2016-08-27 16:30:00

मदर तेरेसा से मेरी मुलाकात, फा. रीयरो घेद्दो


मिलान, शनिवार, 27 अगस्त 2016 (एशियान्यूज़): संत पापा जोन पौल द्वितीय ने मदर तेरेसा को 21वीं शताब्दी में उस मिशन का प्रतीक कहा जो एशिया में मिशन के आदर्श हैं। मैंने इस महिला से कई मुलाकातें कीं। वे कद में छोटी और सरल जरूर हैं किन्तु उनकी एक असाधारण विशिष्टता है जिसके कारण उन्हें 1979 में नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ था तथा वे एकमात्र विदेशी महिला हैं जिनका अंतिम संस्कार भारत में देश की ओर से किया गया था। यह बात फादर पीयेरो घेद्दो ने कही।

उन्होंने मदर तेरेसा के साथ मुलाकात का अनुभव बतलाते हुए कहा कि उनकी पहली मुलाकात सन् 1964 ई. में हुई थी जब वे संत पापा पौल षष्टम के साथ भारत गये थे। उन्होंने बतलाया कि वे निर्मल हृदय गये जहाँ मरणासन्न की स्थिति में पड़े लोगों को शरण प्रदान की जाती है तथा जिनको मदद करने वाला कोई नहीं होता है। उन्होंने शिशु भवन का भी दौरा किया जहाँ अनाथ, परित्यक्त और एकल माताओं के बच्चों को रखा जाता है। उन्होंने वहाँ ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव किया।

फादर पीयेरो घेद्दो ने बतलाया कि मदर तेरेसा के साथ उनकी दूसरी मुलाकात 1973 में मिलान में हुई थी जब मदर तेरेसा ने 8000 युवाओं के साथ जागरण प्रार्थना की था।

उन्होंने बतलाया कि मदर तेरेसा ने इटली में एक सबसे महत्वपूर्ण अवसर में भाग लिया और वह था, 23 अप्रैल 1977 का दिन जब वहाँ ‘जीवन का उत्सव’ मनाया गया था। इस उत्सव में ग़ैरकाथलिकों ने भी भाग लिया था तथा गर्भपात का विरोध किया था। इस अवसर पर मदर तेरेसा ने लोगों को सम्बोधित कर कहा था, ″मुझे दो बातें कहनी है, पहला, जीवन सबसे बड़ा दान है जिसे ईश्वर ने मनुष्य को दिया है जिसके लिए हमें उन्हें प्रतिदिन धन्यवाद देना चाहिए और इस वरदान को हमें अच्छी तरह प्रयोग करना है, दूसरा, गर्भपात हत्या है।″

मिलान स्थित पीमे की धर्मबहनों के अनुसार उस अवसर पर मदर तेरेसा ने बहुत कम खाना खाया, फर्स पर बिछी दरी पर सोया तथा रात में प्रतिदिन एक घंटा प्रार्थना किया। वे मिलनसार और मजाकिया स्वभाव की हैं किन्तु ईश्वर ने जिस मिशन के लिए हमें बुलाया है उसका उनके मन और दिल में बहुत दृढ़ विचार हैं। 

विदित हो कि कोलकाता की धन्य मदर तेरेसा की संत घोषणा 4 सितम्बर को रोम में होगी। 








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