2016-08-24 15:50:00

संत पापा फ्रांसिस के नाम ग्रैंड अयातुल्ला माकारेम शिराज़ी का पत्र


कोम, बुधवार, 24 अगस्त 2016 ( सेदोक): ग्रैंड अयातुल्ला माकारेम शिराज़ी ने 20 अगस्त को संत पापा फ्राँसिस को भेजे पत्र में पोलैंड की यात्रा के दौरान आतंकवादियों पर की गई टिप्पणी "इस्लाम आतंकवाद के समकक्ष नहीं है" पर खुशी जाहिर की।

उन्होंने लिखा कि दाईश जैसे तकफीरी समूहों (अविश्वासी समुदाय) के अत्याचारों और अमानवीय कार्यों से इस्लाम धर्म को अलग मानने की संत पापा की बुद्धिमता और तर्क सराहनीय है। वास्तव में, यह बहुत जरूरी है कि दुनिया के सभी धार्मिक नेता विशेषकर दुनिया के किसी भी हिस्से में धर्म के नाम पर हो रहे बर्बरता और हिंसा के खिलाफ स्पष्ट और मजबूत रुख लें।

वे तकफीरी शातिर आतंकवादी हमले की दृढ़ता से निंदा करते हैं जिनके नेतृत्व में फ्राँस के गिरजाघर में एक पुरोहित की क्रूर हत्या की गई। संत पापा को लिखे पहले पत्र में भी उन्होंने यह घोषणा की थी कि विश्व के मुस्लिम लोगों के विशाल बहुमत के साथ, सभी मुस्लिम विद्वानों ने तकफीरी संप्रदायों को इस्लाम समुदाय से बाहर माना है तथा वे वर्तमान युग में दुनिया का सबसे खराब संकट के रूप में इन तकफीरी समूहों को मानते हैं। उनका कहना है कि वे सालों से इस दुनिया को इस बड़े खतरे के बारे में चेतावनी देते आ रहे हैं।

पिछले दो वर्षों के दौरान, उन्होंने "तकफीरी आंदोलनों के अतिक्रम से उत्पन्न खतरों पर"  पवित्र शहर कोम में दो अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस का आयोजन किया था जिसमें 80 विभिन्न देशों से कई इस्लामी प्रमुखों और विद्वानों ने भाग लिया था। सम्मेलन के दौरान, सभी मुस्लिम विद्वानों ने सर्वसम्मति से हिंसा के किसी भी रुप की तथा धर्म के नाम पर निर्दोष लोगों की हत्या और आतंकवाद की कड़ी निंदा की थी और इस्लामी कानूनों के तहत इस तरह के कार्यों की पूरी तरह से निंदा की घोषणा की गई थी। उन्होंने  बेरहम, अज्ञानी और हत्यारों को चेतावनी दी है कि उनके रास्ते नरक में समाप्त होते हैं!

अगर इन्हें कुछ भ्रष्ट महाशक्तियों से समर्थन और सहायता प्राप्त नहीं होता तो निस्संदेह, तकफीरी आतंकवादी समूहों को अब तक नष्ट कर दिया गया होता ।

वे संत पापा की बातों को दुहराते हुए लिखते हैं कि इस तरह के बर्बर कृत्यों का धर्मों और उनके विभिन्न स्कूलों के साथ कुछ लेना देना नहीं है। बल्कि, वे कुछ भ्रष्ट महाशक्तियों के घटिया भौतिकवादी उद्देश्यों से उत्पन्न होते हैं जो नाजायज धन की प्राप्ति करने में लगे हुए हैं। सौभाग्य से, ऐसे अतिवादी और आतंकवादी समूहों के बारे में , जनता में जागरूकता आयी है और वे उम्मीद करते है कि इस तरह के कार्यों का अंत हो जाएगा।

अंत में उन्होंने संत पापा द्वारा विश्व में शाँति, दया और अध्यात्म के प्रसार हेतु सफलता की शुभकामनाएँ दी।








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