2016-09-01 16:17:00

सृष्टि की देखभाल हेतु विश्व प्रार्थना दिवस के अवसर पर संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 1 सितम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 1 सितम्बर सृष्टि की देखभाल हेतु विश्व प्रार्थना दिवस के अवसर पर एक संदेश प्रेषित कर आम गृह के प्रति दया प्रदर्शित करने की अपील की।

उन्होंने कहा, ″ऑर्थोडोक्स कलीसिया के हमारे भाई बहनों के साथ तथा अन्य कलीसियाओं एवं ख्रीस्तीय समुदायों के सहयोग से काथलिक कलीसिया आज सृष्टि की देखभाल हेतु विश्व प्रार्थना दिवस मना रही है। यह दिन प्रत्येक व्यक्ति एवं समुदाय को एक उपयुक्त अवसर प्रदान करता है ताकि वे सृष्टि की देखभाल करने की अपनी व्यक्तिगत बुलाहट को सुदृढ़ कर सकें तथा ईश्वर को उनकी सुन्दर कृति के लिए कृतज्ञता अर्पित कर सकें जिसको उन्होंने हमारे जिम्मे सौंपा है और सृष्टि की रक्षा हेतु ईश्वर की सहायता की याचना कर सकें। साथ ही साथ सृष्टि के प्रति किये गये अपराधों के लिए उनसे क्षमा मांग सकें।″ 

संत पापा ने विभिन्न कलीसियाओं एवं धर्मावलम्बियों द्वारा इस ग्रह के भविष्य पर चिंता करने को प्रोत्साहनात्मक कहा।

संत पापा ने अपने संदेश में ग़रीबों की पुकार एवं पर्यावरण की तबाही की ओर लोगों का ध्यान आकृत करते हुए कहा, ″मैं इस पृथ्वी पर निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ अपनी वार्ता को पुनः दोहराता हूँ″ (लाओदातो सी 3) ग़रीबों की पीड़ा एवं प्रकृति की तबाही के बारे। ईश्वर ने हमें एक विशाल वाटिका प्रदान की है किन्तु हमने उसे एक प्रदूषित बंजर भूमि में बदल दिया है, मलबे, विरान और गंदगी भरा स्थान बना दिया है। हमें जैव विविधता के नुकसान और पारिस्थितिकी प्रणालियों के विनाश के प्रति उदासीन नहीं होना चाहिए जो बहुधा हमारी लापरवाही और स्वार्थ के कारण उत्पन्न हुए हैं। हमारे कारण हज़ारों प्रजातियाँ अपनी उपस्थिति से ईश्वर की महिमा नहीं कर पायेंगे।

संत पापा ने प्रकृति की छेड़छाड़ के कारण आये विनाश को सामने रखते हुए कहा कि वैश्विक तापमान में वृद्धि होना जारी है, कई जगह सूखा, बाढ़ तथा जलवायु परिवर्तन के प्रचंड रूप देखने को मिल रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण शरणार्थियों की समस्या एवं गरीबी बढ़ रही है और इसके नतीजे समाज के कमजोर लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

संत पापा ने ईश्वर की रचना के प्रति की गयी छेड़खानी के प्रति सचेत करने हेतु ऑर्थोडोक्स कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष द्वारा उठाये गये कदम की सराहना की तथा करुणा की जयन्ती वर्ष में अपने अंतःकरण की जाँच कर, पश्चाताप करने की सलाह दी। उन्होंने हृदय परिवर्तन का आह्वान करते हुए करुणा के एक नये कार्य में जुड़ने का परामर्श दिया।

उन्होंने कहा, ″करुणा के कार्य के सिवाय कोई भी वस्तु हमें ईश्वर से संयुक्त नहीं कर सकता। क्योंकि करुणा ही है जिसके द्वारा प्रभु हमारे पापों को क्षमा कर देते हैं तथा अपने नाम पर दया करने की कृपा प्रदान करते हैं।″

अंततः अपने संदेश में संत पापा ने प्रार्थना करने का निमंत्रण देते हुए कहा कि हम हमारे पापों और चुनौतियों के बावजूद कभी निराश न हों। सृष्टिकर्ता हमें कभी नहीं छोड़ते तथा वे अपनी योजना को कभी नहीं त्यागते और न ही हमारी सृष्टि पर विलाप करते हैं। क्योंकि उन्होंने अपने को हमारी पृथ्वी के साथ असीम रूप से जोड़ दिया है उनका प्रेम हमें निरंतर नया रास्ता खोजने हेतु प्रेरित करता है।








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