2016-09-04 15:37:00

कोलकाता की संत तेरेसा द्वारा सम्पादित दो चमत्कार


वाटिकन सिटी, रविवार, 4 सितम्बर 2016 (विभिन्न स्रोत): दो चमत्कारों के प्रमाणित होने के बाद कोलकाता की मदर तेरेसा को विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया ने आज संत घोषित कर सम्मानित किया। उनका पहला चमत्कार था भारत की एक महिला के पेट में ट्यूमर से चंगाई तथा दूसरा ब्राजील के एक कैंसर पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क में फोड़े से चंगाई।

लोस एंजेल्स के धर्माध्यक्ष बार्रोन ने कहा, ″एक संत वह है जिसने जीवन के महान सदगुणों को जिया है जिन्हें हम देखते और प्रेरणा प्राप्त करते हैं किन्तु केवल उसी पर पूरा ध्यान केंद्रित किया जाए तब हम उनकी पवित्रता को गौण कर देते हैं। संत वह है जो स्वर्ग में हैं जो ईश्वर के साथ अनन्त जीवन के सहभागी हैं तथा चमत्कार इसका प्रमाण है।″

मदर तेरेसा द्वारा पहला चमत्कार तब हुआ जब पेट में ट्यूमर से पीड़ित पश्चिम बंगाल की महिला मोनिका बेसरा को असाधारण रूप से चंगाई मिली। ट्यूमर इतना बढ़ चुका था कि चिकित्सकों ने जवाब दे दिया था तथा उसके ठीक होने की पूरी आशा छोड़ दी थी। डॉक्टरों द्वारा आशा छोड़ देने के कारण वह बहुत परेशान थी और उसने मिशनरीस ऑफ चैरिटी धर्मबहनों की सेवा का सहारा लिया। उसकी बीमारी दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही थी और पीड़ा के कारण वह सो भी नहीं पाती थी। मदर तेरेसा के निधन की पहली बरसी 5 सितम्बर 1998 को मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनों ने मदर तेरेसा के मेडल को पीड़ित महिला के पेट पर रखा। इसके बाद वह सोने लगी और जब वह उठी उसका दर्द चला गया था। डॉक्टरों ने पुनः उसकी जाँच की तथा पाया कि ट्यूमर पूरी तरह गायब था।

संत प्रकरण परिषद के साथ कार्य करने वाली चिकित्सा विशेषज्ञों की एक बोर्ड ने इस चमत्कार पर अध्ययन किया। जाँच की पूरी प्रक्रिया पूरी कर उन्होंने पाया कि चमत्कार किसी चिकित्सकीय बयान के बाहर था। 20 दिसम्बर 2002 में संत पापा जोन पौल द्वितीय ने इस चमत्कार को मान्यता दे दी तथा उन्हें 2003 में धन्य घोषित कर दिया। 

दूसरा चमत्कार ब्राजील के सानतोस में 2008 में 42 वर्षीय मेकानिकल इंजिनियर मरचिलियो हदाद अंद्रिनो के साथ हुआ। मरचिलियो के मस्तिष्क में जीवाणु संक्रमण के कारण फोड़ा हो गया था। इस फोड़े के कारण उसके सिर में अत्यधिक दर्द था। उसके एक दोस्त ने उसे मदर तेरेसा की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करने की सलाह दी। इस बीच चिकित्सा असफल हो जाने के कारण मरचिलियो निश्चेत अवस्था यानी कोमा में चला गया किन्तु उसकी पत्नी फेरनन्दा रोका ने प्रार्थना करना जारी रखा। उसे अंतिम सर्जरी के लिए लिया गया। जब सर्जन ने ऑपरेशन कमरे में प्रवेश किया उन्होंने मरचिलियो को होश में पाया जो उठकर पूछ रहा था कि क्या हो रहा है।

सितम्बर 2015 को जाँच प्रक्रिया समाप्त करने के बाद संत प्रकरण परिषद ने दूसरे चमत्कार को भी सही पाया।

संत पापा फ्राँसिस ने 17 दिसम्बर 2015 को मदर तेरेसा की संत घोषणा के लिए आवश्यक दूसरे चमत्कार को भी मान्यता दे दी। 

काथलिक कलीसिया में किसी व्यक्ति को संत घोषित कर सम्मानित करने के लिए लोकोपकारी कार्य मात्र पर्याप्त नहीं है। उनके द्वारा कम से कम दो चमत्कार होना आवश्यक है। विचार यह है कि वही व्यक्ति संत के सम्मान योग्य है जो स्वर्ग में ईश्वर के सम्मुख है और उन लोगों की मध्यस्थता करता है जो चंगाई की इच्छा से उससे प्रार्थना करते हैं।








All the contents on this site are copyrighted ©.