से अपनी मुलाकात करते हैं।(मत्ती.25.40)

इस तरह हम अपने कामों के द्वार अपने विश्वास और प्रार्थनामय जीवन को जीते हैं। करुणा का कोई विकल्प नहीं है, वे जो दूसरों को बिना जाने ही अपनी सहायता प्रदान करते हैं वे ईश्वर को अपना स्नेह प्रदर्शित करते हैं। यद्यपि ख्रीस्तीयों का जीवन केवल जरूरत के समय ही लोगों की सेवा करना नहीं है, यदि ऐसा होता है तो हमारा प्रेम छिछला और प्रभावहीन है। इसके विपरीत येसु हमें करुणा के कार्य को सम्पादित करने हेतु निमंत्रण देते हैं जिसके द्वारा हम प्रतिदिन अपने को ईश्वर के प्रेम से सराबोर करते हैं। 

हमने सुसमाचार में येसु के वचनों को सुना, “एक विशाल जनसमूह येसु के पीछे हो लिया।” आज हम एक विशाल जन समूह को देखते हैं जो एक साथ करुणा की जयन्ती मनाने हेतु यहाँ जमा हुआ है। आप अपने स्वामी येसु का अनुसरण करने वाली भीड़ हैं जो अपने प्रेम को एक दूसरे हेतु प्रदर्शित करते हैं। संत पापा ने कहा कि मैं संत पौलुस के वचनों को दुहराता हूँ, “मुझे यह जान कर बड़ा आनन्द और सांत्वना मिली कि आपने अपने भ्रातृ प्रेम द्वारा विश्वासियों का हृदय नवीन कर दिया है।” (फिलो.1.7) आप के द्वारा कितने हृदयों को सांत्वना प्राप्त हुई है। आपने कितने हाथों का स्पर्श किया है, कितने आँखों के आंसू पोछें हैं, कितने लोगों को अपने प्रेम की अनुभूति दी और कितनों की नम्रता और स्वार्थहीन सेवा की है। यह प्रशंसनीय सेवा विश्वास की एक आवाज बनती है जो पिता के करुणामय प्रेम को व्यक्त करती जहाँ हम जरूरतमंद की सेवा में अपने को संलग्न करते हैं।  

येसु के गंभीर कार्यों का अनुसरण करते हुए इस तरह हम आनन्द से भर जाते हैं और साहस पूर्वक ग़रीबों से गरीब की सेवा में अपने को लगा देते हैं। येसु के प्रेम से प्रेरित अपने सेवा कार्यों हेतु इस तरह हम किसी चीज की माँग नहीं करते बल्कि हम उन चीजों की तिताजंलि देते हैं क्योंकि हम अपने को ईश्वर के सच्चे प्रेम से परिपूर्ण पाते हैं। जिस तरह ईश्वर हमारी जरूरत की घड़ी में हमारी ओर झुककर हमारी सहायता करते हैं उसी तरह हम अपने को उनके लिए नतमस्तक करते जिन्होंने अपने विश्वास को खो दिया है या अपना जीवन ऐसे जीते हैं मानो उनके लिए ईश्वर का कोई अस्तित्व ही न हो। जब कभी कोई हमारी सहायता की माँग करता है और हम उनकी सहायता हेतु पहल करते तो हम कलीसिया की उपस्थिति का साक्ष्य देते और उनमें आशा की एक नई किरण जाग्रति करते हैं।

मदर तेरेसा सबी रुपों में ईश्वरीय करुणा की प्रति मूर्ति रही जिन्होंने सदैव अजन्म शिशुओं, परित्यक्त और नाकार दिये गये मानवता की सेवा में अपने को अर्पित कर दिया। वह जीवन की रक्षा हेतु समर्पित थी। उन्होंने सदैव इस बात की घोषणा करते हुए कहा, “अजन्में शिशु, सबसे कमजोर, छोटे और अति संवेदनशील हैं।” उन्होंने बुजुर्गों, सड़कों के किनारे मरने हेतु त्याग दिये गये लोगों में ईश्वर की मर्यादित छवि देखी और शक्तिशाली संसार का ध्यान उनकी ओर आकर्षित किया जिससे वे अपने पापों को जान सकें जिसे उन्होंने गरीबी को बढ़ावा देते हुए किया है। मदर तेरेसा के लिए करुणा “नमक” के समान था जिसके द्वारा उनके कामों में मिठास आई, यह एक ज्योति के समान रही जो अंधकार में उनके लिए जगमगाई जिनकी आँखों में अपनी ग़रीबों और दुःख के कारण बहने को आंसू नहीं रह गये थे।

उनका मानवीय अस्तित्व हेतु किया गया प्रेरितिक कार्य हमारे लिए ग़रीबों से गरीब में ईश्वरीय उपस्थिति का साक्ष्य प्रस्तुत करता है। आज मैं समर्पित जीवन के इस प्रतीकात्मक निशानी को विश्व के सामने पेश करता हूँ जिससे वे हमारे लिए पवित्रता का आदर्श बने। करुणामय कार्य की वे अथक मूर्ति हमें इस तथ्य को समझने में मदद करे की हमारे कार्य धर्म, जाति, भाषा और संस्कृति से ऊपर उठकर अहेतु प्रेम से प्रेरित हो। मदर तेरेसा प्रेम से कहती थी, “शायद मैं उनकी भाषा न बोलूँ लेकिन मैं मुस्कुरा सकती हूँ।” आइए हम उनकी मुस्कुराहट को अपने हृदय में सँजोते हुए उसे उनके साथ बाँटें जिन्हें हम अपने जीवन की राह में मिलते हैं विशेषकर उनके साथ जो पीड़ित हैं। इस तरह हम अपने उन भाई-बहनों के लिए खुशी और आशा के अवसर उत्पन्न करते हैं जो अपने जीवन में हताश हैं जो हमारी से करुणा और समझ की आशा रखते हैं। 








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