2016-08-27 16:21:00

चेलम एवं काल के लिए संत पापा का वीडियो संदेश


वाटिकन सिटी, शनिवार, 27 अगस्त 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने लातीनी अमरीका के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ‘चेलम’ एवं लातीनी अमरीका के लिए परमधर्मपीठीय आयोग ‘काल’ द्वारा पूरे महाद्वीप में करूणा की जयन्ती मनाये जाने के पहल का स्वागत करते हुए इसमें विभिन्न देशों की सहभागिता पर प्रसन्नता जतायी।   

उन्होंने वीडियो संदेश प्रेषित कर कहा, ″मुझे खुशी है कि अमरीका के सभी देश इसमें भाग ले रहे हैं। इस प्रकार के अवसर हमारी क्षितिज को विस्तृत करने में मदद देता तथा आशा में बढ़ाने के महान चिन्ह हमारी मित्रता को जारी रखता है।″  

संत पापा ने तीमोथी को लिखे संत पौल के पत्र का स्मरण दिलाया जिसमें वे ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं क्योंकि उनकी अयोग्यता के बावजूद उन्होंने उन्हें चुना और उनपर अपनी दया बरसाई। अतः वे अनुभव करते हैं कि जिस दया को उन्होंने ईश्वर से प्राप्त किया है उसे दूसरों को भी बांटना है।

संत पापा ने कहा कि तीमोथी को लिखे इस पत्र के माध्यम से आज वे हम प्रत्येक को निमंत्रण देते हैं। इन्ही शब्दों ने तीमोथी तथा उन सभी लोगों को प्रेरित किया जिन्होंने इसका श्रवण किया। ये शब्द हमें उदासीन रहने नहीं दे सकते किन्तु गहराई से हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। ख्रीस्त संसार में आये ताकि वे पापियों को बचा सकें जिनमें पौलुस अपने को सबसे बड़ा पापी मानते और कहते हैं कि उन्होंने ईश्वर की महान दया को प्राप्त किया है।    

संत पापा ने धर्माध्यक्षों से कहा कि हमें यह अवसर प्राप्त हुआ है क्योंकि हम संत पौलुस के साथ कह सकते हैं कि हमें करुणा प्राप्त हुई है। हमारे सभी पापों, कमजोरियों, ग़लतियों तथा बुराई में बार बार गिरने के बावजूद, येसु ने हमपर दया दृष्टि की है तथा हमें अपने करीब लाया है। उन्होंने अपना हाथ बढ़ाकर हमपर दया प्रदर्शित की। हम प्रत्येक अपने जीवन को पुनः झांककर ईश्वर की दया की याद करें।

संत पापा ने संत पौलुस के उन शब्दों पर प्रकाश डाला जिसमें वे कहते हैं कि प्रभु ने बातें कीं और मुझे बतलाया उन्होंने मेरे साथ दया का बर्ताव किया। संत पौलुस का येसु के साथ संबंध इसी संबंध के आधार पर था जिसमें उन्होंने उन पर दया दिखायी थी।

संत पापा ने अपने संदेश में धर्माध्यक्षों को स्मरण दिलाया कि हम विभिन्न संस्कृतियों प्रभावित हैं विशेषकर, फेंकने की संस्कृति तथा ऐसी संस्कृति जो कुछ ही लोगों के लाभ को चुनौती देने वाले का बहिष्कार करता है।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों से कहा कि आज उन्हें ईश्वर की पवित्र एवं विश्वासी प्रजा पर करुणा प्रदर्शित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वे ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करें क्योंकि ईश्वर ने उन पर विश्वास किया है। 








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